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कृषि कानूनों पर किसान महापंचायत हुए आक्रामक, 27 सितंबर को भारत बंद का ऐलान

मुजफ्फरनगर, 5 सितंबर। मुजफ्फरनगर में किसान महापंचायत में रविवार को संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) के तत्वावधान में 15 राज्यों के 300 से अधिक किसान संगठनों ने भाग लिया, जो किसान एकता की ताकत का एक बड़ा प्रदर्शन साबित हुआ और इसमें विरोध जारी रखने के अपने संकल्प को दोहराया गया। किसानों ने सर्वसम्मति से तीन विवादास्पद कृषि कानूनों के विरोध में 27 सितंबर को पूर्ण भारत बंद का आह्वान किया है।

महापंचायत को किसानों और उनके समर्थकों से भारी प्रतिक्रिया मिली और विशाल जीआईसी मैदान सुबह से ही खचाखच भरा हुआ था और कार्यक्रम स्थल की ओर जाने वाली सड़कों पर बड़ी भीड़ देखी गई। रविवार की महापंचायत में जो महत्वपूर्ण था वह महिलाओं की उल्लेखनीय रूप से बड़ी उपस्थिति थी, जिनमें से कई ने सभा को संबोधित किया। हजारों किसान पिछले नौ महीनों से दिल्ली की सीमाओं पर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं, जो तीन विवादास्पद कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग कर रहे हैं, जो उन्हें लगता है कि एमएसपी प्रणाली को खत्म कर देगा। केंद्र ने अब तक किसान संघों के साथ उनकी चिंताओं को दूर करने के लिए 10 दौर की बातचीत की है, जिसमें कोई बड़ी सफलता नहीं मिली है।

किसान नेताओं ने कहा, केंद्र सरकार आज देख लें की महापंचायत मे मुट्ठीभर किसान विरोध कर रहे हैं या पूरा हुजूम। किसान नेता अपने साथियों से कहा कि आइए हम अपनी आवाज उठाएं ताकि संसद में बैठे लोगों के कानों तक हमारी आवाज पहुंचे। किसान नेताओं ने कहा कि महापंचायत यह भी साबित करेगी कि आंदोलन को ‘सभी जातियों, धर्मों, राज्यों, वर्गों, छोटे व्यापारियों और समाज के सभी वर्गों’ का समर्थन प्राप्त है।

एसकेएम ने एक बयान में कहा, “महापंचायत आज मोदी और योगी सरकारों को किसानों, खेत मजदूरों और कृषि आंदोलन के समर्थकों की शक्ति का एहसास कराएगी। मुजफ्फरनगर महापंचायत पिछले नौ महीनों में अब तक की सबसे बड़ी होगी।” साथ ही यह भी स्पष्ट कर दिया कि अगर सरकारें उनकी मांगों को नहीं मानती हैं तो वे 2022 में उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड विधानसभा चुनावों में सत्तारूढ़ भाजपा के खिलाफ प्रचार करेंगे। उन्होंने 2024 तक अपना आंदोलन जारी रखने की धमकी भी दी, जब लोकसभा चुनाव होने वाले हैं। उन्होंने आगे कहा कि अब आंदोलन को मजबूत करने और यह सुनिश्चित करने के प्रयास किए जाएंगे कि किसानों की अपनी सरकार हो – जो उनके हितों को पूरा करे।

बीकेयू के प्रवक्ता राकेश टिकैत ने संवाददाताओं से कहा, “यह किसानों की ताकत है और कब तक सरकारें हमें हमारे अधिकारों से वंचित करती रहेंगी। किसान अपने दम पर कई राज्यों से आए हैं और वे यहां किसी राजनीतिक दल के लिए नहीं हैं।” टिकैत ने कहा कि भारत को अब बिक्री के लिए रखा जा रहा है और राष्ट्रीय संपत्ति निजी क्षेत्र को बेची जा रही है। उन्होंने कहा कि गन्ना किसानों के समर्थन में अगली बैठक लखनऊ में होगी। राष्ट्रीय लोक दल की महापंचायत में एक उल्लेखनीय राजनीतिक उपस्थिति थी। जिला प्रशासन ने आरएलडी को प्रतिभागियों पर पुष्पवर्षा करने की अनुमति देने से इनकार कर दिया था।

उधर भाजपा सांसद वरुण गांधी ने एक तरह से किसानों को समर्थन ही दिया है। वरुण को लगता है कि किसानों की माँगें वाजिब है और इसे सुनी जानी चाहिए। वरुण ट्विट करते हुए लिखा कि मुजफ्फरनगर में आज लाखों किसान धरना प्रदर्शन में जुटे हैं। वे हमारे अपने खून हैं। हमें उनके साथ सम्मानजनक तरीके से फिर से जुड़ने की जरूरत है, उनके दर्द, उनके दृष्टिकोण को समझें और आम जमीन तक पहुंचने के लिए उनके साथ काम करें।

केंद्रीय मंत्री और मुजफ्फरनगर के सांसद संजीव बाल्यान ने कहा है कि अगर संयुक्त किसान मोर्चा राजनीति में आना चाहते हैं तो हम उनका स्वागत करेंगे| वहीँ कांग्रेस महासचिव प्रियंका गाँधी ने मुजफ्फरनगर में हुए किसान महापंचायत पर ट्वीट करते हुए लिखा कि “किसान इस देश की आवाज हैं। किसान देश का गौरव हैं। किसानों की हुंकार के सामने किसी भी सत्ता का अहंकार नहीं चलता। खेती-किसानी को बचाने और अपनी मेहनत का हक मांगने की लड़ाई में पूरा देश किसानों के साथ है।

इस बीच, पंजाब के 32 किसान संघों ने राज्य सरकार से 8 सितंबर तक प्रदर्शनकारियों के खिलाफ मामले वापस लेने की मांग की। यूनियनों ने कहा कि अगर मामले वापस नहीं लेते हैं, तो किसान बड़ा विरोध करेंगे।

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