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Mor Baalwadi : विशेषज्ञों ने दिए महत्वपूर्ण सुझाव, स्थानीय भाषा सीखने पर जोर

रायपुर, 21 अप्रैल। Mor Baalwadi : मुख्यमंत्री भूपेश बघेल द्वारा घोषित 5-6 आयु वर्ग के बच्चों के लिए बालवाड़ी योजना के क्रियान्वयन हेतु दो दिवसीय राज्य स्तरीय कार्यशाला के दूसरे दिन आज एससीईआरटी में देश के विभिन्न प्रांतो से आये प्रतिष्ठित शिक्षाविदों ने शिक्षा विभाग के सचिव डॉ. कमलप्रीत सिंह एवं संचालक एससीईआरटी राजेश सिंह राणा के नेतृत्व में ‘मोर बालवाड़ी’ को लेकर अपने विचार प्रस्तुत किये। कार्यशाला में विशेषज्ञों ने राज्य में बालवाड़ी के क्रियान्वयन के लिए महत्वपूर्ण सुझाव दिए।

भूमिका का हो निर्धारण

तीन-तीन माह की सामग्री बनाकर प्रथम वर्ष जारी किया जाए

विशेषज्ञों ने सुझाव दिए कि (Mor Baalwadi) योजना की समीक्षा और सुधार के लिए प्रथम वर्ष में तीन-तीन माह की सामग्री बनाकर जारी किया जाना चाहिए। नियमित शिक्षा की श्रृंखला बनी रहे इसके लिए बालवाड़ी के लिए चयनित शिक्षक द्वारा ही कक्षा पहली एवं दूसरी में भी पढ़ाया जाए। बच्चों को उनकी स्थानीय भाषा में सीखने के पर्याप्त अवसर दिए जाए। इसके लिए स्थानीय स्तर पर सामग्री विकसित करने हेतु संसाधन तैयार किए जाए। बालवाडी कार्यक्रम का व्यापक प्रचार-प्रसार किया जाए और घर-घर दस्तक देकर पांच वर्ष की आयु वर्ग के बच्चों को प्रवेश दिलवाया जाए।

माताओं का उन्मुखीकरण और उन्हें लीडर बनाना

माताओं का उन्मुखीकरण कर लीडर माताओं को अन्य माताओं को संगठित करने एवं उन्हें घर में एवं स्कूल में सीखने के अवसर दिए जाए। समुदाय से पढ़े-लिखे व्यक्तियों को सिखाने में सहयोग की जिम्मेदारी दी जाए। बालवाडी की मानिटरिंग हेतु एक अलग कैडर बनाया जाए और उनके माध्यम से सतत समर्थन देना सुनिश्चित किया जाए। महिला एवं बाल विकास विभाग के सुपरवाइजर को भी बालवाडी की मानिटरिंग की जिम्मेदारी दी जाए।

बालवाडी में प्रिंट-रिच वातावरण तैयार करना

बालवाडी में प्रिंट-रिच वातावरण तैयार कर सीखने का बेहतर माहौल बनाया जाए। बालवाड़ी में एक फ्रीडम वाल हो जिसमें बच्चों को अपने मन से कुछ भी चित्र बनाने एवं लिखने का अवसर दिया जाए। आंगनबाडी एवं बालवाड़ी के शिक्षकों के लिए उनकी भूमिका का निर्धारण करना होगा। बालवाड़ी और प्राथमिक शाला के शिक्षक प्रति सप्ताह मिलकर आगामी सप्ताह के गतिविधियों पर चर्चा करें।

इसके पूर्व विचार मंथन के दौरान निदेशक सीएलआर चितरंजन कॉल ने कहा की मोर बालवाड़ी की पहल में 5-6 आयु वर्ग की तरह 3-4 एवं 4-5 आयु वर्ग के बच्चों को भी शामिल करना चाहिए। यूनिसेफ की सुनिशा आहूजा ने कहा की मोर बालवाड़ी के सफल संचालन के लिए राज्य को शुरू से इस कार्यक्रम बेहतर प्रचार-प्रसार पर ध्यान देना होगा, ताकि ज्यादा से ज्यादा बच्चे इस कार्यक्रम से लाभान्वित हो पाए।

आंगनबाड़ी और बालवाड़ी के शिक्षकों के लिए भूमिका निर्धारण

इग्नू की रेखा शर्मा सेन ने कहा की प्रशिक्षण कार्यक्रम में शिक्षा विभाग के शिक्षकों और महिला एवं बाल विकास के कार्यकर्ताओं के लिए एकीकृत प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित करना होगा। इससे कार्यक्रम को क्रियान्वयन करने में आसानी होगी। उन्होंने राज्य को यह भी सुझाव दिया की बालवाड़ी में प्रवेश लेने जा रहे सभी बच्चों का प्रवेश आकलन करना चाहिए। इससे शिक्षकों को अपनी तैयारी करने में आसानी हो और वर्ष के अंत में हमें अपने सिस्टम की समझ बेहतर तरीके से मिल पाए। अन्य विशेषज्ञों  के राय के अनुसार आने वाले समय में बालवाड़ी में कार्य कर रहे कर्मचारियों का मनोबल बढ़ाने के लिए राज्य स्तरीय प्रशस्ति भी दिया जायेगा। 

कार्यशाला (Mor Baalwadi) में एससीईआरटी के अतिरिक्त संचालक डॉ योगेश शिवहरे, छत्तीसगढ़ राज्य योजना आयोग की शिक्षा सलाहकार मिताक्षरा कुमारी, सायंतनी गद्धाम- निदेशक- आह्वान ट्रस्ट, अमिता कौशिक निदेशक – एजूवेव, सावित्री सिंह एनसीईआरटी के विशेषज्ञ, छाया कंवर, यूनिसेफ और एससीईआरटी की टास्क फ़ोर्स के सदस्य भी शामिल हुए।

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