रायपुर, 11 नवंबर। Naxalite Commander : यह घटना छत्तीसगढ़ के सुकमा और बीजापुर जिले की सीमा के पास स्थित पुरवर्ती गांव की है। जहां हाल ही में उपमुख्यमंत्री विजय शर्मा ने दौरा किया था और वहा उन्होंने दो प्रमुख नक्सली कमांडरों की माताओं से मुलाकात की, जिसमें माड़वी हिडमा की मां माड़वी पुंजी और बरसे देवा की मां बारसे सिंगे से मिली।
उपमुख्यमंत्री ने उनकी माताओं से कहा था कि, वे अपने बेटों को हथियार छोड़कर मुख्यधारा में लौटने के लिए प्रेरित करें। जिसके बाद उनकी माताओं ने सार्वजनिक रूप से अपने बेटों से आग्रह किया कि वे जंगलों में बंदूक के साथ घूमने की बजाय अपने घर‑परिवार के पास लौटें।
उन्होंने अपने बच्चों से अपील की, परिवार, गांव, समाज को छोड़कर जंगल में हथियार लेकर भटकने से किसी का भला नहीं हो रहा है। अपने हथियार छोड़कर पुनर्वास का रास्ता चुनो और समाज, परिवार, परिजनों के बीच रहकर विकास तथा सबके हित के लिए कार्य करें। उनकी माताओं ने वीडियो जारी कर अपने बेटों को पुनर्वास करने की अपील की है।
हथियार छोड़कर समाज की मुख्यधारा में लौटें
उपमुख्यमंत्री शर्मा ने परिजनों से कहा कि उनका प्रयास है कि सभी भटके युवा हथियार छोड़ पुनर्वास कर लेते हैं तो शासन उनका ख्याल रखेगी और समाज के बीच रहकर अहिंसक तरीके से मुख्यधारा में शामिल होकर वे क्षेत्र के विकास के लिए कार्य कर सकते हैं। क्षेत्र के विकास और समृद्धि के लिए सभी के साथ की आवश्यकता है। यह युवा शक्ति क्षेत्र के विकास की नींव बन सकते हैं। अधिकारियों ने बताया कि उपमुख्यमंत्री शर्मा और पूरे शासन-प्रशासन द्वारा क्षेत्र की शांति के लिए हिड़मा तथा बारसे देवा के साथ दक्षिण बस्तर के भटके युवाओं के पुनर्वास के लिए भी सतत प्रयास किया जा रहा है।
माताओं की अपील
मां ने अपने बेटे से पूछा है, तुम कहां हो? मैं तुम्हें आने के लिए कह रही हूं। अगर वह नहीं आ रहा है, तो मैं कैसे आ सकती हूं? अगर वह आसपास में रहता है, तो मैं उसे जंगल में ढूंढने जाउंगी। मैं तुम्हें घर आने के लिए कह रही हूं बेटा। हम यहीं अपनी जीविका कमाएंगे। वहीं, बारसे देवा की मां ने भी अपने बेटे से हथियार छोड़कर जीवन की नई दिशा लेने की अपील की है।
घटना की पृष्ठभूमि
बता दें कि, पुवर्ती गांव लंबे समय से नक्सलवाद प्रभावित क्षेत्र रहा है, यहां नक्सली गतिविधियां सक्रिय थीं। सरकार ने पिछले कुछ समय में इस क्षेत्र में विकास‑कामें बढ़ाई है, जैसे सड़क, स्कूल, अस्पताल। इस पहल को “युद्ध” की बजाय संवाद एवं पुनर्वास की दिशा में बदलाव माना जा रहा है।
क्यों महत्वपूर्ण है यह कदम?
यह कदम (Naxalite Commander) इस बात का संकेत है कि राज्य सरकार न केवल सुरक्षा‑कदम उठा रही है बल्कि सामाजिक‑आर्थिक स्तर पर समाधान तलाश रही है। माताओं की सार्वजनिक अपील पारिवारिक भावनाओं को सामने लाती है, यह सिर्फ सुरक्षा अभियान नहीं है, बल्कि मानवीय पहल भी है। इस तरह का संवाद युवा नक्सलियों को मुख्यधारा में लौटने के लिए प्रेरित कर सकता है, जो लंबी अवधि में क्षेत्र के लिए शांति का मार्ग हो सकता है।

