गरीबों को भी सम्मान से जीने का हक : डाॅ. शिव कुमार डहरिया
रायपुर, 15 जून। प्रदेश के शहरी क्षेत्रों में निवासरत भूमिहीन गरीबों के आवास संबंधी समस्याओं के निराकरण तथा उनके स्थायित्व के लिए राज्य शासन ने राजीव गांधी आश्रय योजना के तहत चल रहे पट्टा वितरण, नवीनीकरण तथा नियमितिकरण के काम में तेजी लाने के निर्देश दिए हैं। इस योजना के तहत पट्टाधारकों को भू स्वामी अधिकार भी दिये जा रहे हैं।
नगरीय प्रशासन और श्रम मंत्री डाॅ. शिव कुमार डहरिया ने कहा है कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की मंशा के अनुरूप राजीव गांधी आश्रय योजना को हमने मुहिम के रूप में लिया है। सम्मान की जिंदगी जीना हर भूमिहीन और गरीब का हक है। इस योजना के जरिये उनके इसी हक को उन तक पहुंचा रहे हैं। इसी उद्देश्य से नगरीय क्षेत्रों में भूमिहीन व्यक्ति अधिनियम 1984 में आवश्यक संशोधन किया गया है। उन्होंने कहा है कि इस योजना के तहत शेष रह गए आवेदनों का शीघ्रता के साथ निराकरण करने के निर्देश दिए गए हैं।
शासन के निर्णय के अनुसार अवैध, अनियमित हस्तांतरण, भूमि प्रयोजन में परिवर्तन संबंधी प्रकरणों में नियमानुसार भूमि-स्वामी का अधिकार पट्टाधारकों को प्रदान किया जा रहा है। अतिरिक्त कब्जे की स्थिति में निकाय श्रेणी के अनुसार 900 से 1500 वर्गफीट तक भूमि का नियमितिकरण किया जा रहा है। जो पट्टे कालातीत हो चुके हैं, उनका 30 वर्षों के लिए नवीनीकरण किया जा रहा है। अब पट्टाधृति अधिकारों को भूमि स्वामी अधिकारों में परिवर्तित किया जा सकेगा। शहरी क्षेत्रों में 19 सितंबर 2018 के पूर्व निवासरत भूमिहीन परिवारों को भी शासकीय भूमि का पट्टा दिया जा रहा है। पूर्व में प्रदत्त पट्टों के अंतरण अब विधि मान्य होंगे, ऐसे मामलों में भी भूमि-स्वामी अधिकार प्राप्त होगा।
राज्य में नवीन पट्टों के लिए कुल 1,19,826 आवेदन प्राप्त हुए थे, जिसमें 25,901 आवेदन स्वीकृत किए गए। इनमें 6,779 परिवारों को नवीन पट्टों का वितरण किया जा चुका है। वर्तमान में 53,226 आवेदनों के निराकरण की प्रक्रिया जारी है। पट्टों के नवीनीकरण के लिए राज्यभर में 41,475 आवेदन प्राप्त हुए थे, जिनमें से 12,012 आवेदनों को स्वीकृति प्रदान की गई। इनमें से 8062 प्रकरणों में पट्टों का नवीनीकरण किया जा चुका है। शेष स्वीकृत प्रकरणों के निराकरण की प्रक्रिया जारी है। पट्टों के नियमितिकरण तथा भूमि स्वामी अधिकार के संबंध में राज्य में 4,184 आवेदन प्राप्त हुए थे। इनमें से 358 प्रकरणों का निराकरण किया जा चुका है।