छत्तीसगढ

अंतर्राष्ट्रीय नर्सेज दिवस: सेवा और समझाइश देती हुई स्टाफ नर्स सुनिशा फिलिप्स

रायपुर। बलोदा बाजार के जिला अस्पताल परिसर में कोरोना वायरस के बारे में सतर्क करते हुए और सामाजिक दूरी बनाये रखने की ज़रुरत पर समझाइश देती हुई आवाज़ स्टाफ नर्स सुनिशा फिलिप्स की है|
कोविड-19 के 100 बिस्तर में तब्दील जिला अस्पताल में 4 साल से सेवाएं देती हुयी सिस्टर सुनिशा को कोरोना वायरस के मरीजों की देखबाल के लिए अप्रैल मेंमास्टर ट्रेनर की ट्रेनिंग दी गयी थी जिसके बाद जिले की सभी नर्सों की ट्रेनिंग उसी ने की।
सुनिशा कहती है कोविड-19 को लेकर जनता को जागरुक होने की जरूरत है। अस्पताल परिसर में भी देखने में आता है बहुत सारे लोग सोशल डिस्टेंसिंग का सही रूप में पालन नहीं करते हैं और न ही सैनिटाइजेशन के लिए बनाई गई टनल का उपयोग करते हैं। उन्हें यह ज़रूर जानना चाहिए अस्पताल परिसर में उनकेपरिजनों के साथ-साथ और भी मरीजों के परिजन हैं जिनके सुरक्षा के लिए भी सोशल डिस्टेंसिंग ज़रूरी है। लोगों में यह जागरूकता बढाने का ज़िम्मा उसने खुद पर लियाहै।
स्टाफ नर्स सुनिशा फिलिप्स ने बताया देश में जब से कोविड-19 का खतरा बढ़ा है तब से उसकी दिनचर्या में भी परिवर्तन आया है क्योंकि ड्यूटी के घंटे बढ़ गए हैं और आपातकाल सेवा के लियें तत्पर रहना पड़ता है।
सुनिशा फिलिप्स कहती है रोगी की देखभाल उसका पहला दायित्व है। स्टाफ नर्स होने के नाते हमारी महत्वपूर्ण जिम्मेदारी है मरीज कीदेखभाल करके उसे स्वास्थ करना।
सुनिशाबताती हैं उसे ड्यूटी पर आए हुए कुछ ही माह बीते थे कीएक जोखिम भरा प्रेगनेंसी का केस अस्पताल में आया। उस समय गायनोलॉजिस्टमौजूद नहीं थी। एक सीनियर डॉक्टर और मैंने उस डिलीवरी केस को हैंडल किया। प्रसव के समय बच्चा उल्टा बाहर आ रहा था जो बच्चा और मां दोनों के लिए बहुत खतरनाक था। गायनोलॉजिस्ट एक अन्य ऑपरेशन में थी। हमारे साथ जो वरिष्ठ डॉक्टर साथी थी उन्हें प्रसव करवाने का अनुभव नहीं था लेकिन हम दोनों ने उस प्रसव को करवाया।
आज वह बच्चा और मां दोनों स्वस्थ हैं और अपने जन्मदिन पर वह बच्चा और उसकी मां मुझसे हमेशा मिलने आते है। मुझे बहुत खुशी होती है जब मैं उन दोनों को देखती हूँ।
नौकरी के दौरान मिले अनुभव में नर्स सुनिशाकहती है ऐसा भी होता है जब व्यक्ति अपनी बीमारी को बढ़ा लेता है और अंतिम समय पर हॉस्पिटल में पहुंचता है। तब उसकी देखबालऔर उसकी जान बचाना बहुत ही कठिन हो जाता है। ऐसी विषम परिस्थितियों में हमें अपना मानसिक संतुलन भी बनाना होता है और उस व्यक्ति के प्रति संवेदना और उसकेप्रति सेवा भाव भीरखना होता है। क्या पता भगवान हमारी सेवा को स्वीकार कर ले और उसकी जान बच जाये।
जबसिस्टर सुनिशा प्रोबेशन पर थी,उस समय नियमित नर्स कर्मचारियों ने हड़ताल कर दी थी। ऐसे समय में जिला अस्पताल में केवल4 नर्स मौजूद थे और इन्ही परऊपर पूरे जिला अस्पताल का भार था और 15 दिन तकचली हड़ताल जब समाप्त हुई उसके बादअधिकारियों ने उनकाधन्यवाद कियाऔर कहा यह सब उनकीमेहनत से संभव हो सका है।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button