छत्तीसगढ

कार्डियक यूनिट से हजारों को मिली नई जिंदगी, जटिल ऑपरेशन कर मरीजों की बचाई जान

– लाभान्वितों में 102 वर्ष के बुजुर्ग और 20 दिन का नवजात भी शामिल

रायपुर, 13 जुलाई। प्रदेश के डॉ. भीमराव अम्बेडकर अस्पताल का कार्डियक यूनिट दिल के मरीजों के लिए किसी वरदान से कम नहीं है। यहां न केवल दिल की भिन्न तरह की बीमारियों का निदान किया गया है, बल्कि दिल के मरीजों को नया जीवन भी दिया है।

नया जीवन पाने वालों में 102 वर्ष के बुजुर्ग और 20 दिन का नवजात भी शामिल हैं। कैथलैब के आंकड़ों पर नजर डालें तो अब तक दिल की करीब 6423 जटिल प्रक्रिया हुई है। वहीं एडवांस प्रक्रिया मिलाकर 7500 दिल के मरीजों को नई जिंदगी मिली है। कार्डियक यूनिट में पहली बार एलएए डिवाइस (लेफ्ट एटरियल एपैन्डेज क्लोजर डिवाइस) का सफल ऑपरेशन कराए मरीज की बेटी वर्षा का कहना है “लोग सरकारी अस्पताल के नाम से डरते हैं, और सोचते हैं इलाज ठीक नहीं मिलेगा। मगर मेरे पापा को नई जिंदगी सरकारी अस्पताल में ही मिली। कार्डियक यूनिट में पहली बार एलएए का सफल ऑपरेशन हुआ और मेरे पापा ठीक हैं।“ दूसरी ओर कार्डियक यूनिट के डॉक्टरों डॉ. स्मित श्रीवास्तव, डॉ. कृष्णकांत साहू, डॉ. निशांत सिंह चंदेल और डॉ.जोगेश का प्रयास भी है कि लोग सरकारी अस्पतालों के प्रति अपनी सोच को बदलें और अस्पताल में उपलब्ध बेहतर इलाज का लाभ लें।

कहते हैं मरीज – जटिल प्रक्रियाओं से गुजरकर नया जीवन पाने वाले मरीजों के मुताबिक —

  1. “रोग दूर हुआ, बच गई जान” –रायपुर निवासी 65 वर्षीय रमेश साह ( परिवर्तित नाम) के अनुसार उनके दिल में रक्त का थक्का बन रहा है। कई जगह इलाज कराया मगर, रोग दूर नहीं हुआ। अम्बेडकर अस्पताल पहुंचने पर यहां डॉक्टरों ने उनके दिल में एलएए डिवाइस (लेफ्ट एटरियल एपैन्डेज क्लोजर डिवाइस) लगाया और दो माह के लिए खून पतला करने की दवा दी। रमेश ने कहा “बिटिया की शादी थी और उसका कन्यादान कर रहे थे, उसी वक्त लकवा का अटैक आया। यदि अम्बेडकर अस्पताल के डॉक्टरों ने दिल में डिवाइस नहीं लगाई होती तो शायद मेरा बचना मुश्किल था।“
  2. “जान तो यहीं आकर बची है”-रायपुर निवासी शीला ( परिवर्तित नाम) बताती हैं “15-20 सालों से उनका ब्लडप्रेशर (बीपी) काफी हाई (200/150 ) रहता था। कई डॉक्टरों को दिखाया, ढेरों दवाएं खानी पड़ती थी, मगर आराम नहीं हुआ । पड़ोसी ने अम्बेडकर अस्पताल के कार्डियक विभाग में दिखाने की सलाह दी। अम्बेडकर में पहुंची तो यहां किडनी की एंजीयोग्राफी की तो पता चला दोनों कि़डनियां 90 प्रतिशत प्रतिशत किडनी काम नहीं कर रही थी और हार्ट में भी ब्लाक था I इसके बाद स्टेंट डाला गया। आज 4 वर्ष हो गए मुझे किसी तरह की परेशानी नहीं है और मेरा बीपी भी 140/70 रहने लगा है।“

कैथलैब में एजीयोग्राफी एक नजर में – कैथलैब ने हजारों को नई जिंदगी दी है। यदि एंजियोग्राफी का कुछ साल का ही आंकड़ा देखें तो साल दर साल मरीजों को लाभ ही मिला है।  वर्ष 2009 में 41, 2010 में 220, 2011 में 140, 2012 में 66, 2013 में 110, 2014 में 644 एंजियोग्राफी हुई। वर्तमान में भी यह क्रम निरंतर जारी है।

एडवांस प्रक्रियाएं एक नजर में – नामचीन अस्पतालों में ही एडवांस तकनीक द्वारा दिल के मरीजों का इलाज किया जाता था, परंतु अंबेडकर अस्पताल के कैथलैब में भी हजारों जटिल ऑपरेशन कर मरीजों की जान बचाई गई है। इनमें मुख्य रूप से पल्सीपेरीफेरल एंजियोप्लास्टी, ऑटोस्टेंटनिंग, बलून मिटरल वॉल्वोटॉमी,  पेडियाट्रिक पीडीए डिवाइस क्लोसर, नियोनेटल (20 दिन के नवजात की) बलून प्लूमूनरो वॉल्वोटॉमी आदि। इस तरह वर्ष 2015 से 2020 जून तक के आंकड़ें देखें तो 2015 में 969, 2016 में 1098, 2017 में 1306, 2018 में 1477, 2019 में 1238 तथा जून 2020 में 335 जटिल एवं सामान्य ऑपरेशन हुए  हैं।

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