छत्तीसगढ

‘अंगना म शिक्षा’ कार्यक्रम को दिया गया नया स्वरूप, छोटे बच्चों की माताओं में आई जागरूकता

रायपुर, 19 जुलाई। राज्य में छोटे बच्चों को घर पर रहकर उनकी माताओं के माध्यम से सीखने के अवसर देने के लिए लगभग 400 महिला शिक्षिकाओं द्वारा ‘अंगना म शिक्षा’ कार्यक्रम की शुरूआत की गई थी। कोरोना संक्रमण की वजह से इस कार्यक्रम में थोड़ी सी रूकावट आयी। इसे अब फिर एक नये स्वरूप में प्रारंभ करने की दिशा में पहल की जा रही है।

भारत सरकार द्वारा जारी निपुण भारत अभियान के तहत निर्धारित लक्ष्यों को ध्यान में रखकर 5 वर्ष से लेकर 8 वर्ष तक के बच्चों (Child Education) को बाल बाटिका से लेकर कक्षा 3 के बच्चों के लिए इस कार्यक्रम को राज्य में माताओं के सक्रिय सहभागिता के साथ लॉन्च किया जा रहा है।

स्कूल शिक्षा मंत्री डॉ. प्रेमसाय सिंह टेकाम ने कोरोना की तीसरी लहर आने की संभावना के आधार पर शिक्षिकाओं द्वारा किए जा रहे प्रयासों की सराहना की। डॉ. टेकाम ने इसे अगले लॉकडाउन के दौरान छोटे बच्चों को घर पर रहकर उनकी माताओं द्वारा सिखाने (Child Education) के लिए तैयार करने की एक अभिनव पहल बताया।

समग्र शिक्षा के सहायक संचालक डॉ. एम. सुधीश ने अंगना मा शिक्षा कार्यक्रम के साथ आगामी निपुण भारत कार्यक्रम और उसके निर्धारित लक्ष्यों की जानकारी देते हुए बताया कि वेबीनार में बिलासपुर की सीमा मिश्रा ने कार्यक्रम की डिजाइन और रणनीति को साझा किया। गौरव शर्मा ने नवीन कार्यक्रम को कोरोना अपनी सुरक्षा एवं उसके माध्यम से पालकों और बच्चों के साथ आगामी कुछ दिनों में किए जाने वाले कार्यों से अवगत कराया। ऋषि पाण्डेय ने माताओं को टेलीग्राफ के माध्यम से विभिन्न जानकारियों को साझा करने के संबंध में विस्तार से जानकारी दी।

New look given to 'Angana Me Shiksha' program, awareness among mothers of young children

बालिकाओं के जीवन लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए प्रयत्नशील रहें पालक : मंत्री डॉ.टेकाम

स्कूल शिक्षा मंत्री डॉ. प्रेमसाय सिंह टेकाम ने बालिका शिक्षा अभियान ‘हर कदम बेटी के संग, लीडरशिप की तरंग’ के अंतर्गत पालकों से आव्हान किया है कि वे अपने बालिकाओं को पढ़ाई (Child Education) के लिए पूरा सहयोग प्रदान करें और उनसे लगातार बातचीत करते रहें ताकि वे अपने जीवन की लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए प्रयत्नशील रहें।

मंत्री डॉ. टेकाम ने प्रकाशित होने वाली ‘गपशप पत्रिका’ के माध्यम से संदेश भी दिया। उन्होंने परियोजना विजयी के अंतर्गत 179 बालिका आवासीय संस्थानों के लिए दिए जाने वाले जीवन कौशल विषय की कॉमिक श्रृंखला ‘‘सूझ-बूझ का चश्मा’’ का विमोचन भी किया। यह कॉमिक आने वाले समय में प्रदेश के सभी कक्षा 6वीं से 8वीं के परियोजना विजयी के बालिका आवासीय संस्थानों को प्रदान किया जाएगा। इसके माध्यम से बालिकाएं रोचक तरीके से जीवन कौशल के विविध आयामों को सीख पाएंगे और अपने जीवन में इसका उपयोग कर पाएंगी।

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