छत्तीसगढ

कलयुगी वकील पुत्र की ऐसी करतूत…डॉ. किरणमयी नायक ने अपनी सूझबूझ से कुछ यूं सुलझाया मामला

दुर्ग, 22 दिसंबर। छत्तीसगढ़ राज्य महिला आयोग की जनसुनवायी के दौरान एक अजीबोगरीब मामला सामने आया है। इसमें एक वकील पुत्र ने अपने ही मां से 25 लाख रुपए ऐंठ लिए।

मामला संज्ञान में आते ही आयोग की अध्यक्ष डॉ. किरणमयी नायक भी भौंचक रह गई। बावजूद इसके उनकी पैनी नजर ने सब कुछ भांपते हुए बहुत सटीक तरीके से मामले को सुलझा लिया। दरअसल ये मामला दुर्ग जिले का है,और बुधवार को हुई जनसुनवायी के दौरान यह मामला सबके सामने आया।

महिला आवेदक ने आयोग के समक्ष अपनी समस्या रखी, जिसमें उन्होंने बताया कि उनके पति के मृत्यु के बाद वो अपना जीवन निर्वाह पति के जमा पूंजी  जिसे एफडी बनाकर रखा था, उससे करती है। मां अधिक पढ़ी लिखी नहीं होने के कारण यह काम उनके वकिल बेटा करता था। यहां तक तो सब ठीक है। परेशानी तब हुई जब मां को बेटे द्वारा रूपए नहीं दिया जा रहा था।

मां का ये आरोप बेटे पर

आवेदक मां ने आयोग के सामने शिकायत में विवरण दिया जिसमें बताया कि, उनके पति वर्ष 2010 में बीएसपी से सेवानिवृत्त के बाद 25 लाख की राशि मिली थी। जिसमें से 9 लाख की राशि पोस्ट आफिस में और 15 लाख रुपये की राशि स्टेट बैंक में फिक्स डिपाजिट की गई थी अर्थात कुल 24 लाख रुपये का फिक्स डिपाजिट था। दोनों फिक्स डिपाजिट से प्रतिमाह 16 हजार रुपये का ब्याज मिलता था। आवेदक ने आगे बताया कि अनावेदक बेटा के द्वारा उसे प्रतिमाह 10 हजार रुपये की राशि दी जाती थी परंतु वर्तमान में अनावेदक बेटा उन्हें कोई राशि नहीं दे रहे है। साथ ही अनावेदक बेटा उन्हें उनके फिक्स डिपाजिट से संबंधित कागजात भी मुहैया नहीं करा रहा है। इससे परेशान मां ने आयोग की शरण ली।

बेटा का अपना ये तर्क

उधर अनावेदक बेटा का कहना है कि, उसके संज्ञान में 15 लाख रुपये की है, जिसका संचालन वो 2015 से स्वयं कर रहा था। फिर उस राशि को उसने निकालकर आवेदक के नाम पर मेन पोस्ट ऑफिस में सीनियर सिटीजन के रूप में जमा कराया था। इसके साथ ही अनावेदक बेटा का कहना है कि दुर्ग पोस्ट आफिस से आवेदक ने 15 लाख रूपये निकाल लिया है। अनावेदक बेटा ने बताया है कि वह खाता ज्वांइट खाता नहीं है लेकिन नॉमिनी में नाम उसी का है। आयोग द्वारा पुछे जाने पर अनावेदक बेटा ने पास बुक की कॉपी आयोग को मुहैया कराई। पासबुक में 15 लाख की राशि निकाला जा चुका है, इसका विवरण उसमें अंकित है। वर्तमान में यह खाता संचालित भी नहीं है।

आयोग ने मंगवायी पोस्ट आफिस से सीसीटीवी फुटेज

आयोग ने वस्तुस्थिति का अनुसरण करते हुए पाया कि आवेदक कम पढ़ी-लिखी है। जबकि अनावेदक बेटा एक सरकारी वकील है। अपनी बुजुर्ग मां को रुपए न देना पड़े इसके लिए अनावेदक बेटे के द्वारा शातिर तरीके से दस्तावेजो को गढ़ा गया है। यह बात डॉ. नायक को समझने में देर नहीं लगी। क्योंकि अनावेदक बेटे के पास ही बैंक से संबंधित सभी कागजात थेे इसलिए आयोग का यह अनुमान है कि अनावेदक ने ही मां के हस्ताक्षर का दुरूपयोग कर 15 लाख की राशि निकाल लिया है। यह बात इसलिए दावे के साथ कही जा सकती है, क्योंकि बिना वांछित कागजात के आवेदक पोस्ट ऑफिस से राशि निकालकर खाता बंद नही करवा सकती। इसके पुष्टि के लिए आयोग ने पोस्ट आफिस से सीसीटीवी फुटेज और अन्य जानकारी भी मुहैया कराने के लिए कहा है।

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