छत्तीसगढ

किसानों को 2500 रुपए का भुगतान नहीं, कांग्रेस का किसान विरोधी चेहरा उजागर : कौशिक

रायपुर, 27 मार्च। नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक ने धान बेचने के बाद समर्थन मूल्य की अंतर राशि की चौथी किश्त में कटौती करके किसानों के खाते में राशि जमा कराने पर प्रदेश सरकार के रवैए पर कड़ा ऐतराज जताया है। उन्होंने कहा कि किसान न्याय योजना के नाम पर किसानों के साथ छलावा किया जा रहा है। जिसकी जितनी निंदा की जाए कम है।
नेता प्रतिपक्ष कौशिक ने कहा कि वर्ष 2019-20 के सत्र में धान बेचने वाले प्रदेश के लाखों किसानों के खाते में करीब 400 करोड़ रुपए कम जमा करके प्रदेश सरकार ने अपने किसान विरोधी चेहरा उजागर हुआ है। प्रदेश सरकार ने करीब 83 लाख मीट्रिक टन धान खरीदी है जिसमें प्रति क्विंटल 18 रुपए का भुगतान कम किया गया है। उन्होंने कहा कि किसानों के कई प्रतिनिधि मंडल इस बात की शिकायत कर रहे है कि पूरे प्रदेश में धान के बोनस के किश्त पर कटौती की गई है साथ ही 16 महीने विलंब से यह भुगतान किया गया है। जिसकी राशि की मूल को जोड़कर ब्याज के साथ भुगतान किया जाना चाहिए। नेता प्रतिपक्ष कौशिक ने कहा कि प्रति क्विंटल 2500 रुपए देने का वादा और दावा करने वाली सरकार का किसानों के साथ इस तरह का छलावा करना प्रदेश के किसान बर्दाश्त नहीं करेंगे और भाजपा किसानों के हक के लिए सड़क से सदन तक की लड़ाई लड़ेगी। उन्होंने कहा कि एकमुश्त धान की कीमत देने का ढोल पीटने वाली प्रदेश सरकार अंतर राशि का भुगतान तक एकमुश्त करने में आनाकानी कर कर रही है। श्री कौशिक ने किसानों के हक की पूरी राशि उनके खाते में तत्काल जमा करने की मांग करते हुए कहा कि ऐसा नहीं करने पर प्रदेश सरकार किसानों के व्यापक असंतोष का सामना करना पड़ सकता है।

नेता प्रतिपक्ष कौशिक ने कहा कि प्रदेश की कांग्रेस सरकार ने अपने 36 वादों में केवल 14 वादा पूरा करने की बात कह रही है। यही कारण है मुख्यमंत्री अपने घोषणा पत्र के वादों के बारे में न विस्तार से चर्चा कर रहे हैं और न ही वादा पूरा कर रहे हैं। उसमें भी धान खरीदी को लेकर 2500 के भुगतान वादा कर नही कर रही है। यह स्पष्ट कर दिया है कि गंगाजल का सौगंध उन्होंने केवल सियासी लाभ के लिया था। इसी प्रकार इस वर्ष बारदाने के नाम पर किसानों को ठगा गया है उनके मात्र 15 रुपए प्रति नग के दर से भुगतान बात कही जा रही है जबकि सरकार ने बारदाना वह 54 रुपये में खरीदा है जबकि भुगतान किसानों को 15 रुपये किया जा रहा है। इस तरह से किसानों को 150 करोड़ रुपए इसमें भी कम भुगतान की जानकारी प्राप्त हो रही है। प्रदेश सरकार के इस पूरे रवैए से किसानों में व्याप्त आक्रोश स्पष्ट करता है कि प्रदेश की सरकार कहीं भी किसानों को लेकर संवेदनशील नहीं है। किस लिये कटौती की गयी यह भी नही बताया जा रहा है।

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