छत्तीसगढ

कोरोना पर हुए कार्यशाला में एक्सपर्ट बोले- 2% ICU, 84% माइल्ड डिसीज व 15% केस सीवियर होते हैं : डॉ. प्रणित फटाले

रायपुर। स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग छत्तीसगढ़ द्वारा डॉ. भीमराव अम्बेडकर स्मृति चिकित्सालय के टेलीमेडिसीन हॉल में ”स्टेट लेवल ओरियेंटेंशन ट्रेनिंग फॉर हेल्थकेयर स्टॉफ ऑन कोविड-19 केस मैनेजमेंट“ अर्थात् स्वास्थ्य कर्मचारियों हेतु कोरोना वायरस डिसीज-19 के प्रकरणों के प्रबंधन एवं उन्मुखीकरण को लेकर राज्य स्तरीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया। सचिव स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग छ.ग. शासन श्रीमती निहारिका बारिक सिंह के निर्देश पर आयोजित इस कार्यशाला में विशेषज्ञ चिकित्सकों द्वारा स्वास्थ्य सेवा प्रदाता (हेल्थकेयर प्रोवाइडर) को नोवेल कोरोना वायरस रोग ( COVID-19 ) के संदिग्ध एवं पीड़ित रोगियों के उपचार, उपचार के दौरान बरती जाने वाली सावधानियों एवं सार्वभौमिक एहतियात (यूनिवर्सल प्रोटोकाल) के दिशानिर्देश को लेकर प्रशिक्षण एवं जानकारी दी गई।

स्टेट सर्विलांस ऑफिसर, आईडीएसपी डॉ. धर्मेन्द्र गहवई ने कोविड- 19 केस की विस्तृत व्याख्या एवं वातावरण को संक्रमणमुक्त करने के तरीकों एवं जैव चिकित्सा अपशिष्ट प्रबंधन के बारे में बताया। डब्ल्यूएचओ से सब-रीजनल टीम लीडर डॉ. प्रणित फटाले ने बताया कि लोगों को कोरोना वायरस रोग को लेकर अनावश्यक डरने या घबराने की जरूरत नहीं है क्योंकि इस रोग से पीड़ित केवल 1 से 2 प्रतिशत लोगों को ही आईसीयू की जरूरत पड़ती है। वहीं 84 प्रतिशत माइल्ड डिसीज और 14 से 15 प्रतिशत केस ही सीवियर होते हैं। कोरोना वायरस पोरस सरफेस (सरन्ध्र या छिद्रयुक्त सतह) पर लगभग 8 से 12 घंटे, नॉन पोरस सरफेस (समतल सतह) जैसे – कुर्सी, टेबल इत्यादि पर लगभग 1 से 2 दिन तक जीवित रह सकते हैं इसलिए ऐसे स्थानों को संक्रमणमुक्त करना जरूरी हो जाता है।

एम्स रायपुर में वायरल रिसर्च एंड डायग्नोस्टिक लेबोरेटरिज (वीआरडीएल) की नोडल ऑफिसर एवं माइक्रोबायोलॉजी की प्रोफेसर डॉ. अनूदिता भार्गव ने कोविड 19 के संक्रमण की रोकथाम एवं इसके मानक एवं अतिरिक्त सावधानियों के बारे में बताया। साथ ही “डॉन एंड डॉफ” पर पॉवर प्वाइंट प्रेंजेंटेंशन दिया। डॉ. भार्गव ने ”डॉनिंग“ यानी व्यक्तिगत सुरक्षात्मक कपड़ों एवं उपकरणों को स्वास्थ्य सेवा प्रदाता द्वारा सही तरीके से पहनने के स्टेप और “डॉफिंग” यानी इस्तेमाल के बाद उन्हें उतारने के सही चरणों की जानकारी दी। अम्बेडकर अस्पताल में मेडिसीन के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. सुरेश चंद्रवंशी ने उपचार की प्राथमिकता, उपचार का क्रम, अधिक संख्या में रोगियों के आने पर उनके त्वरित प्रबंधन, आइसोलेशन एवं अस्पताल की तैयारियों एवं शीघ्र प्रतिक्रिया (रेपिड रिस्पांस) के बारे में विस्तार से जानकारी दी। अम्बेडकर अस्पताल के एनेस्थेसिया विशेषज्ञ डॉ. ओ. पी. सुंदरानी ने कोविड-19 पीड़ित के क्रिटिकल केयर मैनेमेंट एवं रेस्पाइरेटरी सपोर्ट सिस्टम के बारे में मेडिकल ऑफिसर एवं नर्सिंग स्टॉफ को प्रशिक्षण दिया। इस कार्यक्रम में राज्य स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण संस्थान (स्टेट इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ एंड फैमिली वेलफेयर) के संचालक डॉ. प्रशांत श्रीवास्तव, उप संचालक डॉ. वाई एस. ठाकुर, अम्बेडकर अस्पताल के अधीक्षक डॉ. विनित जैन, मेडिसीन रोग विशेषज्ञ डॉ. डी. पी. लकड़ा उपस्थित रहीं।

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