छत्तीसगढ

एक समय वरिष्ठ प्रदेश को जीडीपी बढ़ाने अपना अमूल्य योगदान दिया, अब उनके सम्मान की बारी है : शुभंकर विश्वास

रायपुर। छत्तीसगढ़ के वरिष्ठ नागरिकों के कल्याण हेतु राज्य नीति निर्धारण पर एक परिचर्चा का आयोजन शुक्रवार को पंडित दीन दयाल उपाध्याय सभागार में हेल्प ऐज इंडिया के द्वारा किया गया। इस अवसर पर वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी श्रीमती इंदिरा मिश्र विशेष अतिथि के रूप में मौजूद थी। इसके साथ ही हेल्प ऐज इंडिया के चीफ ऑपरेटिंग अफसर रोहित प्रसाद, मेहर कड़कड़ डायरेक्टर सोशल ऑडिट, स्टेट हेल्थ रिसोर्स सेन्टर के विष्णु गुप्ता, रुषेन कुमार समाज सेवी, तथा कई वरिष्ठ नागरिकों ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराई।

छत्तीसगढ़ में आज 26 लाख वरिष्ठ नागरिक हैं, जो अगले बीस वर्ष में बढ़ के 50 लाख हो जाएंगे। अतः इतने बड़े सामाजिक वर्ग की अवहेलना हमें भारी पड़ सकता है। शुभंकर विश्वास जो कि हेल्प ऐज इंडिया के छत्तीसगढ़ प्रदेश के इंचार्ज हैं। उनका कहना है कि वरिष्ठ नागरिकों ने अपने युवावस्था में इस प्रदेश के जीडीपी को बढ़ाने में अपना अमूल्य योगदान दिया है। अब जबकि वो बूढ़े हो गए हैं तो इस समाज का कर्तव्य है कि उन्हें सम्मान से जीने की राह दिखाएं। आज के दौर में वरिष्ठ नागरिकों को चार महत्वपूर्ण समस्याएं हैं। वित्तीय असुरक्षा, मानसिक असुरक्षा, मर्यादा का अभाव तथा स्वास्थ्य सेवाओं का अभाव। ऐसे में एक प्रादेशिक वरिष्ठ नागरिक नीति इन बिंदुओं में कार्य करने के लिए एक मार्गदर्शक बन सकता है।

मेहर कार्डेकर ने कहा कि हमारा समाज कास्ट तथा क्लास में बंटा हुआ है। इसलिए जो नीति लायी जाए वो इन बातों को ध्यान में रखे। छत्तीसगढ़ में अनुसूचित जनजाति के लोग ज्यादा हैं। तथा इस वर्ग के बुजुर्ग आदिवासियों को कठिन परिस्थितियों का सामना करना पड़ता है। इन सभी बिंदुओं को ध्यान में रखना चाहिए।

रोहित प्रसाद ने कहा कि विकसित देशों को 100 साल लगे वरिष्ठ नागरिकों की संख्या में उन्नति होते हुए। मगर भारत वर्ष में ये काफी तेजी से हो रहा है। ऐसे में इन बुज़ुर्गों की देख रेख करने की एक राज्य नीति हमें आगे बढ़ने में सहायता करेगी।

गौतम बंदोपाध्याय ने इस मौके पर कहा कि भारत का संविधान वरिष्ठ नागरिकों को गौरव से जीने का हक़ देता है। उनकी सुरक्षा, उनका स्वास्थ्य, उनका सामाजिक तथा आर्थिक सुरक्षा का हक़ देता है। फलस्वरूप हम इस राज्य नीति की मांग कर के अपना संवैधानिक हक़ मांग रहे हैं।

इस मौके पर आए वरिष्ठ नागरिकों ने एक कमेटी बनाने की मांग रखी। इंदिरा मिश्र जी ने सभी का अभिवादन करते हुए कहा कि राज्य सरकार को इस दिशा में सोचने की ज़रूरत है। तथा सुप्रीम कोर्ट ने भी 2007 में माता पिता भरण पोषण कानून के तहत इस दिशा में सार्थक कदम उठाया था। अब वक्त है उस कानून को सही तरह से इम्पलीमेंट किया जाए।

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