World Breastfeeding Week : शिशु के बेहतर स्वास्थ्य के लिए स्तनपान पर जोर
दुर्ग, 1 अगस्त। World Breastfeeding Week : शिशुओं के बेहतर स्वास्थ्य के लिए स्वास्थ्य विभाग तथा महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा सोमवार से जिले भर में विश्व स्तनपान सप्ताह मनाया जाएगा। इस दौरान धात्री माहिलाओं को स्तनपान कराने से होने वाले स्वास्थ्यगत लाभ की जानकारी दी जाएगी तथा उचित पोषण आहार व स्वच्छता के प्रति भी उन्हें जागरुक भी किया जाएगा। यह सभी कार्यक्रम कोरोना संक्रमण से बचाव हेतु शासन द्वारा जारी गाइडलाइन का पालन करते हुए आयोजित किए जाएंगे।
शिशुओं को स्तनपान कराने के प्रति समाज में जागरुकता लाने तथा इस विषय में व्याप्त विभिन्न भ्रांतियों को दूर करने के लिए हर साल 1 से 7 अगस्त तक विश्व स्तनपान सप्ताह मनाया जाता है। इस बार विश्व स्तनपान सप्ताह की थीम “ये मौका छूटे ना‘‘ रखी गई है। इस थीम के साथ जिला, ब्लॉक व ग्राम स्तर पर कार्यशाला, प्रदर्शनी, फिल्म शो, प्रश्नोत्तरी व परिचर्चा जैसे विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे।
1 से 7 अगस्त तक होंगे विभिन्न जागरूकता कार्यक्रम
स्वास्थ्य विभाग और महिला एवं बाल विकास विभाग के (World Breastfeeding Week) मैदानी अमले के साथ जनप्रतिनिधि सहित महिला समूहों तथा अधिक से अधिक महिलाओं को शामिल किया जाएगा। आंगनवाड़ी और ग्राम स्तर पर नारे लेखन, वॉल रायटिंग, पोस्टर-बैनर के माध्यम से स्तनपान से संबंधित महत्वपूर्ण संदेशों का प्रचार-प्रसार किया जाएगा।स्तनपान सप्ताह के सुचारू संचालन के लिए आंगनवाड़ी कार्यकर्ता व मितानिन को भी विभिन्न जिम्मेदारियां सौंपी गई हैं।
इस संबंध में महिला एवं बाल विकास विभाग के जिला कार्यक्रम अधिकारी विपिन जैन ने बताया “विश्व स्तनपान सप्ताह की सार्थकता के लिए विशेष रूप से जिले के स्वास्थ्य केंद्रों में अस्थाई ब्रेस्ट फीडिंग कॉर्नर बनाए गए हैं जहां पर शिशुवती माताओं को स्तनपान के संबंध में आवश्यक जानकारी दी जाएगी। इसके अलावा शिविर के माध्यम से भी शिशुवती माताओं को स्तनपान के विषय में जागरुक करने का प्रयास किया जाएगा।साथ ही आंगनवाड़ी कार्यकर्ता व मितानिन घर-घर जाकर गर्भवती महिलाओं व शिशुवती माताओं को स्तनपान कराने के तरीके सिखाएंगी।”
मां का दूध सर्वोत्तम पौष्टिक आहार -इस संबंध में मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. जेपी मेश्राम ने बतायाः “विश्व स्तनपान सप्ताह का उद्देश्य प्रसूता व शिशु के मध्य स्तनपान के लिए जागरूकता बढ़ाना है। प्रसव के तुरंत बाद एक घंटे के भीतर शिशु को मां के स्तनपान से मिलने वाला गाढ़ा दूध शिशु के स्वास्थ्य के लिए बेहद लाभदायक होता है, इसीलिए शिशु को स्तनपान अवश्य कराना चाहिए। मां के दूध से बच्चे को रोगों से लड़ने की शक्ति मिलती है। इसीलिए 6 महीने तक शिशु को केवल स्तनपान ही कराना चाहिए। इसके बाद स्तनपान कराने के साथ-साथ ऊपरी पौष्टिक पूरक आहार भी देना चाहिए।”
सुपोषण की स्थिति में अब काफी सुधार
दुर्ग जिले में सुपोषण अभियान के अंतर्गत किए गए प्रयासों का बेहतर (World Breastfeeding Week) परिणाम आया है। एनएफएचएस-4 के आंकड़ों के अनुसार जहां जिले में 36 प्रतिशत बच्चे कम वजन के थे, वहीं एनएफएचएस-5 के आंकड़ों में अब यह दर घटकर 27 प्रतिशत ही रह गई है यानि पहले के मुकाबले 9 प्रतिशत बच्चे सामान्य वजन की श्रेणी में पहुंच गए हैं जो कि सुखद है।