छत्तीसगढ

विधानसभा सत्र का चौथा दिन: राजभाषा दिवस पर सदन में छत्तीसगढ़ी में हुआ कामकाज

  • रायपुर। विधानसभा शीतकालीन सत्र का चौथा दिन खास था, क्योंकि उस दिन छत्तीसगढ़ी राजभाषा दिवस था, लिहाजा राजभाषा को समर्पित था विधानसभा सत्र। सदन की कार्यवाही शुरू होते ही आसंदी ने सबको राजभाषा दिवस की शुभकामनाएं देते हुए आग्रह किया कि आज की कार्यवाही में छत्तीसगढ़ी भाषा का प्रयोग करने का भरसक प्रयास करें। संसदीय कार्य मंत्री रविंद्र चौबे ने कहा कि प्रदेश गठन होने के बाद पहली बार प्रदेशवासियों को लग रहा है कि छत्तीसगढ़ छतीसगढि़य़ों का है। नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक ने कहा पूर्व सरकार ने छत्तीसगढ़ी को राजभाषा का दर्जा दिया, लेकिन जिस तरह से छत्तीसगढ़ी भाषा को अपनाना था, उस तरह से नहीं अपनाया गया। नेता प्रतिपक्ष ने कहा छत्तीसगढ़ी राजभाषा तो बन गए लेकिन कामकाज की भाषा नहीं बना, जब तक कामकाज की भाषा नहीं बनेगी सम्मान नहीं मिलेगा।
    जकांछ एवं पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी ने भी अपनी बात छत्तीसगढ़ी में करते हुए कहा कि वे तो प्रथम मुख्यमंत्री के रूप में अपना शपथ छत्तीसगढ़ी में लेना चाहते थे, पर अधिकारियों ने कहा कि ऐसी व्यवस्था संविधान में नहीं है। सदन में अजीत जोगी ने किसी का नाम का जिक्र न करते हुए कहा कि, उन्हें तब बड़ी ठेस लगी थी जब यह कहा गया कि छत्तीसगढ़ी मजदूरों और गरीबों की भाषा है। इस दौरान उन्होंने दो छत्तीसगढ़ी मुहावरा का जिक्र भी करते हुए कहा कि जब उन्होंने इसका प्रयोग किया था तो पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय अटल बिहारी बाजपेई ने भी इसे सराहा था। अजीत जोगी ने कहा कि छत्तीसगढ़ी मीठी न गुरतुर भाषा है।

डॉ. चरणदास महंत ने सदन में पेश की मिसाल

विधानसभा के शीतकालीन सत्र के चौथे दिन गुरुवार को नगर पालिका निगम का संशोधन बिल सदन में पेश किया गया। इसमें ध्वनि मत पर विधानसभा अध्यक्ष डॉ. चरणदास महंत ने विपक्ष के ना शब्द को तवोज्ज दी और सदन में मिसाल पेश की।
उन्होंने मान्य परंपरा पर ध्यान न देते हुए नगर पालिक निगम संशोधन विधेयक पर ना के स्वर के कहने पर विपक्ष को बोलने का अवसर दिया। बता दें कि यह वही संशोधन विधेयक है, जिसके सदन से पास होने पर महापौर और अध्यक्ष पद के लिए प्रदेश में अप्रत्यक्ष प्रणाली प्रभावी हो जाएगा। किसी बिल को पारित करने का जो प्रचलन है वह ध्वनि मत है। कांग्रेस बहुमत में हैं और वे हां कहते हैं तो तेज होता है, विपक्ष की ना संख्याबल के आधार पर कमजोर होती है और प्रस्ताव पास हो जाता है। विपक्ष ने इस बिल के पेश होने पर आपत्ति की तो आसंदी ने कहा, अरे ना ला त बोल मैं फेर बोले बर देहूं न जी। आसंदी ने हां और ना में पक्ष मांगा और विपक्ष के ना को महत्व देते हुए उन्हें इस मामले पर बोलने का अवसर दिया। विधेयक को लेकर नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक बिल पर आपत्ति दर्ज कराई। विधानसभा अध्यक्ष ने इस पर सरकार से जवाब मांगा और विधेयक को मंजूरी दे दी। इस तरह पक्ष के साथ विपक्ष को सदन में बिल पर बोलने की अनुमति देकर विधानसभा अध्यक्ष ने मान्य परंपरा से इतर एक अनूठी पहल की है।

