छत्तीसगढ

मन में दृढ़ इच्छाशक्ति हो तो कितनी भी बाधा आए तो लक्ष्य को प्राप्त करने से कोई रोक नहीं सकता: अनुसुईया उइके

रायपुर, 8 सितम्बर। मन में दृढ़ इच्छाशक्ति हो तो कितनी भी बाधा आए तो लक्ष्य को प्राप्त करने से कोई रोक नहीं सकता। चाहे यह बाधा शारीरिक रूप से या अन्य किसी रूप में।
दिव्यांगजनों में आत्मविश्वास जगाकर उन्हें अवसर एवं सुविधाएं उपलब्ध कराया जाए तो वे सामान्य व्यक्ति ही नहीं, हो सकता है वे उनसे भी अच्छा अपना प्रदर्शन करे। यह विचार राज्यपाल सुश्री अनुसुईया उइके नेे व्यक्त किए। राज्यपाल जन कल्याण एवं ग्लोबल फोरम ऑफ रेहबिलटेशन संस्था द्वारा आयोजित ‘‘सक्षम दिव्यांगजन आत्मनिर्भर भारत’’ विषय पर आयोजित वेबिनार को संबोधित कर रही थी। राज्यपाल ने इस आयोजन के लिए आयोजकों को बधाई एवं शुभकामनाएं दी।
सुश्री उइके ने सुझाव देते हुए कहा कि दिव्यांगजनों की मदद के लिए एक बजट में हिस्सा का प्रावधान होना चाहिए, जिससे उन्हें स्व रोजगार शुरू करने में मदद मिलें। हम उनके कल्याण के लिए कार्य करते रहेंगे तो निश्चित ही आत्मनिर्भर भारत का संकल्पना साकार होगी। राज्यपाल ने कहा कि इस वेबिनार से जो निष्कर्ष बनाकर मुझे भेजे उसे मैं एक पत्र के माध्यम से राष्ट्रपति या प्रधानमंत्री को प्रेषित करूंगी। उन्होंने कहा कि गत दिनों राजभवन में छत्तीसगढ़ के राज गीत को वहां के दिव्यांग बच्चियों ने इतनी सुंदर प्रस्तुति दी, वह मन को छू गई थी। राज्यपाल ने भिलाई की उड़ान संस्था द्वारा किए जा रहे कार्यो का उल्लेख कर कहा कि ऐसी अन्य संस्थाओं को दिव्यांगों के कल्याण के लिए भी कार्य किए जाना चाहिए।
 उन्होंने कहा-दिव्यांग बच्चे भी सामान्य बच्चों की तरह हैं, बस कुछ विषयों में वे थोड़ी सी भिन्नता होती है। उन पर यदि ध्यान दिया जाए, तकनीकी रूप से इन्हें ठीक किया जाए तो ये सामान्य बच्चों की तरह से आसानी से काम कर सकते हैं। इस संबंध में शिक्षा की अद्भुत भूमिका हो सकती है। सबसे पहले तो हमें यह महसूस करना है और इस तथ्य को जानना है कि दिव्यांगजनों में भी वो कमाल की क्षमता है जो एक सामान्य इंसान में होती है जो उसे जीवन में असाधारण ऊंचाइयां प्रदान कर सकती है।
राज्यपाल ने कहा कि यदि हम कार्यक्रम के विषय की बात करें तो आत्मनिर्भर भारत का अर्थ है कि हम हमारे देश में निर्मित उत्पादों का उपयोग करें। साथ ही जो उत्पाद दूसरे देशों से मंगाते हैं, उसका उत्पादन अपने देश में ही करें। स्वदेशी उत्पादों को प्रोत्साहन दे और उसका उपयोग करें। हालांकि पिछले कुछ समय से समाज में जागृति आई है। उन्होंने कहा दिव्यांगजनों में भी समाज के अन्य व्यक्तियों जैसी क्षमता होती है हो सकता है कि उससे अधिक क्षमता हों। मेरा सुझाव है कि दिव्यांगजनों के स्वयंसहायता समूह बनाया जाए तथा खादी ग्रामोद्योग आयोग तथा अन्य विभागों के शासकीय योजनाओं से जोड़ें, उन्हें अपने उद्यम स्थापित करने के लिए सहयोग मिल सकता है। उन्हंे छोटे-छोटे उद्योगों स्थापित करने के लिए प्रोत्साहित करें।
उन्होंने कहा सामाजिक संस्थाओं के माध्यम से हम यह प्रयास करें कि दिव्यांगजनों के द्वारा बनाए गए उत्पादों को बाजार उपलब्ध कराएं और उनका प्रचार-प्रसार करें। इससे अवश्य ही इसका प्रतिसाद मिलेगा इससे उनके आय में वृद्धि होगी और वे अपने पैरों पर खड़े हो सकेंगे। इस अवसर पर कृषि राज्य मंत्री श्री पुरषोत्तम रूपाला के संदेश का प्रसारण किया गया। कार्यक्रम में संस्थापक अध्यक्ष जनकल्याण सुश्री मोनिका अरोरा तथा अन्य गणमान्य नागरिक उपस्थित थे।

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