Privacy is threatened, from bedrooms to bathrooms! Eyes peer into homes from the height of flyovers... A voice raised in the High Court... A stern warning to the government.Violates Privacy

जबलपुर, 23 सितंबर। Violates Privacy : जबलपुर के सबसे महंगे और भव्य 1100 करोड़ रुपये की लागत से तैयार हुए फ्लाईओवर पर अब निजता उल्लंघन का विवाद खड़ा हो गया है। यह फ्लाईओवर, जो तकनीकी रूप से शहरी विकास का प्रतीक माना जा रहा था, अब स्थानीय निवासियों के लिए असहजता और संकट का कारण बन गया है।

दरअसल, फ्लाईओवर इतना ऊंचा और रिहायशी इलाकों के इतने करीब से गुजर रहा है, कि उससे गुजरने वाले वाहन चालकों की नजर सीधे घरों के कमरे, रसोई और बालकनी तक पहुंच रही है। इससे नागरिकों की प्राइवेसी (निजता) पर गहरा संकट उत्पन्न हो गया है।

मामला पहुंचा हाईकोर्ट, कोर्ट ने दिए त्वरित निर्देश

इस मुद्दे को लेकर अधिवक्ता अलका सिंह ने मध्य प्रदेश हाईकोर्ट में जनहित याचिका दाखिल की, जिसमें फ्लाईओवर की बनावट को निजता के मौलिक अधिकार के खिलाफ बताया गया। याचिका में यह मांग की गई कि, फ्लाईओवर के दोनों ओर “व्यू कटर्स” (Privacy Screens) लगाए जाएं। एंट्री और एग्जिट पॉइंट्स पर स्पष्ट संकेतक लगाकर ट्रैफिक को सुगम बनाया जाए। दशहरे जैसे आयोजनों के दौरान सुरक्षा बलों की तैनाती सुनिश्चित की जाए।

हाईकोर्ट ने याचिका को गंभीर मानते हुए राज्य सरकार को त्वरित कार्रवाई के निर्देश दिए हैं। कोर्ट ने कहा कि यह मामला नागरिकों के मौलिक अधिकारों से जुड़ा है और इसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।

व्यू कटर के उपयोग पर विचार कर रही है सरकार

राज्य सरकार की ओर से कोर्ट को सूचित किया गया कि फ्लाईओवर पर व्यू कटर्स लगाने के प्रस्ताव पर विचार किया जा रहा है। वहीं, ट्रैफिक और सुरक्षा की स्थिति सुधारने के लिए प्रशासन ने पुलिस बल की तैनाती और दिशा संकेतक लगाने की बात भी कही है।

शहरवासियों की चिंता वाजिब

विशेषज्ञों का कहना है कि इस तरह के निर्माण में शहरी गोपनीयता (Urban Privacy) और सामाजिक प्रभाव का आकलन पहले ही किया जाना चाहिए था। जबलपुर का यह मामला शहरी नियोजन (Urban Planning) की खामियों की ओर इशारा करता है।

विकास और गोपनीयता के टकराव के इस मामले ने यह स्पष्ट (Violates Privacy) कर दिया है कि अधोसंरचना परियोजनाएं केवल तकनीकी दृष्टि से ही नहीं, बल्कि सामाजिक और संवैधानिक दृष्टिकोण से भी संतुलित होनी चाहिए। हाईकोर्ट के हस्तक्षेप से उम्मीद है कि सरकार अब लोगों की निजता का सम्मान करते हुए आवश्यक उपायों को शीघ्र अमल में लाएगी।

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