रायपुर और बलौदाबाजार-भाटापारा जिले के 9 उद्योगों पर जल का 2455.06 लाख रूपये बकाया

प्रदेश के रायपुर और बलौदाबाजार-भाटापारा जिले के 9 उद्योगों द्वारा जलाशयों और एनीकट से लिया जा रहा पानी का 2455.06 लाख रूपये की राशि बकाया है। यह जानकारी विधानसभा में जल संसाधन मंत्री रविन्द्र चौबे ने विधायक प्रमोद कुमार शर्मा के लिखित प्रश्रों के उत्तर में दी है।
मंत्री ने बताया कि रायपुर जिले मेें क्रमश: जायसवाल निको इण्डस्ट्रीज लिमि. पर 52.57 लाख रूपये, मोनेट इस्पात संयंत्र एंड एनर्जी लिमि. पर 1139.77
लाख रूपये, सीएसआईडीसी सिलतरा पर 895.67 लाख रूपये. सारडा एनर्जी एंड मिनरल्स लिमि. पर 188.27 लाख रूपये, एसकेएस इस्पात एंड पावर लिमि. पर 117.01 लाख रूपये, श्रीबजरंग पावर एण्ड इस्पात लिमि, पर 27.22 लाख रूपये, सीएसआईडीसी उरला पर 4.36 लाख रूपये की राशि बकाया है। इन सभी उद्योगों को जिले के 3 एनीकटों से जल प्रदाय किया जा रहा है।
इसी प्रकार बलौदाबाजार-भाटापारा जिले में नूवोको विस्टास कार्पोरेशन लिमि (लाफार्ज सीमेंट) उद्योग सोनाडीह पर 27.77 लाख रूपये एवं मेसर्स अनिमेश इस्पात प्रालि. बायोगैस पावर प्लांट खजुरी टाबाडीह (अस्थायी जल प्रदाय) पर 2.42 लाख रूपये की राशि बकाया है। इस तरह कुल 9 उद्योगों पर 2455.06 लाख रूपये की राशि बकाया है। इन उद्योगों को जिले के दो जलाशयों से जल प्रदाय किया जा रहा है।
मंत्री ने बताया कि इन सभी उद्योगों को देयर तैयार कर भुगतान हेतु प्रेषित किया गया है। देयर को भुगतान प्राप्त न होने की स्थिति में विभाग द्वारा संबंधित संस्थानों को नोटिस जारी किया जा रहा है। श्री चौबे ने एक प्रश्र के जवाब में यह भी बताया है कि रायपुर जिले में 26 एनीकट एवं 42 जलाशय तथा बलौदाबाजार-भाटापारा जिले में 21 एनीकट एवं 60 जलाशय निर्मित है।

