Taliban 2.0: विदेशी सेनाओं को अब अधिक समय तक बर्दाश्त करने के मूड में नहीं है तालिबान, जानें- क्या कहा
काबुल, 25 अगस्त। अफगानिस्तान से अमेरिकी सेना की वापसी की तय सीमा करीब आ गई है। वहीं आशंका इस बात की जताई जा रही है कि अमेरिका समेत अन्य देशों की सेना की पूरी वापसी सितंबर या उसके बाद तक मुमकिन हो पाएगी। ब्रिटेन ने इसके सीधे संकेत दिए हैं। ब्रिटेन का कहना है कि तालिबान इस बात को लेकर अंतरराष्ट्रीय जगत को आश्वस्त करे कि वो अगस्त के बाद होने वाली जवानों की वापसी में कोई अड़ंगा नहीं लगाएगा। वहीं, दूसरी तरफ तालिबान ने बेहद स्पष्ट शब्दों में ये कह दिया है कि वो किसी भी सूरत में विदेशी सेनाओं की वापसी को अगस्त से आगे की समय सीमा देने के लिए तैयार नहीं है।
तालिबान के प्रवक्ता जबीहुल्लाह मुजाहिद ने एक प्रेस वार्ता के दौरान ये साफ कर दिया है कि तालिबान अब विदेशी सेनाओं की वापसी में देरी को बर्दाश्त नहीं करेगा। लिहाजा उन्हें अपनी दी गई तय सीमा तक वापस जाना ही होगा, नहीं तो इसके दुष्परिणाम झेलने होंगे। मुजाहिद ने ये भी कहा है कि अमेरिका अपने लोगों को लेकर तय सीमा में ही यहां से चला जाए।
गौरतलब है कि पिछले वर्ष अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के शासन में तालिबान और अमेरिका के बीच समझौता हुआ था। इसके तहत अमेरिका को 31 मई 2021 तक अपनी सारी सेना के साथ यहां से वापस जाना था। जनवरी में सत्ता संभालने वाले जो बाइडन ने इसकी समय सीमा को बढ़ाकर 31 अगस्त कर दिया था। उस वक्त भी तालिबान ने इस पर आपत्ति जताई थी। लेकिन अब इसकी समय सीमा बढ़ाने को लेकर तालिबान पहले से कहीं अधिक सख्त नजर आ रहा है।
मुजाहिद ने ये भी कहा है कि वो अमेरिकी खुफिया एजेंसी सीआईए और तालिबानी नेता मुल्ला अब्दुल गनी बरादर के बीच हुई मीटिंग से अवगत नहीं है। हालांकि उन्होंने इसका खंडन भी नहीं किया है। उनके मुताबिक ऐसा हो सकता है। गौरतलब है कि वाशिंगटन पोस्ट ने मंगलवार को इस बात की जानकारी दी थी कि सीआईए चीफ विलियम बन्र्स की बरादर से सीक्रेट वार्ता हुई है।
जबीहुल्लाह ने ये भी कहा है कि देश में हालात सामान्य हो रहे हैं लेकिन काबुल एयरपोर्ट पर हालात लगातार खराब हैं। वहां पर समस्या लगातार बनी हुई है। जर्मनी ने कहा है कि पश्चिमी देश या अमेरिका के सहयोगी देश उन सभी अफगानियों को बाहर नहीं निकालने वाले हैं जो काबुल में उनकी सुरक्षा करते आए हैं। जर्मनी के विदेश मंत्री हीको मास की तरफ से ये भी कहा गया है कि 31 अगस्त या उससे कुछ दिन बाद की समय सीमा जवानों को काबुल से बाहर निकालने के लिए नाकाफी है।
इसी तरह से फ्रांस ने कहा है कि यदि अमेरिका वापसी की समय सीमा बढ़ाता है तो वो गुरुवार को काबुल एयरपोर्ट से अपना इवेक्युएशन प्रोग्राम खत्म कर देगा। स्पेन ने भी अपने दूतावास पर लगे सभी अफगानी सुरक्षाकर्मियों को अपने साथ ले जाने से साफ इनकार कर दिया है। स्पेन ने कहा है कि वो ऐसा करने में सक्षम नहीं है।