छत्तीसगढ

कृषि सुधार कानून को लेकर भूपेश और मोदी सरकार आमने-सामने…

रायपुर, 15 अक्टूबर। कृषि सुधार कानून को लेकर एक बार फिर भूपेश और मोदी सरकार आमने-सामने है। केंद्र सरकार के कानून के खिलाफ छत्तीसगढ़ सरकार छत्तीसगढ़ के किसानों के लिए नया कानून लाने की बात कह रही है। इसके लिए छत्तीसगढ़ के कृषि मंत्री रविंद्र चौबे दिवाली से पहले विधानसभा का विशेष सत्र बुलाने की बात कह रहे हैं। वहीं इसे लेकर केंद्रीय कृषि राज्यमंत्री संजीव बालियान का कहना है कि राज्य सरकार के पास इसके लिए अधिकार नहीं है

कृषि सुधार कानून पर वार-पलटवार

बुधवार को एक दिवसीय दौरे पर रायपुर पहुंचे केंद्रीय कृषि राज्यमंत्री संजीव बालियान ने छत्तीसगढ़ सरकार पर तंज कसते हुए कहा कि कांग्रेस को राजनीति करने का अधिकार है, जो वह कर रहे हैं। केंद्रीय मंत्री बालियान ने भूपेश सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि, कृषि बिल पर छत्तीसगढ़ की कांग्रेस सरकार सिर्फ भ्रम फैला रही है

इधर, छत्तीसगढ़ के कृषि मंत्री रविंद्र चौबे ने बताया कि सरकार ने छत्तीसगढ़ के किसानों के लिए नया कानून बनाने का फैसला किया है। इसे लेकर दीपावली से पहले विधानसभा का विशेष सत्र बुलाया जा सकता है। छत्तीसगढ़ सरकार शुरू से केंद्र के कृषि सुधार कानून का विरोध कर रही है।

केंद्रीय राज्यमंत्री का बयान

रायपुर में एक प्रेस कॉन्फेंस में केंद्रीय राज्यमंत्री ने कहा कि पूरे देश में अगर वर्तमान में 7 हजार धान मंडियां हैं, तो उनमें से करीब 1 हजार मंडी ऐसी है जो ई-मार्केटिंग से जोड़ी जा चुकी है। ई-मार्केटिंग से अगर मंडियों को जोड़ा जा रहा है तो ढील भी देनी पड़ेगी। सामान के उत्पाद एक तरफ से दूसरी तरफ जाने के लिए कानून में परिवर्तन करना पड़ेगा। पूरे देश में करीब 8600 करोड़ रुपए मंडी टैक्स के रूप में आते हैं। इस राशि से करीब 8 हजार रुपए, जो केंद्र सरकार धान और गेहुं की खरीद कराती है या अन्य किसी कृषि उत्पाद की खरीद कराती है उसका टैक्स है। ये केंद्र देती है। अलग-अलग प्रदेश में अलग-अलग टैक्स की दरें हैं।

उन्होंने कहा कि जहां तक खरीद की बात है, तो केंद्र सरकार खरीदी कराती है। केंद्र खरीद गेहुं और चावल खरीदती है, जिसका पैसा FCI से आता है। प्रदेश सरकार की एक नोडल एजेंसी है, जो चावल और गेहूं की खरीदी कर केंद्र सरकार को सप्लाई करती है। प्रदेश सरकार को इसका अधिकार है कि वह कहीं से भी खरीदी कर सकती है। केंद्र सरकार को सिर्फ पैसा देना है। इसमें कुछ भी अतिक्रमण जैसा नहीं है। केंद्र सरकार अपनी पूरी जिम्मेदारी निभाने के लिए तैयार है।

केंद्रीय राज्यमंत्री संजीव कुमार ने बताया कि दूसरे बिल को कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग का नाम दिया गया है। अभी कोविड के दौरान ही 1 लाख रुपए का एग्रीकल्चर डेवल्पमेंट एंड इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए फंड दिया गया है। करीब 20 हजार करोड़ मत्स्य पालन के लिए किया गया। करीब 15 हजार करोड़ पशुपालन के लिए डेवल्पमेंट एंड इंफ्रास्ट्रक्चर फंड है. करीब साढ़े 13 हजार रुपए का एफएमडी। इन तमाम योजनाओं के तहत जारी फंड को देखा जाए तो किसानों के लिए बड़ी रकम दी गई है.

छत्तीसगढ़ कृषि मंत्री ने कहा हम बनाएंगे कानून

इधर, छत्तीसगढ़ के कृषि मंत्री रविंद्र चौबे का कहना है कि, छत्तीसगढ़ की भूपेश बघेल सरकार इसके लिए व्यापक स्तर पर तैयारी कर रही है। राजनीतिक सलाहकार से लेकर कानून के जानकारों से राय-मशविरा किया जा रहा है। इस कानून को राज्य में लागू होने से रोकने के लिए किस तरह के कानून बनाए जा सकते हैं, इस पर विचार किया जा रहा है। इसे लेकर खाका तैयार किया जा रहा है। अब इसी कड़ी में राज्य सरकार जल्द विधानसभा का विशेष सत्र बुलाकर नए कृषि कानूनों को रोकने के लिए प्रदेश में कानून बना सकती है।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button