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कांग्रेस में कलह, G-23 हुआ मुखर, गुलाम नबी आजाद ने सोनिया गांधी को फिर लिखा पत्र

नई दिल्ली, 29 सितंबर। कांग्रेस पार्टी में कलह बढ़ गई है। G-23 के वरिष्ठ नेताओं ने एक बार फिर कांग्रेस आलाकमान के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। उन्होंने सीडब्ल्यूसी की तत्काल बैठक बुलाने की मांग की है। कांग्रेस में हाशिये पर चल रहे वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद ने कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी को पत्र लिखकर कांग्रेस कार्यसमिति (सीडब्ल्यूसी) की तत्काल बैठक बुलाने को कहा है। वहीं पार्टी के वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल ने कहा कि मैं उन कांग्रेसियों की ओर से बोल रहा हूं, जिन्होंने पिछले साल अगस्त में पत्र लिखा था। हम केंद्रीय अध्यक्ष, सीडब्ल्यूसी और केंद्रीय चुनाव समिति के पद के चुनाव के संबंध में हमारे नेतृत्व द्वारा की जाने वाली कार्रवाई की प्रतीक्षा कर रहे हैं। हमारी पार्टी में कोई अध्यक्ष नहीं है इसलिए हमें नहीं पता कि ये निर्णय कौन ले रहा है। हम जानते हैं और फिर भी हम नहीं जानते। उन्होंने कहा कि चर्चा के लिए तुरंत सीडब्ल्यूसी की बैठक बुलाई जाए।

कांग्रेस के जी-23 गुट के असंतुष्ट सदस्यों में इस बात को लेकर नाराजगी है कि उन्‍हें पार्टी के महत्‍वपूर्ण फैसलों में शामिल नहीं किया जाता है। बता दें कि कांग्रेस के इसी जी-23 के सदस्‍यों ने बीते दिनों पार्टी में प्रभावी नेतृत्व के लिए एक पत्र लिखकर सियासी भूचाल ला दिया था।

अध्‍यक्ष सोनिया गांधी लेकिन बैठकें राहुल गांधी के घर पर

राहुल गांधी के इस्तीफे के बाद से सोनिया गांधी कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष हैं लेकिन हैरानी की बात यह है कि कांगेस के सभी फैसले और बैठकें राहुल गांधी के आवास पर होती हैं। यह उनको पार्टी के सर्वोच्च नेता के तौर पर काबिज होने की ओर इशारा करती हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, जी-23 गुट के कई नेताओं को पार्टी की विभिन्न समितियों में समायोजित किया गया था, लेकिन इन्‍हें परामर्श प्रक्रियाओं में शामिल नहीं किया गया। इसके चलते जी-23 गुट के सदस्यों में नाराजगी दिखाई दे रही है।

राहुल गांधी या तो जिम्‍मेदारी लें या दूसरे के लिए रास्‍ता बनाएं

मौजूदा वक्‍त में कांग्रेस का पूरा तंत्र राहुल गांधी के अधीन काम कर रहा है। सूत्रों की मानें तो जी-23 नेताओं को इस बात की नाराजगी है कि या तो राहुल पार्टी की पूरी जिम्मेदारी लें या किसी और के लिए रास्ता बनाएं। जी-23 के नेता चाहते हैं कि सोनिया गांधी ही पूर्णकालिक अध्यक्ष के तौर पर काम करें, लेकिन सूत्रों की मानें तो स्वास्थ्य कारणों से वह इसमें दिलचस्‍पी नहीं ले रही हैं।

कठिन दौर से गुजर रही कांग्रेस

राजस्थान में अंदरूनी टकराव का मसला भी पिछले एक साल से लटका हुआ है। अब कहा जा रहा है कि राजस्‍थान में मंत्रिमंडल विस्तार के जरिए इसे थामने की कोशिश होगी। भले ही कुछ नेता सबकुछ ठीक होने की बात कहें, लेकिन लेकिन मौजूदा समय में कांग्रेस भारी चुनौतियों का सामना कर रही है। एक-एक कर नेता पार्टी को छोड़कर जा रहे हैं

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