‘राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव’ में छत्तीसगढ़ी वाद्य यंत्र रहे आकर्षण का केन्द्र
रायपुर। राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव में जनसम्पर्क विभाग द्वारा लगाई गई प्रदर्शनी में छत्तीसगढ़ी वाद्य यंत्र आकर्षण का केन्द्र बना रहा। प्रदर्शनी में त्रिपुरा राज्य केे कलाकारों एवं अन्य राज्यों के कलाकारों ने छत्तीसगढ़ी वाद्य यंत्रों को देखा और इसके बारे में जानकारी प्राप्त की। प्रदर्शनी में छत्तीगढ़ के जनजातीय समुदायों द्वारा उपयोग किए जाने वाले चरहे, पुलकी, नकडेवन, बाना, खजेरी, बांस बाजा, हिरनांग, तंबूरा, तुडबुडी, मुंडा बाजा, कोंडोडका, नंगाडा, मृदंग, गतका, चिकारा, मांदरी आदि वाद्य यंत्रों को प्रदर्शित किया गया है। इन वाद्य यंत्रों को अन्य राज्यों के साथ ही छत्तीसगढ़ के कलाकारों ने भी देखा और जानकारी प्राप्त की। त्रिपुरा के कलाकारों ने प्रदर्शनी में लगाए गए छायाचित्रों का भी अवलोकन किया।
गढ़बो नवा छत्तीसगढ़ थीम पर आधारित प्रदर्शनी में छत्तीसगढ का स्वतंत्रता संग्राम में योगदान, महात्मा गांधी का द्वितीय छत्तीसगढ़ प्रवास, छत्तीसगढ़ के जलप्रपात, छत्तीसगढ़ तीज त्यौहार, पारंपरिक श्रृंगार, छत्तीसगढ़ के जैव-विविधता, पशु-पक्षियों, छत्तीसगढ़ के लोक नृत्य, बस्तर की धरोहरे, छत्तीसगढ़ का खजुरहो भोरमदेव, पर्यटन स्थलों सिरपुर, पुरातत्विक पुरास्थलों और पर्यटन की दृष्टि से महत्वपूर्ण श्री राम वन गमन मार्ग को छायाचियों और शब्दों के माध्यम से दर्शाया गया है। प्रदर्शनी में आदिकालीन छत्तीसगढ़ को भी छायाचित्रों के माध्यम से प्रदर्शित किया गया है। साथ ही छत्तीसगढ़ राज्य का गठन राजधानी संख्या, क्षेत्रफल, यहां की भाषा को भी बताया गया है। जनसम्पर्क विभाग के प्रदर्शनी में छत्तीसगढ़ की सभी जानकारियों को प्रदर्शित किया गया है।