गायो की मौत नही, गौ हत्या है, गौठान, रोका छेका से लेकर गोधन योजना सभी सुपर फ्लॉप

रायपुर, 27 जुलाई। विधायक एवं पूर्व मंत्री बृजमोहन अग्रवाल ने बिलासपुर जिले के तखतपुर ब्लाक में मेडापार गांव में 47 से अधिक गायों की दम घुटने से हुई दर्दनाक मौत को सीधा सीधा गौ हत्या करार देते हुए कहा कि सरकार के रोका छेका के निर्देश के बाद बिना किसी तैयारी के इनके धरातल पर लाने प्रशासनिक आतंक के चलते रोका छेका के नाम पर गांव गांव में यही हाल है। ये तो एक गांव है हाल सामने आया है ,पूरे प्रदेश के गांवों का यही हाल है। जिस गांव में गौठान नही है, जहा काजी हाउस नही है, वहां रोका छेका का निर्देश किसका था। चारे की कहीं व्यवस्था नहीं है पानी की कहीं व्यवस्था नहीं है बरसात में गायों की रखने की व्यवस्था नहीं है वहां पर सैकड़ो गायो को कमरे में ठूसकर रखा गया जहाँ पर गायो की सही से खड़े होने की व्यवस्था नही थी भोजन, पानी ,हवा न होने के कारण, गायों की मौत दम घुटने से तड़प तड़प कर हुई है । यह मौत नही सीधा सीधा गौ हत्या है। सरकार स्थानीय जनप्रतिनिधियों पर एफआरआई कराकर गौ हत्या के इस पाप से बच नही सकती।
श्री अग्रवाल ने एक बयान जारी कर कांग्रेस सरकार पर तीखे हमले किए हैं उन्होंने कहा कि सरकार की सभी योजनाएं एक एक कर सुपर फ्लॉप रही है सरकार की रोका छेका योजना भूख प्यास व जगह के बिना गायों की निर्मम हत्या करने की योजना है। गोधन न्याय योजना गोधन अन्याय योजना में परिवर्तित हो गया है। सरकार ने रोका छेका के तहत रखने वाले गायो की चारे की व्यवस्था ही नही की, गांव में गायों को रोका छेका कर रखने की उचित जगह ही नही है, गांव गांव में जो आदर्श गौठान बनाये गए है, उसमे ज्यादातर तो कागजो में बने है। गोठानो में बने बांस बल्ली के सैड उड़ गए है या टूट गए है। वहां भी गाय के चारे की कोई व्यवस्था नहीं है ।
श्री अग्रवाल ने कहा है कि गौ सेवा आयोग द्वारा गायों के चारे के लिए दिए जाने वाले प्रतिदिन, प्रति गाय ₹25 की राशि भी यह सरकार जारी नहीं कर पा रही है। चारे के लिये गौ सेवा आयोग द्वारा कलेक्टरो को दिए जाने वाले राशि का कही अता पता नही है। पिछले सरकार के कार्यकाल में 25 रुपये की राशि को बढ़ाकर प्रति गाय प्रतिदिन 50 रूपय करने का प्रपोजल था जो पिछले डेढ़ साल से लंबित पड़ा है। प्रदेश के सारे निजी गौशाला बंद होने के कगार पर पहुंच गए हैं ।
श्री अग्रवाल ने कहा कि प्रशासनिक अधिकारी शासन के योजनाओं को बिना किसी तैयारी के गांवों में दबाव पूर्वक लागू करवा रहे हैं प्रशासनिक अधिकारियों के आतंक के कारण ही गांव वाले भय व मजबूरी में इस योजना को लागू कर रहे है, इनका परिणाम सामने आ रहा है अभी तो एक गांव सामने आए हैं अमूमन प्रदेश के सभी गांव में रोका छेका व गौठानो की यही स्थिति हैं।
श्री अग्रवाल ने मांग की है कि सरकार को गौठान से लेकर रोका छेका व गोधन न्याय योजना की एक बार हर स्स्तर पर समीक्षा होनी चाहिए, और जब तक गायो की रखने की व्यवस्था, चारे की समुचित व्यवस्था, पानी की समुचित व्यवस्था न हो इस योजनाओं को तब तक के लिये स्थगित कर देना चाहिए ।
श्री अग्रवाल ने कहा कि आज मैंने उस क्षेत्र के वरिष्ठ नेता व वहां जाकर सभी स्थितियों के अध्ययन करने वाले लोगों से बात की उन सब ने एक ही विषय सामने रखा की उस भवन में जहां गायो को रखा गया था, जगह ही नहीं था भारी मात्रा में गायों को ठूंस ठूंस कर भरा गया था गायों के लिए चारे की कोई व्यवस्था नहीं थी पानी की व्यवस्था नहीं थी वही भवन के दरवाजे एवं खिड़कियों को बंद कर दिया गया था। वहां पर भीषण गंदगी का आलम था जिसके चलते ही दम घुटने से गायों की तड़प तड़प कर मौत हुई है। प्रश्न यह उठता है की उस गांव में जब सरकारी गोठान नहीं है तो फिर किस अधिकारी के निर्देश व दबाव पर गांव में रोका छेका किया गया है। किसके निर्देश पर ग्राम पंचायत के पुराने भवन को कांजी हाउस बनाया गया था। भवन के खिड़की दरवाजे क्यों बंद किया गए थे, इन सब विषयो पर भो गंभीरता से जांच की जरूरत है।