छत्तीसगढ

कांग्रेस की मांग, प्रधानमंत्री द्वारा रमन सिंह की अनुपातहीन संपत्ति की जांच की जानी चाहिए

रायपुर, 11 अगस्त। छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस ने पूर्व मुख्यमंत्री डॉ.रमन सिंह की संपत्ति बढ़ने पर गम्भीर आरोप लगाए हैं। प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग अध्यक्ष शैलेश नितिन त्रिवेदी ने कहा कि रमन सिंह की संपत्तियां 2008 से 2018 के तीन चुनावों के बीच कैसे दस गुना से अधिक बढ़ गई? उन्होंने ऐसा क्या किया जिससे उनकी संपत्तियां इस तरह बढ़ती गईं ? उनके और उनकी पत्नी के पास इतना पैसा कहां से आया? मंगलवार को प्रदेश कांग्रेस कार्यालय में पत्रकारवार्ता कर कांग्रेस ने आरोप लगाए हैं। इस दौरान कांग्रेस नेता राजेन्द्र तिवारी, संचार विभाग अध्यच शैलेश नितिन त्रिवेदी, प्रदेश प्रवक्ता विकास तिवारी, धनंजय सिंह ठाकुर सहित अन्य नेता मौजूद थे।इस दौरान कांग्रेस नेताओं ने कहा कि  इन दस वर्षों में सिर्फ रमन सिंह और वीणा  सिंह ही नहीं अविभाजित हिंदू परिवार (एचयुएफ) की संपत्ति भी दनादन लगातार बढ़ती रही। जब रमन सिंह की परिसंपत्तियों की जांच हो तो उनके एचयुएफ खातों और आय के साधनों की भी जांच होनी चाहिए। कांग्रेस नेताओं ने कहा कि रमन सिंह की घोषित संपत्ति जिस तरह से बढ़ी है वह आय से अधिक संपत्ति का मामला है। इस पूरे मामले की शिकायत ईओडब्लू और प्रधानमंत्री कार्यालय से की जा चुकी है। कांग्रेस पार्टी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से अनुरोध करती है कि वे न खाउंगा न खाने दूंगा के अपने वादे पर अमल करें और बहुत कुछ खाकर सत्ता खो चुके रमन सिंह के खिलाफ भी जांच के आदेश दें। कांग्रेस डॉ.रमन सिंह से मांग करती है कि वे भी अपनी और अपनी पत्नी की संपत्ति में बेहिसाब बढ़ोत्तरी का हिसाब राज्य की जनता को दें।

त्रिवेदी ने कहा कि पूरा छत्तीसगढ़ जानता है कि रमन सिंह एक अत्यंत सामान्य आर्थिक परिस्थिति के परिवार से आते हैं और उनके परिवार के पास न तो अधिक जमीन जायजाद है और न कोई पुश्तैनी कारोबार या उद्योग है। उनके पिता विघ्नहरण सिंह जी एक सामान्य वकील थे। खुद रमन सिंह ने आयुर्वेद में डिग्री ली है और वे कवर्धा में एक डॉक्टर के रूप में कार्यरत रहे। उन पर आश्रित बच्चों ने प्रोफेशनल डिग्रियां ली हैं और जाहिर है कि इसमें भी अच्छा खासा पैसा खर्च हुआ होगा। लेकिन उनकी संपत्ति में आय से कई गुना अधिक की वृद्धि हुई है। हमने उनके तीन चुनाव शपथ पत्र निकालकर देखे हैं। त्रिवेदी ने कहा कि चुनाव लड़ते वक़्त चुनाव आयोग के निर्देशानुसार संपत्तियों, कमाई और खर्च का जो विवरण डॉ.रमन सिंह ने जमा किया है, यह सिर्फ़ उसका आकलन है। इस आकलन के अनुसार वर्ष 2008 में उनके पास एक करोड़, चार लाख की संपत्ति थी।

उस समय तक रमन सिंह मुख्यमंत्री के रूप में एक कार्यकाल पूरा कर चुके थे। लेकिन अपने दूसरे कार्यकाल में उन्होंने ऐसा कुछ उल्लेखनीय करना शुरू किया,जिससे कि उनकी संपत्ति अगले चुनाव तक यानी वर्ष 2013 तक बढ़कर पांच करोड़ 61 लाख हो चुकी थी। वर्ष 2008 से वर्ष 2013 तक रमन सिंह की संपत्ति पांच गुने से अधिक बढ़ गई। मुख्यमंत्री के रूप में तीसरे कार्यकाल के समाप्त होने तक यानी वर्ष 2018 में उन्होंने चुनाव आयोग को बताया कि उनकी संपत्ति दो गुना होकर 10 करोड़ 72 लाख हो चुकी थी। यह स्थिति तब है जब उनकी आय अत्यंत सीमित थी।  वर्ष 2012-13 में उन्होंने जो आयकर रिटर्न भरा था उसके अनुसार उनकी आय 14 लाख 60 हजार के करीब थी। इसी दौरान उनकी पत्नी की आय 12 लाख 52 हजार के करीब थी। वर्ष 2013 में रमन सिंह पर 28 लाख से अधिक का कर्ज था लेकिन वह भी उन्होंने पांच साल के भीतर चुका दिया था क्योंकि वर्ष 2018 के चुनाव में उन्होंने बताया है कि उन पर कुल देनदारी तीन हजार रुपए ही बची थी। यह इतना बड़ा कर्ज उन्होंने कैसे चुकाया? इतनी कम आय में संपत्तियाँ दस गुना कैसे बढ़ी यह जांच का विषय है? इसके साथ ही कांग्रेस नेताओं ने डॉ रमन सिंह और उनकी पत्नी के पास सोना चांदी की मात्रा में हुई वृद्धि पर सवाल किया है।

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