सफोकेशन से गायों की मौत पर सरकार जिम्मेदार…सरकार को घेरते हुए और क्या-क्या कहा पूर्व CM सुने…
रायपुर, 25 जुलाई। पूर्व मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह ने शनिवार को बिलासपुर जिले के तखतपुर विकासखंड मेढ़पार में हुई 50 गायों की मौत पर तीखी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने गायों की मौत के लिए राज्य सरकार को जिम्मेदार बताते हुए कंहा की दम घुटने से 50 गायों की मौत हो गई, आखरी इसका जिम्मेदार कौन है?
उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार की गौठान योजना, रोका छेका योजना, सब कागजो में चल रही है, जमीन पर इस योजना का कोई क्रियान्वन नही हो रहा, सरकार केवल योजना के नाम पर वाहवाही बटोर रही है। डॉ. सिंह ने कंहा की मेढ़पार गांव से जो जानकारी मिली है, उसके मुताबिक
रोका छेका योजना के तहत इन गायों को पुराना पंचायत भवन के अस्थायी गौठान में लाया गया था। यंहा ना चारे की कोई व्यवस्था नही था, ना भूसा था, ना पैरा। पानी तक की वंहा कोई व्यवस्था नही थी। 100 से अधिक गायों को एक कमरे में ठूस दिया गया, जानकारों ने बताया कि आक्सीजन नही मिलने और सफोकेशन के चलते गायों की मौत दम घुटने से हो गई। इसमें गर्भवती गाय भी थी, जो पूरी तरह स्वस्थ थी।
डॉ सिंह ने आगे कंहा की राज्य के किसी भी गौठान में गाय नही है, रोका छेका के तहत जिन गायों को पकड़कर लाया जा रहा है, उसके लिए भी गौठान समितियों को कोई प्रशिक्षण नही दिया गया है। 25-25 लाख रुपये खर्च कर गौठान बनाया गया है, उसकी हालत भी खराब है, छत और शेड गिर चुके है, बास बल्ली बारिश में उखड़ चुके है, बाउंड्रीवाल का निर्माण गुणवत्ता विहीन रहा, जिससे बाउंड्रीवाल धसक रही है। अधिकांश गौठनो में पानी भरा हुआ है। वंहा जानवरो के लिए बैठने की जगह नही है।
डॉ सिंह ने कंहा की 50 गायों की मौत पर सरकार को कड़ी करवाई करना चाहिए। सरकार को सचेत होना चाहिए कि जिन योजनाओं का ढिंढोरा पीटा जा रहा है उसकी जमीनी हकीकत क्या है? उन्होंने सुझाव भी दिया कि गौठान समिति का प्रशिक्षण नही हुआ, गौठानो के लिए बजट की व्यवस्था होनी चाहिए, पानी की व्यवस्था होनी चाहिए, वहां रात-दिन रहने वाला चौकीदार और राउत की व्यवस्था होनी चाहिए, पानी और मजबूत शेड जैसे उपाय करना होगा, वरना यह योजना केवल कागजो में ही धरी रह जायेगी।
डॉ सिंह ने आरोपो को दोहराते हुए कंहा की गौठान की व्यवस्था पूरे तरीके से प्रदेश में ध्वस्त हो चूकी है, नरवा, गरूवा, घरूवा, बाड़ी, कागज में बहुत अच्छा दिख रहा है पर धरातल में फेल हो चुकी है, पशुपालक अब मुआवजा की मांग कर रहे है, इस मामले में तत्काल जिम्मेदारी और दोषी अधिकारियों पर कार्रवाई करें। केवल गांव के पंचायत के भरोसे खुले स्थान में गौठान बना देने से इस व्यवस्था का यहीं हश्र होगा। उन्होंने फिर सचेत किया की प्रशासन अब भी सचेत हो जाये।