छत्तीसगढ

आरटीआई कुणाल शुक्ला ने किया उजागर: निराश्रित-दिव्यांग व बुजुर्गों को बांटने वाली राशि को डकारे, निराश्रित निधि में 109 करोड़ का रुपए का हुआ घोटाला

रायपुर। निराश्रित, दिव्यांग व बुजुर्गों को बांटने वाली करोड़ों की राशि में समाज कल्याण विभाग, रायपुर द्वारा घोटाले का उजागर हुआ है। सूचना का अधिकार (आरटीआई) कानून के तहत दी गई अर्जी के बाद निराश्रित निधि में बड़ा भ्रष्टाचार उजागर हुआ है। गुरुवार को आरटीआई कार्यकर्ता कुणाल शुक्ला ने प्रेस कांफ्रेंस लेकर उक्त जानकारी देते हुए कहा, निराश्रित निधि के विशेष ऑडिट में कुल 43 करोड़ 60 लाख का घोटाला पकड़ाया है, जबकि कुल घोटाला 109 करोड़ रुपए का है। उन्होंने आगे कहा कि ये सिर्फ रायपुर का है, जिलेवार जानकारी लिया जा रहा है, तब ये आंकड़ा 500 करोड़ तक पहुंच सकता है। कुणाल ने समाज कल्याण विभाग के अधिकारी राजेश तिवारी सहित कई आईएएस व अधिकारियों पर इस घोटाले में शामिल होने का आरोप लगाया।

मृतकों के नाम से भी गबन किया पेंशन की राशि

कुणाल ने कहा कि यह मुद्दा काफी संवेदनशील है, जिसमें अनेकों एकाकी जीवन जी रही वृद्धाएं, निराश्रित, दिव्यांग शामिल है। ये राशि उनके लिए था, जिसे बड़े ब्यूरोकेट्स व अधिकारियों ने मिलीभगत कर डकार लिया। यहां तक कि मृतकों के नाम से भी पेंशन लिया है। इस काम में कई फर्जी एनजीओ भी शामिल है। मिली जानकारी के मुताबिक, पेंशन योजना में जशपुर, सूरजपूर, कबीरधाम, राजनांदगांव और दुर्ग में धांधली का बड़ा खेल खेला गया है।  उन्होंने कहा कि इस मुद्दे को लेकर 2004 से लगातार आरटीआई से जानकारी एकत्रित किया जा रहा है। समय-समय पर मामले की शिकायत सीबीआई से लेकर ईडी, विभागीय मंत्री, मुख्यमंत्री व प्रधानमंत्री तक की गई है।

करोड़ों रुपए का लेनदेन पर नहीं है कैशबुक में एंट्री

जानकारी के मुताबिक भौतिक सत्यापन के बाद वर्ष 2011 से 18 तक बैंक से प्राप्त ब्याज राशि 10 लाख 1 हजार 866 रुपए को कैशबुक में अंकित नहींं करनाा पाया है, जिस पर कोई कार्यवाही नहीं हुई। दूूसरी ओर बैंक से ही करीब 3 करोड़ 76 लाख 6 हजार राशि का भुगतान तो किया गया लेकिन यह राशि  भी कैशबुक में अंकित नहीं है। इस तरह विभाग केे अधिकारी राजेश तिवारी द्वारा 5 लाख रुपए निजी हित में उपयोग करना, राज्य निराश्रित राशि से तैयार एफडी विवरण वर्ष 2014 से 18 तक न होना, विभिन्न बैैंकों में संधारित निराश्रित राशि का जारी चेक का विवरण कार्यालय में उपलब्ध न होना, इलाहाबाद व अन्य बैंकों में करोड़ों का एफडी बनाए जानेे का उल्लेख नहीं होना, विभिन्न जिलों को प्रदाय के विपरीत जाकर निराश्रित निधि का उपयोगिता प्रमाण पत्र न दिया जाना, एफडी की ब्याज राशि का बचत खाता में जमा न करना सहित कई अहम पहलुओं पर कुणाल शुक्ला ने जानकारी दी। उन्होंने कहा कि 27 से 31 अगस्त, 2018 तक हुई विशेष आडिट में जांच दल को सही जानकारी भी नहीं दिया गया। जानकारी के मुताबिक विभाग द्वारा निराश्रित निधि के लिए कई बैंकों में खाता खोले गए है, किंतु जांच दल को सिर्फ 2 बैंकों का ही विवरण दिया गया था। कुणाल शुक्ला कहना है कि तमाम तथ्य से ये प्रमाणित हो रहा है कि निराश्रित निधि में जमकर घोटाला हुआ है। हालांकि उन्होंन इसकी शिकायत हर लेबल पर मंत्री-अधिकारियों से किया है। उन्होंने बताया कि हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी पत्र लिखकर मामले से अवगत करवाया है।

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