छत्तीसगढ

अंतर्राष्ट्रीय मादक पदार्थ सेवन और तस्करी निरोध दिवस पर विशेष: माता-पिता व्यवहार परिवर्तन पर रखें नज़र, नियमित रुप से बच्चों के साथ करें चर्चा

रायपुर, 27 जून। नशा केवल शराब और तम्बाकू का ही नहीं होता है बल्कि अफीम, चरस, गांजा, हेरोइन जैसे मादक पदार्थों का भी होता है जो लोगों को बुरी तरह प्रभावित करता है। नशीले पदार्थों का प्रयोग आज एक विश्वव्यापी समस्या बन चुकी है।देश में मादक पदार्थों के सेवन के प्रति युवा पीढ़ी ग्लैमर लाईफ स्टाइल की झूठी शान दिखाने के चक्कर में अंधी दौड में शामिल हो रही है । शहरी क्षेत्र ही नही बल्कि ग्रामीण क्षेत्रों में भी इसका असर देखने को मिल रहा है।
युवा पीढ़ी ज़्यादातर स्कूल-कालेजों के छात्र जीवन में अपने साथियों के कहने या मित्र मंण्डली के दबाव डालने पर या फिर मॉडर्न दिखने की चाह में इनका सेवन शुरु करते हैं। कुछ युवक मादक पदार्थों से होने वाली अनुभूति को अनुभव करने के लिए, तो कुछ रोमांचक अनुभवों के लिए तो कुछ ऐसे लोग होते है जो मानसिक तौर पर परेशानी या हताशा के हालात में इनका सेवन शुरू करते हैं। मानव जीवन की रक्षा के लिए बनाई जाने वाली कुछ दवाओं का उपयोग भी लोग अब तो नशा करने के लिए इस्तेमाल करने लगे हैं।
जिला अस्पताल पंडरी में स्थित स्पर्श क्लीनिक के मनोचिकित्सक डॉ. अविनाश शुक्ला ने बताया कोई भी व्यक्ति एक दिन में नशे का आदी नहीं होता है । यह प्रक्रिया धीरे-धीरे होती है। शौक धीरे धीरे आदी बना देता है जब व्यक्ति नशे की गिरफ्त में आताहै। उससे पहले वह कुछ संकेत भी देता है । उन संकेतों को परिवार को समझना बहुत जरूरी होता है ।
जून 26 को हर वर्ष अंतर्राष्ट्रीय मादक पदार्थ सेवन और तस्करी निरोध दिवसके रूप में मनाया जाता है।इस वर्ष की थीम ही “बेहतर देखभाल के लिए बेहतर ज्ञान” है ।
आदी होने से पूर्व लक्षण जो देखे जाते है
खेलकूद और रोजमर्रा के कामों में दिलचस्पी न लेना, भूख कम लगना, वजन कम हो जाना, शरीर में कंपकंपी छूटना, आंखें लालऔरसूजी हुई लगना, दिखाई कम देना, चक्कर आना, उल्टी दस्त आना, अत्यधिक पसीना आना, शरीर में दर्द लगना, नींद न आना की समस्या, चिड़चिड़ापन, सुस्ती, आलस्य, निराशा, गहरी चिन्ता, सुई के माध्यम से मादक पदार्थ को लेने वालों व्यक्ति को एड्स का खतरा भी रहता है।
पदार्थ जिनका व्यसन होता है
शराब, (बियर व्हिस्की रम हंडिया महुआ ठर्रा), तंबाकू उत्पाद (तंबाकू बीड़ी बीड़ी सिगरेट गुड़ाखू गुटका नसवार), गांजा चरस भांग, अफीम, भुक्की, डोडा, हेरोइन, ब्राउन शुगर, स्मैक फोर्टविन (पेंटाजोसिन) कोकिन, नींद की गोलियां, सांस के माध्यम से लिए जाने वाले पदार्थ जैसे गैस, पेंट, पेट्रोल, गोंद, डेन्ड्राइड व्हाइटनर ।
डेन्ड्राइड और व्हाइटनर का उपयोगस्कूल के बच्चे, या सड़कों पर कचरा बिनने वाले बच्चे में ज्यादा देखने को मिलता है क्यूंकि ये आसानी से उपलब्ध होता है, और किसी को शक भी नहीं होता है ।
मादक पदार्थ को कुछ भागों में बांट सकते है ।
अपशामक, मतिभ्रम उत्पन्न करने वाले पदार्थ, निच्श्रेतक और दर्द निवारक मादक पदार्थ,उत्तेजक,भांग से निर्मित मादक पदार्थ, अपशामक, मस्तिष्क की सक्रियता कम कर देते हैं। ये पदार्थ हैं, अल्कोहल, सिकोनाल, नेमब्यूटाल, गाडेर्नाल, वैलियम, लिबियम, मैन्ड्रेक्स, डोरिडेन, N10, एलप्रेक्स, नाइट्रो सन है।
मतिभ्रम उत्पन्न करने वाले पदार्थ – हमारे देखने, सुनने और महसूस करने की क्षमता पर प्रभाव डालते हैं।
निच्श्रेतक और दर्द निवारक मादक पदार्थ-अफीम, मॉर्फीन, कोकीन, हेरोइन, ब्राउन शूगर, मेथाजेन, पेथीडीन, मेप्राडीन है।
उत्तेजक, मस्तिष्क के केन्द्रीय तंत्रिका तंत्रों की सक्रियता बढ़ा देते हैं। जैसे, बैंजोड्रिन, डैक्सेड्रिन, मैथेड्रिन, कोकीन, निकोटीन है।
भांग से निर्मित मादक पदार्थ गांजा, हशीश, चरस
नशीले पदार्थ और तस्करी के मामले भारत में नारकोटिक ड्रग्स एंड सायकोट्रॉपिक सब्सटनसीज एक्ट (NDPS एक्ट) 2014 के अंतर्गत आतेहैं। जोलोग नशीले पदार्थों कीतस्करी अथवा व्यापार करते है, उनकेइस व्यापार/तस्करी से अर्जित की हुए संपत्ति भी सरकार जब्त कर सकती है और सज़ा के साथ साथ जुर्माने का प्रावधान भी किया गया है ।
क्या कहते हैं आंकड़े राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य सर्वे 2015-16के अनुसार छत्तीसगढ़ में 29.86 % लोग तम्बाकू खाने के आदि है जबकि 7.14 % शराब पीने के आदि हैं।

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