छत्तीसगढ

अगर समय से धान ख़रीदी हुई होती, तो नही होती ऐसी दुर्गति: संदीप शर्मा

रायपुर। भारतीय जनता पार्टी किसान मोर्चा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष संदीप शर्मा ने धान ख़रीदी, मिलिंग और भंडारण की समुचित व्यवस्था में प्रदेश सरकार की विफलता को सरकार के नाकारेपन का द्योतक बताया है। श्री शर्मा ने कहा कि प्रदेश की भूपेश-सरकार किसानों के हितों और उनकी उपज की रक्षा को लेकर ज़रा भी गंभीर नहीं है, इसलिए एक ओर किसान धान बेचने के लिए परेशान हो रहे हैं तो दूसरी तरफ़ अरबों रुपये मूल्य का धान बेमौसम बारिश में भीग गया।

भाजपा किसान मोर्चा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष श्री शर्मा ने कहा कि विपक्ष में रहते हुए तब कांग्रेस अध्यक्ष के नाते भूपेश बघेल एक नवंबर से धान ख़रीदी का दबाव बनाते थे लेकिन सत्ता में आने के बाद बतौर मुख्यमंत्री वे अपने ही नज़रिए से पलट गये। यदि प्रदेश की कांग्रेस सरकार प्रति वर्ष की तरह इस बार भी विलंब किए बिना एक नवंबर से धान ख़रीदी शुरू करती तो आज न तो किसान परेशान होते और न ही अरबों रुपये मूल्य का लाखों क्विंटल धान बेमौसम बारिश की भेंट चढ़ता। लेकिन, प्रदेश सरकार ने पहले तो धान ख़रीदी के नाम पर सियासी नौटंकियाँ की, फिर अपनी नाकामियों का ठीकरा केंद्र सरकार पर फोड़ने की धृष्टता दिखाई। इसके चलते धान ख़रीदी का काम एक माह विलंब से शुरू किया गया। फिर नित-नए नियमों के फ़रमान जारी कर किसानों को हलाकान करने का काम इस प्रदेश सरकार ने किया। अपने वादे के मुताबिक़ 25 सौ रुपये की दर पर किसानों का धान नहीं ख़रीदने वाली प्रदेश सरकार ने प्रदेश के किसानों का पूरा धान नहीं ख़रीदने तक का षड्यंत्र तक रचा और किसानों का रक़बा घटाकर, किसानों को उत्पादकता प्रमाण पत्र लाने के लिए बाध्य कर, धान ख़रीदी की लिमिट तय कर और एेसे अनेक तुगलकी फ़रमान जारी कर सरकार ने अपनी बदनीयती का परिचय ही देने का काम किया। श्री शर्मा ने कहा कि आज भी किसान टोकन कटने के बावजूद अपना धान नहीं बेच पा रहे हैं क्योंकि ख़रीदी केंद्रों में अव्यवस्था का आलम है और किसानों को बिना धान बेचे रोज़ ख़रीदी केंद्रों से निराश लौटना पड़ रहा है। यह स्थिति प्रदेश सरकार के शर्मनाक रवैये का ही परिणाम है।
पीसीसी चीफ़ मोहन मरकाम ने धान की कथित निगरानी की बात कही है, इस पर श्री शर्मा ने उनसे जानना चाहा कि अब जब लाखों टन धान भीग चुका है तो फिर कांग्रेस के लोग निगरानी किसकी करेंगे? यह ब्रह्मज्ञान अगर वे अक्टूबर में अपनी प्रदेश सरकार को देते और नवंबर में ही धान ख़रीदी शुरू कराते तो शायद आज हुए नुक़सान से बचा जा सकता था। लेकिन ख़ुद मरकाम प्रदेश सरकार की राजनीतिक नौटंकी के सहभागी बनकर केंद्र सरकार के ख़िलाफ़ धरना-प्रदर्शन की रणनीति बनाने में मशगूल थे! श्री शर्मा ने कहा कि प्रदेश सरकार अब तक न तो मिलिंग की कोई सुविचारित नीति तय कर पाई है और न ही धान को संग्रहण केंद्रों तक पहुँचाने की कोई समयबद्ध योजना बना पाई है जिसके कारण किसानों का धान ख़रीदी केंद्रों में जमा हुआ और खुले में पड़ा भीग गया। ख़रीदी केंद्रों में धान जाम पड़ा होने के कारण अब शेष किसानों का धान भी बिक नहीं पा रहा है। श्री शर्मा ने कहा कि प्रदेश सरकार धान ख़रीदी प्रक्रिया को सरल कर तेज़ गति के साथ किसानों का पूरा धान ख़रीदने की व्यवस्था सुनिश्चित करे और धान ख़रीदी की समय सीमा को एक माह बढ़ाने का एलान करे ताकि परेशान किसानों को राहत महसूस हो।

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