शिक्षा

New Education Policy युवाओं के लिए सुनहरा भविष्य : उच्च शिक्षा मंत्री टंक राम वर्मा

रायपुर, 24 सितंबर। New Education Policy : पं. रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय, रायपुर में आयोजित राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 (NEP 2020) पर एक दिवसीय कार्यशाला में उच्च शिक्षा मंत्री टंक राम वर्मा ने कहा कि यह नीति भारत के शैक्षणिक परिदृश्य में क्रांतिकारी परिवर्तन लाने जा रही है। उन्होंने इसे युवाओं के उज्ज्वल भविष्य की आधारशिला बताया और कहा कि इससे शिक्षा प्रणाली न केवल आधुनिक होगी बल्कि रोजगारपरक, शोध-आधारित और कौशलयुक्त भी बनेगी।

कार्यशाला का आयोजन मालवीय मिशन टीचर ट्रेनिंग सेंटर और NEP इम्प्लीमेंटेशन सेल के संयुक्त तत्वावधान में किया गया था। विश्वविद्यालय सभागार में बड़ी संख्या में कुलपति, प्राध्यापक, शोधार्थी, मास्टर ट्रेनर्स और नोडल अधिकारी उपस्थित रहे।

“नीति के असली नायक मास्टर ट्रेनर्स और नोडल अधिकारी”

मंत्री वर्मा ने स्पष्ट रूप से कहा कि किसी भी नीति की सफलता उसके जमीनी क्रियान्वयन में निहित होती है। इस कार्य में नोडल अधिकारी और मास्टर ट्रेनर्स की भूमिका सबसे अहम है। उन्होंने कहा, आप सभी नई शिक्षा नीति के असली अग्रदूत हैं। आपकी सक्रिय भागीदारी और नेतृत्व से ही यह परिवर्तन सफल हो सकेगा।

उन्होंने नोडल अधिकारियों से आग्रह किया कि वे अपने-अपने संस्थानों में NEP के प्रावधानों, जैसे सेमेस्टर प्रणाली, क्रेडिट ट्रांसफर, बहुविषयक कोर्स और स्किल-बेस्ड शिक्षा को समयबद्ध और चरणबद्ध रूप से लागू करें।

“शिक्षा में सुधार केवल आदेश नहीं, हर परिवार की उम्मीद है”

मंत्री वर्मा ने कहा कि नई शिक्षा नीति आदेश नहीं, बल्कि हर परिवार और छात्र की उम्मीदों का उत्तर है। उन्होंने भावुक होकर कहा, जब गरीब माता-पिता अपने बच्चे को कॉलेज भेजते हैं, तो उनके सपनों को पूरा करना हमारी जिम्मेदारी है। जब कोई छात्र नई उमंग के साथ विश्वविद्यालय आता है, तो उसका भविष्य गढ़ना हमारा कर्तव्य है।

“बदलाव मुश्किल हो सकता है, लेकिन जरूरी है”

उन्होंने यह भी स्वीकार किया कि नई नीति को लागू करने में संसाधनों और संरचना की चुनौतियाँ आएंगी, लेकिन इनका समाधान खोजते हुए आगे बढ़ना ही एकमात्र रास्ता है। उन्होंने कहा, हम यथास्थिति को बनाए रखकर आने वाली पीढ़ियों के साथ न्याय नहीं कर सकते। यह परिवर्तन भविष्य के लिए जरूरी है।

साझा सीखने और टीमवर्क पर बल

कार्यशाला को “साझा सीखने का मंच” बताते हुए उन्होंने उपस्थित शिक्षकों और अधिकारियों से आह्वान किया कि वे अपने अनुभव और सफल प्रथाएं साझा करें, और जो चुनौतियाँ हैं, उन पर मिलकर समाधान खोजें।

कार्यक्रम के अंत में उन्होंने संस्कृत श्लोक “सा विद्या या विमुक्तये” का उल्लेख करते हुए कहा कि वही शिक्षा सार्थक है, जो हमें बौद्धिक, सामाजिक और मानसिक बंधनों से मुक्त कर सके और हमें एक बेहतर नागरिक बनाए।

इस अवसर पर विश्वविद्यालय के कुलपति, वरिष्ठ प्राध्यापकगण, शिक्षाविद, शोधार्थी और बड़ी संख्या में विद्यार्थी उपस्थित रहे। कार्यशाला को नई शिक्षा नीति के सफल क्रियान्वयन की दिशा (New Education Policy) में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।

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