दो बड़े बैराज शहर को मिली बड़ी सौगात

अरपा नदी में संरक्षण संवर्धन और सौंदर्यीकरण की बिलासपुर विधायक शैलेश पांडे की मांग पर जल संसाधन मंत्री रविंद्र चौबे ने दो बड़े बैराज निर्माण की विधानसभा में विधिवत घोषणा कर दी। विधानसभा चुनावों के दौरान कांग्रेस के घोषणा पत्र में शामिल किए जाने के बाद नगर विधायक शैलेश पांडेय इसकी मांग की थी। सदन में शैलेश पांडे की मांग पर जल संसाधन मंत्री रविंद्र चौबे ने अरपा नदी पर दो बड़े बैराज बनाए जाने की घोषणा कर दी है। जिससे कि बिलासपुर की आरपा नदी में 12 माह पानी रहेगा और अरपा नदी के गिरते जल स्तर को रोका जा सकेगा।
शैलेश पांडे के सदन में सवाल पर जल संसाधन मंत्री ने यह भी कहा कि अरिहर नदी से खुटाघाट को जोडऩे की परियोजना पर केंद्र सरकार के अनुमोदन के बाद कार्य शुरू किया जाएगा इसकी सभी तैयारियां पूर्ण की जा चुकी हैं। बिलासपुर शहर में बहने वाली अंत: सलिला आरपा नदी में 12 महीने शहर के लोगों को पानी मिल सकेगा। इसके लिए जल संसाधन मंत्री रविंद्र चौबे ने आज विधानसभा में विधिवत घोषणा कर दी है। नगर विधायक शैलेश पांडे की मांग पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से इस की घोषणा की मांग की थी। आज विधानसभा में शैलेश पांडे की मांग पर जल संसाधन मंत्री रविंद्र चौबे ने बिलासपुर शहर को बड़ी सौगात देते हुए अरपा नदी पर दो बड़े बैराज बनाने की घोषणा की है।
इस संबंध में जानकारी देते हुए नगर विधायक शैलेश पांडेय ने बताया पिछले 15 वर्षों में शहर के लोगों को टेम्स और साबरमती की तरह बनाने का नदी का सपना दिखा कर ठगा गया है और इन वर्षों में बिलासपुर की जनता पानी के लिए तरस रही थी, अरपा नदी का जलस्तर तेजी से नीचे गिर गया है और इस नदी को संरक्षित संवर्धित और इसके सौंदर्यीकरण के लिए कोई भी प्रयास नहीं किया गया था। भाजपा की सरकार ने बिलासपुर के लोगों को ठगा है और अरपा लगातार सूखती जा रही थी लेकिन कांग्रेस ने एनीकट और बैराज निर्माण को अपने घोषणा पत्र में प्राथमिकता से रखा था। सरकार बनने के बाद मुख्यमंत्री ने बिलासपुर आगमन पर इसकी घोषणा भी की थी। आज जल संसाधन मंत्री रविंद्र चौबे ने विधानसभा में दो बड़े बैराज निर्माण की घोषणा कर दी है। जल्द ही चयनित स्थानों पर दो बड़े बैराज निर्माण किए जाएंगे जिससे अरपा के पानी को रोका जा सकेगा और आज की सूखी अरपा में अब 12 महीने पानी रहेगा जिससे बिलासपुर शहर के लोगों की पानी की समस्या दूर हो जाएगी। इसी तरह अहिरन नदी को खुटाघाट से जोडऩे के लिए भी हमने मांग की थी जिस पर जल संसाधन मंत्री रविंद्र चौबे ने बताया कि इस परियोजना में लगभग 7 हजार करोड़ रुपए की परियोजना तैयार की गई है। केंद्र शासन से अनुमोदन मिलने के बाद यह भी कार्य जल्दी शुरू किया जाएगा। शैलेश पांडे ने बिलासपुर की जनता की ओर से सभी का आभार जताया है।

