Saurabh Murder Case: 8-month pregnant Muskan, accused in the Saurabh murder case, is on the path of devotion! She is fasting in jail...reciting the Sunderkand for an hour daily...wishing for a child like Krishna...listen to what the jail administration is saying...Saurabh Murder Case

मेरठ, 26 सितंबर। Saurabh Murder Case : सौरभ हत्याकांड में मुख्य आरोपी मुस्कान एक बार फिर चर्चा में है, लेकिन इस बार वजह अपराध नहीं, बल्कि उसका भक्ति और आध्यात्म की ओर झुकाव है। मेरठ की जेल में बंद मुस्कान ने नवरात्रों के मौके पर व्रत रखना शुरू कर दिया है और वह नियमित रूप से सुंदरकांड का पाठ कर रही है।

जेल प्रशासन के अनुसार, मुस्कान की आस्था अब भगवान श्रीराम और श्रीकृष्ण में दिखाई दे रही है। जेल के वरिष्ठ अधीक्षक वीरेश राज शर्मा ने बताया कि मुस्कान का मानना है कि भक्ति और व्रत के जरिए उसकी जमानत की राह आसान हो सकती है।

जन्म देना चाहती है ‘कृष्ण’ जैसे संतान

जेल प्रशासन ने यह भी जानकारी दी है कि मुस्कान इस समय आठ महीने की गर्भवती है। उसकी इच्छा है कि वह भगवान श्रीकृष्ण जैसे संतान को जन्म दे। इसी भावना के चलते उसने धार्मिक अनुशासन को अपनाया है और दिनचर्या में पूजा-पाठ को शामिल किया है।

भक्ति से ढूंढ रही मानसिक शांति

जेल अधिकारियों के अनुसार, मुस्कान अब जेल के वातावरण में भी भक्ति के जरिए आत्मसंयम और मानसिक शांति पाने की कोशिश कर रही है। जहां सह-आरोपी साहिल से मिलने उसके परिजन नियमित रूप से आते हैं, वहीं मुस्कान से अब तक कोई मिलने नहीं आया है। इसके बावजूद वह ईश्वर में आस्था जताते हुए नवरात्र व्रत और सुंदरकांड पाठ कर रही है।

जेल के भीतर मुस्कान अब एक अपराधी नहीं, बल्कि एक धार्मिक प्रवृत्ति वाली महिला के रूप में पहचानी जाने लगी है। अधिकारियों का मानना है कि उसने अपनी सोच में बदलाव लाने की कोशिश की है और धार्मिक जीवन शैली को अपनाकर अपनी मानसिक स्थिति को स्थिर करने का प्रयास किया है।

अब देखना यह होगा कि मुस्कान की यह आस्था और भक्ति उसकी रिहाई की राह में कोई सकारात्मक मोड़ लाती है या नहीं।

भावनात्मक दृष्टिकोण

मुस्कान का भक्ति की ओर रुख करना एक आंतरिक संघर्ष और आत्ममंथन का प्रतीक माना जा सकता है। हत्या के गंभीर आरोप में जेल में बंद एक महिला, जो अब आठ महीने की गर्भवती है, मानसिक और भावनात्मक रूप से असमंजस और अवसाद की स्थिति में हो सकती है। ऐसे में धर्म और भक्ति उसके लिए मानसिक शांति, गिल्ट से मुक्ति, और नई शुरुआत की उम्मीद बन सकते हैं।

सुंदरकांड का पाठ और नवरात्र व्रत सिर्फ धार्मिक क्रियाएं नहीं, बल्कि एक महिला की टूट चुकी उम्मीदों के बीच खुद को फिर से जोड़ने की कोशिश भी हो सकती है।

सामाजिक दृष्टिकोण

समाज में अपराध के आरोपियों को अक्सर सुधार की बजाय सिर्फ सजा का पात्र माना जाता है। मुस्कान का यह धार्मिक रुझान यह सवाल उठाता है कि क्या अपराध के बाद भी कोई व्यक्ति आध्यात्मिक रूप से बदल सकता है?

वहीं, मुस्कान के साथ कोई परिजन मिलने नहीं आ रहा है, जबकि सह-आरोपी साहिल से परिवारजन मिलते हैं, यह बात सामाजिक भेदभाव और महिला आरोपियों के प्रति समाज के नजरिए को भी उजागर करती है। गर्भवती होने के बावजूद मुस्कान अकेली है, जो समाज की भावनात्मक उपेक्षा का द्योतक है।

कानूनी दृष्टिकोण

मुस्कान की धार्मिक आस्था और व्यवहार में बदलाव जमानत प्रक्रिया या न्यायिक फैसले को सीधे प्रभावित नहीं कर सकते, लेकिन ये बातें अदालत के सामने एक ‘रिहैबिलिटेशन इंडिकेशन’ (पुनर्वास का संकेत) के रूप में रखी जा सकती हैं।

अगर वह दोषी साबित होती है तो अदालत ये देख सकती है कि क्या उसमें पश्चाताप और सुधार की भावना है। वहीं, अगर जमानत याचिका लगाई जाती है तो गर्भावस्था और मानसिक स्थिति को आधार बनाया जा सकता है। भारतीय न्याय प्रणाली में ‘मानवता और पुनर्वास की भावना’ को भी महत्त्व दिया जाता है, विशेषकर महिला कैदियों के मामलों में।

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