छत्तीसगढ

टोल नं. 181 की प्रभारी को थाना सिविल लाईन के मार्फत तलब करने का निर्देश, महिला आयोग की पहल से एक जोड़े का हुआ पुर्नमिलन

रायपुर, 17 मार्च। छत्तीसगढ़ राज्य महिला आयोग अध्यक्ष डॉ किरणमयी नायक ने आज दूसरे दिन आयोग कार्यालय में महिलाओं से सम्बंधित प्रकरणों की सुनवाई की। सुनवाई के दौरान एक प्रकरण में 10,000/- मासिक भरण-पोषण तय किया गया।
एक प्रकरण में जिला पदाधिकारी यदि महिला आयोग में उपस्थित रहते है तो ऐसी दशा में 181 की प्रभारी जो महिला आयोग के अधीनस्थ है और सुनवाई में जान बूझकर अनुपस्थित रही इसे गंभीरता से लिया गया और थाना प्रभारी सिविल लाईन को अवगत कराया गया है।
कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता एवं जनसंचार विश्वविद्यालय प्रकरण के मामले में आपसी राजीनामा से प्रकरण को नस्तीबद्ध किया गया और वही उपस्थित अधिकारियों को यह सुनिश्चित कराया गया कि विश्वविद्यालय में आंतरिक परिवाद समिति का गठन तत्काल करें और आंतरिक परिवाद समिति गठन पश्चात उसका पोस्टर अपने परिसर में आवश्यक रूप से लगवाये।
सेवा में निम्नता या स्थानांतरण और अनियमितता से बचने के लिये महिला आयोग ना आयें।
एक प्रकरण में रोजगार सहायिका के पद पर कार्यरत है विभागीय सेवा में कमी होने पर या तबादला होने पर विभागीय प्रक्रिया के तहत उच्चाधिकारी को शिकायत किया जा सकता है। ऐसा न करते हुए महिला आयोग में शिकायत की है, जो महिला आयोग के अधिकार क्षेत्र का नहीं होने के कारण इस प्रकरण को नस्तीबद्ध किया गया है।
एक अन्य प्रकरण में दोनों पक्षों को समझाइश देने के बाद दोनों पक्षों के बीच समझौते की कोई गुंजाइश नहीं है। आवेदिका को अनावेदक 10 हजार रूपये प्रतिमाह भरण-पोषण देने को तैयार है। 6 माह तक दोनों पक्षों को समय दिया जाता है। बातचीत से सुलह का रास्ता निकालने और प्रतिमाह वेतन मिलने के बाद माह के दूसरे सप्ताह में भरण-पोषण राशि उसके बैंक एकाउंट में RTGS से भेजेंगे। 6 माह तक दोनों को निगरानी के लिये रखा गया।
एक जोड़े को पुनर्मिलन हुआ जिसमें दोनों पक्षों ने अपनी लिखित शर्तें बनाई है जिसमें दोनों की सहमति स्वरूप अपने हस्ताक्षर किये है और महिला आयोग के प्रकरण में संलग्न किया गया है। दोनों को समझाइश दी गई है। दोनों राजीखुशी से अपना जीवन-यापन करें परंतु प्रकरण को अभी समाप्त नहीं किया जा रहा है। प्रकरण 2 माह की निगरानी के लिये रखा गया।
एक अन्य प्रकरण में अनावेदक ने आवेदिका को भरण-पोषण देने के लिये मना किया स्वयं को बेरोजगार बताता है और पत्नी को 12 लाख के गहने दिये है और आज माता-पिता को लेकर नहीं आया है। झूठ बोलने वाले अनावेदक को फटकार लगाई गयी। आगामी सुनवाई में व्यवहार सुधारने की समझाईश भी दिया गया।
एक अन्य प्रकरण में अनावेदक सूचना के बावजूद जान-बूझकर अनुपस्थित है। सुनवाई दिनांक 25 मार्च को थाना प्रभारी सिविल लाइन के माध्यम से अनावेदक को आवश्यक रूप से उपस्थित सुनिश्चित करावें।
एक अन्य प्रकरण में आरोपी को नहीं पकड़ने पर थाना प्रभारी बसना को प्रकरण में आहूत किया गया अगस्त से सभी अपराधियों को अब तक नहीं पकड़ने पर प्रकरण को संज्ञान में लेकर थाना प्रभारी महासमुंद को पत्र भेजकर सभी अपराधियों को उपस्थित करें।
एक अन्य प्रकरण में आवेदिका के द्वारा अनावेदक के विरूद्ध थाना बसना में एफआईआर दर्ज की गई है इसके बावजूद अब तक अपराधी को पकड़ा नहीं गया है। ऐसी स्थिति में थाना प्रभारी बसना को पत्र भेजकर उपस्थित कराने के निर्देश दिये गये।

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