एक भाई ने सहेजा- ट्रांसजेंडर विकास से लेकर विद्या राजपूत बनने की दास्तां
रायपुर। ये हैं विद्या राजपूत। इन्हें देश और छत्तीसगढ़ में तमाम समाजसेवी, नौकरशाह और समस्त थर्ड जेंडर्स बहुत बेहतर से जानते हैं। इन्होंने थर्ड जेंडर्स के समानता, अधिकारों और सम्मान के लिए कम समय मे बेहद कठिन लड़ाई लड़ी है और सफलता पाई है। अभी 22 नवम्बर 2019 को ‘द न्यूयार्क टाइम्स’, अमेरिका ने विद्या की सक्सेस स्टोरी प्रकाशित की है।
फरसगांव, जिला – कोंडागांव (बस्तर) के निवासी विकास राजपूत की यह कहानी अद्भुत है। विकास एक कोमल और शिष्ट व्यवहार गुणयुक्त लड़का था। इसके भाव कुछ स्त्रियोचित थे इसलिये इसके प्रति परिवार और समाज का रवैया कुछ अलग ही था। पढ़ाई आदि करने के बाद विकास का काम काज की तलाश में रायपुर आना हुआ और यहां उसकी मुलाकात कुछ थर्ड जेंडर्स से हुई।
विकास ने पाया कि इनका कोई सामाजिक स्टेटस ही नही है तो उनके लिए काम मिल पाना आसान नहीं है, लिहाजा विकास का संघर्ष यहां से शुरू हुआ। काफी समय जद्दोजहेद करने के बाद कुछ थर्ड जेंडर को लेकर 2010 में एक NGO Mitwa Samiti का गठन किया। विकास को यह पता था कि जब तक संवैधानिक और राजकीय व्यवस्था थर्ड जेंडर्स के लिए कुछ नही करेगा तब तक कुछ होने से रहा। आरम्भ में अधिकारी और समाजसेवी भी हंसते थे कि इनके लिए क्या हो सकता है, पर विकास की अपनी जबरदस्त कन्विंसिंग पावर, प्रेजेंटेशन और काम के जज्बे से सबको प्रभावित किया और समाज के उस छूटे हुए हिस्से को समाज से जोड़कर आगे बढ़ते गया। आज जो एक मुक्कमल स्थिति समाज में थर्ड जेंडरों के लिए बना है, निःसन्देह विकास उर्फ विद्या की भूमिका अहम है।
विद्या ने मितवा समिति के माध्यम से छ.ग. में काम के लिए 20 बिंदु निर्धारित किये गए थे, जिनमे 18 पूरे हुए हैं, देखिये – थर्ड जेंडर वेलफेयर बोर्ड छत्तीसगढ़ का गठन, स्कूल पाठ्यक्रम में शामिल, प्रशिक्षण संस्थाओं में तृतीय लिंग विषय को शामिल, आवासीय सुविधा, अपशब्द पर प्रतिबंध, विभिन्न फर्मों में तृतीय लिंग का कॉलम, थर्ड जेंडर स्पोर्ट्स मीट, सामूहिक विवाह को सामाजिक मान्यता, जागरूकता अभियान, कम्युनिटी मोबिलाइजेशन, राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय प्रतिनिधित्व, सामुदायिक भवन, टॉस्क फोर्स, थर्ड जेंडर वेलफेयर कमेटी, तृतीय लिंग परिचय पत्र, स्पोर्ट्स पॉलिसी, सांस्कृतिक कार्यक्रमों में भागीदारी, राजनीतिक क्षेत्रों में भागीदारी और कौशल विकास प्रशिक्षण में भागीदारी। अभी आरक्षण और ट्रांसजेंडर कमीशन बाकी है। आरक्षण में भी थर्ड जेंडर को obc केटेगिरी मिली है। विद्या और उसके सहयोगियों के प्रयासों से उद्योग विभाग छत्तीसगढ़ शासन ने अपनी उद्योग नीति 2019 से 2024 में तृतीय लिंग व्यक्तियों को भी उद्योग का अवसर दिया है।
इस कार्यों के साथ साथ विकास ने विद्या होने के लिए अपना शरीर बदलना शुरू किया। मेडिकल ट्रीटमेंट शुरू करवाया और बाल बढ़ाये। बॉडी ट्रांफार्मेशन की लंबी और जटिल प्रक्रिया को पूरा किया। शरीर और मन तो विद्या का था ही, अब तन भी पा लिया। विद्या थर्ड जेंडर नही, बल्कि ट्रांसजेंडर है। बहरहाल, विद्या के बारे में आप कल के ‘द न्यूयार्क टाइम्स’ के इस लिंक में जाकर पढ़ें, बहुत कुछ जान पाएंगे। बहुत दुआएँ विद्या। हम सबको तुमपर गर्व है।
– भाई पीयूष कुमार