छत्तीसगढ

आदिवासी भावनाओं का खुलेआम अपमान, 611 साल पुरानी भावनाएं खंडित: विक्रम उसेंडी

रायपुर। भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष विक्रम उसेंडी ने 611 साल पुरानी बस्तर दशहरा पाट जात्रा रस्म में हुई चूक को प्रदेश सरकार के गलत राजनीतिक आचरण का प्रतीक बताया है। श्री उसेंडी ने कहा कि बस्तर दशहरा पाट जात्रा रस्म के दौरान अब तक की परम्परा और विधि विधान को ताक पर रख पूजा कराके सरकार के एक मंत्री व सांसद ने प्रदेश और विशेषकर बस्तर, की इस परम्परा से जुड़ी जनभावनाओं का अपमान किया है।
भाजपा अध्यक्ष श्री उसेंडी ने कहा कि प्रदेश सरकार एक तरफ हरेली मनाकर छत्तीसगढ़िया संस्कृति की रक्षा का ढोल पीट रही है, वहीं इसी पर्व से जुड़ी आदिवासी-भावनाओं को अपनी राजनीतिक लोलुपता के चलते कुचलने का इस सरकार को कोई रंज तक नहीं होना आश्चर्यजनक है। उन्होंने कहा कि हरेली अमावस के दिन ही बस्तर दशहरे के लिए पाट जात्रा पूजा की रस्म निभाई जाती है और इस मौके पर बस्तर राजपरिवार की भागीदारी रहती है। लेकिन इस बार न तो राजपरिवार को इस मौके पर बुलाया गया और न ही मीडिया को इसकी खबर दी गई। हर साल यह पूजा सुबह 11 बजे शुरू होती है, लेकिन इस बार पूजा सुबह नौ बजे से ही शुरू कर दी गई, जिसके चलते बीजापुर, दंतेवाड़ा और अन्य स्थानों से लोग पूजा में शामिल नहीं हो सके। श्री उसेंडी ने कहा कि राजपरिवार की गैरमौजूदगी और परंपरा-विधि विधान को ताक पर रखकर जल्दबाजी में पाट जात्रा -पूजन कराना कई सवाल खड़ा कर रहा है।
भाजपा प्रदेश अध्यक्ष श्री उसेंडी ने कहा कि इस कार्यक्रम में पूजा व प्रसाद की पूरी सामग्री राजपरिवार गंगाजल से शुध्द करके भेजता है। इसी तरह बस्तर दशहरा के लिए रथ बनाने पहली लकड़ी दंतेश्वरी मंदिर के सामने ग्राम बिलौरी से लाई जाती है। पूरे पूजन-कार्यक्रम का नेतृत्व अंचल के मांझी मुखिया राजपरिवार की उपस्थिति में करते है। लेकिन इन सारी बातों को बस्तर के मंत्री व सांसद ने नजरंदाज करके आदिवासी-भावनाओं का खुलेआम अपमान किया है। इस घटना से बस्तर के आदिवासियों में गहन आक्रोश है। हमारी पार्टी प्रदेश सरकार और कांग्रेस के मंत्री-सांसद के इस कृत्य की कड़ी भर्त्सना करती है। उन्होंने सरकार के मुखिया की इस मामले में चुप्पी पर भी कड़ा एतराज जताया है। इस शर्मनाक हरकत के लिए बस्तर के आदिवासियों से प्रदेश सरकार व कांग्रेस नेता निःशर्त क्षमा मांगे।

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