बारिश में मेलरिया, डेंगू और पीलिया से करें अपना बचाव
रायपुर। बरसात के मौसम में मौसमी बीमारियां जैसे मलेरिया, डेंगू और पीलिया होने की संभावनाएं बढ़ जाती है। ऐसे में इन बीमारियों से बचाव के लिए लगातार जन जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है। कलेक्टर डाॅ. एस. भारतीदासन के निर्देशन पर स्वास्थ्य अमला द्वारा जागरूकता शिविरों, पाम्पलेट और पोस्टरों के माध्यम से लोगों को इन बीमारियों से बचने के लिए आवश्यक समझाईश दी जा रही है।
मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी ने बताया कि मलेरिया एवं डेंगू के मच्छर स्वच्छ और स्थिर जल निकायों में पनपते है। इनसे बचने के लिए पूरे शरीर को ढकने वाला कपड़ा पहने, सोते समय मच्छरदानी का प्रयोग अवश्य करें, घर एवं आस पास पानी जमा न होने दें। उन्होंने कहा है कि पानी जमा होने वाले स्त्रोतों को नष्ट करें, जमा हुए पानी में जला हुआ मोबिल आईल अथवा मिट्टी का तेल अवश्य डाले, कीटनाशक दवाईयों का छिड़काव घरों के भीतर अवश्य करवायें, मच्छर से बचने घरों के दरवाजे व खिडकियों में जाली लगाकर रखे। कूलर, पानी की टंकी, पक्षियों के पीने के पानी का बर्तन, फूलदान इत्यादि को प्रति सप्ताह खाली किया जाए और धूप में सुखाकर प्रयोग करें । नारियल का खोल, टूटे हुए बर्तन व टायरों में पानी जमा न होनें देें।
मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी ने बताया कि मलेरिया के लक्षण की जानकारी देते हुए बताया कि इसमें बुखार, ठण्ड लगना, कंपकंपी सिरदर्द, उल्टियां आना, जी मिचलाना एवं गंभीर मलेरिया में बेहोशी अथवा झटके आदि आतें हैं। डेंगू में अचानक तेज बुखार, तेज सिर दर्द, मांसपेशियों तथा जोड़ों में दर्द, आंखों के पीछे दर्द, जी मिचलाना, आंतरिक रक्त स्त्राव, त्वचा में चकत्ते, नाक-मुंह, मसूड़ों से खून आना, उल्टिंया हो सकती है।
इस तरह के कोई भी लक्षण प्रदर्शित होने पर मरीज को तत्काल नजदीक के स्वास्थ्य केन्द्रों में ले जाकर आवश्यक जांच करानी चाहिए। गर्भवती माताओं एवं छोटे बच्चों को मलेरिया से अधिक खतरा रहता है। ऐसे में सोते समय मच्छरदानी का उपयोग अवश्य करें।
डाॅ. सोनवानी ने बताया कि पीलिया प्रदूषित जल व भोजन से फैलने वाला एक संक्रामक रोग है, जो विषाणुओं के संक्रमण से होता है। विषाणुओं के शरीर मे प्रवेश करने के 15 से 50 दिनों के भीतर बीमारी के लक्षण प्रगट होते है। व्यक्तिगत स्वच्छता में कमी के कारण या फिर मक्खी आदि कीट के कारण पीलिया फैलता है। पीलिया से बचाव के लिए पतला दस्त प्रारंभ होते ही तरल पदार्थ मरीज को देते रहना चाहिए। उल्टियां हो रही हो तो भी तरल पदार्थो को रोकने की जरूरत नहीं है। यह मात्रा थोड़े-थोड़े अंतराल में तरल पदार्थो को देना जारी रखना चाहिए। उल्लेखनीय है कि सभी शासकीय स्वास्थ्य केन्द्रों में जांच और उपचार निःशुल्क उपलब्ध है।