न्यूनतम समर्थन मूल्य पर पक्ष-विपक्ष के बीच जमकर नारेबाजी

सदन में भाजपा धान खरीदी का मुद्दा उठाते हुए खाद्य मंत्री अमरजीत भगत के न्यूनतम समर्थन मूल्य पर धान खरीदी किए जाने की घोषणा को किसानों के साथ धोखा बताया, जिस पर पक्ष-विपक्ष के बीच नारेबाजी शुरू हो गई। सदन में धान खरीदी का मुद्दा कांग्रेस विधायक धनेंद्र साहू ने उठाया। उन्होंने पूछा कि सेंट्रल पूल में कितना चावल केंद्र खरीदेगी, खाद्य मंत्री अमरजीत भगत ने कहा कि केंद्र के साथ अब तक एग्रीमेंट नहीं हुआ है। चावल कितना जमा होगा इसका निर्धारण अब तक नहीं हुआ है। इस पर धनेंद्र साहू ने पूछा कि क्या कारण है कि केंद्र ने अब तक सेंट्रल पूल में चावल लेने अपनी सहमति नहीं दी है? क्या वजह बताई है केंद्र सरकार ने? मंत्री भगत ने कहा कि 2018-19 में धान खरीदी 80 लाख मीट्रिक टन हुई थी। केंद्र सरकार ने कुछ शर्त रखी थी। पिछले साल राज्य सरकार ने 2500 रुपये समर्थन मूल्य पर धान खरीदी की थी, लेकिन खरीफ  फसल 2020 के लिए अनुमानित उपज 85 लाख मीट्रिक टन जाएगा। केंद्र ने शर्त रखी है कि यदि तय एमएसपी से ज्यादा दर पर खरीदी की जाएगी तो सेंट्रल पूल में चावल नहीं लिया जाएगा।
खरीफ  विपणन वर्ष 2019-20 में किसान पंजीयन का कार्य 7 नवंबर तक किया गया। किसानों द्वारा धान विक्रय के लिए लगभग 17 लाख किसानों ने 25, 60,143 हैक्टर रकबा का पंजीयन कराया था। पंजीयन के आधार पर 1,62,904 हेक्टेयर की वृद्धि देखी जा रही है। इधर राज्य शासन द्वारा धान खरीदी की दर 2500 रु.प्रति क्विंटल निर्धारित किए जाने के बाद विपक्ष ने सत्ता पक्ष पर किसानों को पूरा रकम दिए जाने पर जोर दिया है। लेकिन केंद्र के नियमानुसार राज्य सरकार धान का समर्थन मूल्य देना तय किया है और अंतर की राशि को गठित समिति के अनुशंसा के आधार पर दिए जाने की बात कह रही है।

रकबा कम करने पर हंगामा, विपक्ष का वाकआउट

बीजेपी ने किसानों के जमीन का रकबा कम किए जाने का मुद्दा गरमा गया है। विपक्ष का सीधा आरोप है कि सरकार कलेक्टर और पटवारी को जमीन का रकबा कम किए जाने का आदेश दिया है, जो किसानों के हित में नहीं है। आज सदन के चौथे दिन नेता प्रतिपक्ष ने इसी मसले पर काम रोको प्रस्ताव की बात कही। उसके बाद सदन में किसानों का रकबा कम किए जाने पर पक्ष और विपक्ष में काफी तकरार हुआ। जिसके बाद सरकार के खिलाफ नारेबाजी करते हुए विपक्षी दल भाजपा बसपा और जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ के सदस्य गर्भगृह में नारेबाजी करने लगे। जिसके बाद आसंदी ने 15 सदस्यों को निलंबित कर दिया। निलंबन के बाद विपक्ष विधानसभा परिसर में स्थित गांधी प्रतिमा के सामने सरकार के खिलाफ  जमकर नारेबाजी की और रकबा कम किए जाने के निर्णय को वापस लेने दबाव बनाया। इस बीच संसदीय कार्य मंत्री रविंद्र चौबे ने गांधी प्रतिमा के सामने आकर विपक्ष को मनाने की कोशिश की और विपक्ष के दबाव के बाद संसदीय कार्य मंत्री ने पूरे विपक्ष को आश्वस्त किया कि रकबा कम किए जाने के निर्णय को सरकार वापस लेगी। तब जाकर कहीं विपक्ष शांत हुआ। हालांकि मीडिया से चर्चा के दौरान भाजपा और जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ के नेताओं ने साफ  तौर पर इस निर्णय को सरकार के द्वारा किसानों के खिलाफ  उठाया गया निर्णय बताया है।
इधर इस मसले पर सत्ता पक्ष की ओर से खाद्य मंत्री अमरजीत भगत ने कहा कि विपक्ष द्वारा यह कहा जाना कि कलेक्टर और पटवारी को सरकार ने आदेश दिया है, सरासर गलत है। उन्होंने कहा किसानों की गीदवारी के लिए जरूर कहा गया है ताकि कोई भी किसान को धान का मूल्य लेने में दिक्कत ना हो। आसंदी ने विपक्ष के निलंबन को रद्द कर दिया जिसके बाद विपक्ष ने सदन में शामिल होकर किसानों के रकबा कम किए जाने पर चर्चा की।

