विधानसभा ब्रेकिंग: धर्मलाल कौशिक का आक्रमक हमला, किसानों की हालत खराब क्यों
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रायपुर। शीतकालीन सत्र के पहले दिन धान खरीदी पर पक्ष-विपक्ष के तीखे सवाल-जवाब से माहौल गरमाया। दरअसल, धान खरीदी पर 16 विधायकों का स्थगन आया, जिस पर विधानसभा अध्यक्ष चरणादास महंत ने नेता प्रतिपक्ष धर्मलाल कौशिक का स्थगन को तत्थपूर्ण माना एवं उसे पढ़कर सुनाया।
नेता प्रतिपक्ष ने धान खरीदी स्थगन पर आक्रमकता से सरकार को घेरा। उन्होंने कहा, धान कटाई 60 प्रतिशत से ज्यादा हो चुकी है, प्रदेश में धान की पैदावार बहुत अच्छी है उसके बाद भी किसानों की आर्थिक हालत खस्ता-बदहाल है, किसान अपनी फसल को 1200-1500 रुपए प्रति क्विंटल के बीच बेचने को बाध्य हुआ है। किसानों के नाम पर बहुमत पाने वाली सरकार किसानों को बरबाद करने में लगी हुई है, समर्थन मुल्य में धान खरीदी 1 नवम्बर से शुरू होनी थी उसे बढ़ाकर 1 दिसम्बर से खरीदी का निर्णय लिया गया, जिसके चलते किसान अपनी आवश्यकता की पूर्ति सस्ते में धान बेचकर कर रहा है। वही जो किसान समर्थन मुल्य पर धान बेचने हेतु धान रख रहा है उनका 200 रुपए प्रति क्विंटल से अधिक खर्च बढ़ गया है (खलिहान तैयार करना व सुखत के कारण)। किसान धान बेचने जा रहा है और पूरे प्रदेश में किसानों का धान जब्त किया जा रहा है। करोड़ों रुपए के धान की जब्ती बनायी जा चुकी है। प्रदेश की 50 प्रतिशत मंडियों में खरीददार नही आते जिसके चलते किसानों को बाहर धान बेचने को बाध्य होना पड़ रहा है और शासन धान की जब्ती बनाकर उन्हें प्रताडि़त कर रही है। केन्द्र की सरकार ने किसानो को 6000 रुपए प्रति एकड़ किसान सम्मान निधी प्रदान करने का निर्णय लिया किन्तु समय सीमा में प्रदेश सरकार द्वारा औपचारिकता पूर्ण न किये जाने के कारण प्रदेश के आधे से ज्यादा किसान इस लाभ से वंचित है। गंगाजल उठाकर किसानों के ऋण माफ करने की बात करने वाली यह सरकार किसानों के मध्यकालीन, दीर्घकालीन तथा राष्ट्रीकृत बैंको के ऋण वसुली का दबाव झेलना पड़ रहा है प्रदेश के दो किसानों को जेल में भी भेज दिया गया तथा अन्य सरकार वन टाईम सेटलमेंट में सहयोग करने की बात कर रही है। प्रदेश में किसानों का बैल मर जाने के कारण आत्महत्या करने का प्रकरण भी सामने आया है। प्रदेश सरकार के किसान विरोधी निर्णय के कारण किसान त्रस्त है, भयभीत है जिसके चलते पूरे प्रदेश के किसानों में सरकार के विरूद्ध रोष एवं आक्रोश व्याप्त है।