छत्तीसगढ

डिजिटल माध्यम से मानसिक स्वास्थ्य के बारे में किया जायेगा जागरूक

रायपुर, 10 अक्टूबर। विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस पर जिला चिकित्सालय स्पर्श क्लिनिक रायपुर द्वारा फेसबुक पेज के माध्यम फेसबुक लाइव की शुरुआत की जाएगी । जिसके तहत आमजन को डिजिटल माध्यम से मानसिक स्वास्थ्य और मानसिक रोगों के बारे में जागरूक किया जाएगा । साथ ही इस अवसर पर ऑल इंडिया इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस (एम्स) और स्पर्श क्लिनिक रायपुर के सहयोग से निर्मित मानसिक स्वास्थ्य पर प्रेरणादायक एक डॉक्यूमेंट्री का लोकार्पण भी किया जाएगा ।फेसबुक लाइव शाम 3-4 बजे तक किया जायेगा ।
स्पर्श क्लीनिक के मनोचिकित्सक डॉ. अविनाश शुक्ला ने बताया इस बार डिजिटल तकनीक के द्वारा आमजन तक मानसिक स्वास्थ्य और मानसिक रोगों के बारे में जागरूकता का काम किया जाएगा । इसके अलावा फेसबुक पेज पर मानसिक स्वास्थ्य संबंधित प्रश्न भी भेजे जा सकते हैं । जिसके उत्तर आने वाली परिचर्चा में दिए जाएंगे । दिए गए फेसबुकलिंक के माध्यम से लोग इस परिचर्चा में शामिल हो सकते हैं। https://www.facebook.com/dmhpraipur फेसबुक लाइव के माध्यम से आत्महत्या की रोकथाम, मोबाइल नशा मुक्ति सहित नवीन मनोविकारों की रोकथाम बच्चों में बढ़ रहे मोबाइल एडिक्शन, नशा, तनाव, डिप्रेशन, विवाह पूर्व और विवाहोत्तर जिज्ञासाओं और मनोदशा से जुड़ी हुई भ्रांतियों को दूर करने के उद्देश्य से नियमित रूप से इस की परिचर्चाओं का आयोजन किया जाऐगा। जिससे समाज में मनोरोग के प्रति फैली भ्रांतियां दूर की जाएंगी।
फेसबुक लाइव के माध्यम से चाइल्ड साइकोलॉजी पर भी विशेषज्ञों द्वारा चर्चा की जाएगी ।विशेष रूप से मानसिक रोगों के बारे में आम जनता को जागरूक किया जाएगा साथ ही सकारात्मक मानसिक स्वास्थ्य और तनाव प्रबंधन जैसे विषयों पर भी जानकारी उपलब्ध कराई जाएगी ।
हर 40 सेकंड में 1 व्यक्ति आत्महत्या करता है
डब्ल्यूएचओ के आंकड़ों की मानें तो दुनियाभर में हर 40 सेकंड में 1 व्यक्ति आत्महत्या करता है। इस हिसाब से आत्महत्या की वजह से हर साल करीब 8 लाख लोगों की मौत हो जाती है। आत्महत्या एक ऐसी स्थिति है जो बेहद गंभीर और दुखद है लेकिन इसे रोका जा सकता है क्योंकि आत्महत्या अपने आप में कोई मानसिक बीमारी नहीं है बल्कि इसके पीछे कई वजहें जुड़ी होती हैं। मानसिक बीमारी, डिप्रेशन, ऐंग्जाइटी बहुत सारी वजहें होती हैं जो इंसान को आत्महत्या करने के लिए मजबूर करती हैं।अब तक हो चुकी ढेरों रिसर्च और स्टडीज में यह बात साबित हो चुकी है कि युवाओं के बीच मानसिक बीमारियां तेजी से बढ़ रही हैं, खासकर 35 साल के कम उम्र के युवाओं के बीच। मानसिक बीमारियों को रोका जा सकता है लेकिन सिर्फ तभी जब इस पर ध्यान दिया जाए। ज्यादातर लोग अपने शरीर को लेकर पूरी तरह से सजग रहते हैं शारीरिक स्वास्थ्य का पूरा ध्यान रखते हैं लेकिन दिमाग को नजर अंदाज कर देते हैं।

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