शिक्षाकर्मियों के लिए सदन से आई बुरी खबेर, 8 वर्ष में होगा संविलियन

प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनने के बाद संविलियन का इंतजार कर रहे शिक्षाकर्मियों के लिए एक बुरी खबर है। संविलियन पूर्व की भांति 8 साल या उससे अधिक की सेवा पूर्ण कर चुके शिक्षाकर्मियों का होगा। पंचायत मंत्री टीएस सिंहदेव ने ये जवाब विधानसभा में अतरांकित सवाल के जवाब में दिया है। लालजीत सिंह राठिया के सवाल का जवाब देते हुए सिंहदेव ने कहा है कि प्रदेश में पंचायत विभाग के अंतर्गत संविलियन से वंचित शिक्षाकर्मियों की संख्या 16 हजार 366 है। व्याख्याता पंचायत की संख्या 8903, शिक्षक पंचायत की संख्या 2224 और सहायक शिक्षक पंचायत की संख्या 5239 है। लालजीत सिंह राठिया ने सवाल पूछा था कि प्रदेश में अभी संविलियन से वंचित शिक्षाकर्मियों की संख्या कितनी है और उन शिक्षाकर्मियों का संविलियन कब तक कर दिया जायेगा। जवाब में मंत्री सिंहदेव ने संविलियन से वंचित शिक्षाकर्मियों की संख्या 16 हजार 366 बतायी है। संविलियन की अवधि के बारे में कहा है कि 8 साल या उससे अधिक की सेवा पूर्ण करने पर संवलियन की प्रक्रिया निर्धारित है, उसी के अनुरूप कार्रवाई की जायेगी।
बता दें कि शिक्षाकर्मियों के लिए कांग्रेस ने अपने घोषणा पत्र में ऐलान किया था कि 2 साल की सेवा पूर्ण करने वाले शिक्षाकर्मियों का संविलियन कर दिया जायेगा। इस घोषणा के बाद शिक्षाकर्मी खुश थे, लेकिन अब इस जवाब के बाद शिक्षाकर्मियों में निराशा बढ़ सकती है। क्योंकि शिक्षाकर्मी को इस बात की उम्मीद थी कि राज्य सरकार भले ही पहले साल किसानों की कर्जमाफी की वजह से उनसे किया वादा पूरा नहीं कर पाया, लेकिन अगले साल उनकी मांगें जरूर पूरी हो जायेगी। उसी तरह संविदा कर्मचारियों के नियमितिकरण को लेकर भी लिखित जवाब मंत्री टीएस सिंहदेव का आया है। उन्होंने लालजीत सिंह राठिया के ही एक अन्य सवाल के जवाब में बताया है कि प्रदेश के चिकित्सा विभाग में अभी संविदा पर 1112 कर्मचारी-अधिकारी तैनात हैं। संविदा पर कार्यरत कर्मचारियों के नियमितिकरण को लेकर समय बता पाना संभव नहीं है।

सदन में गरमाया शराब बिक्री का मामला

जेसीसी (जे) विधायक धरमजीत सिंह ने विधानसभा में शीतकालीन सत्र के शून्यकाल में शराब बिक्री का मामला उठाया। उन्होंने कहा शराब की बिक्री को लेकर सदन में हुई कार्यवाही और आकंड़ों का आबकारी का अधिकारी बाहर खंडन कर रहा है। उन्होंने कहा मैंने मंत्री और अधिकारी के खिलाफ विशेषाधिकार हनन का आवेदन दिया है। सदन की विशेषाधिकार कमेटी द्वारा इस मामले की जांच की जाए। पूर्व मुख्यमंत्री और जेसीसी विधायक अजीत जोगी ने भी कहा कि हमारी इज्जत को बचाइए। यह सदन की अवमानना है। इस पर व्यवस्था आनी चाहिए। वहीं अजय चन्द्राकर ने कहा कि यह दुख की बात है। संसदीय कार्यमंत्री भी इसे संज्ञान नहीं ले रहे।

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