केजरीवाल की राह पर ‘दीदी ममता’ : फ्री स्कीम्स से जितना चाहती है ‘बंगाल की सत्ता’ लेकिन कटमनी से नाराज हैं लोग

कोलकाता, 23 मार्च। करीब एक साल पहले दिल्ली में फ्री स्कीम्स ने जिस तरह अरविंद केजरीवाल को किंग बनाया था, कुछ वैसी ही उम्मीद पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी भी कर रही हैं। ममता ने ढेरों ऐसी स्कीम्स चला रखी हैं, जिनमें मुफ्त में लोगों को कुछ न कुछ मिलता है। जैसे, छात्र-छात्राओं को मुफ्त में साइकिल देती हैं। लड़कियों को दो बार 25-25 हजार रुपए देती हैं। पहली बार 18 साल की उम्र पूरे होने पर मिलते हैं तो दूसरी बार शादी के पहले मिलते हैं। मुस्लिम समुदाय के स्टूडेंट्स को लैपटॉप के लिए पैसे मिलते हैं।
इसके अलावा लॉकडाउन के पहले सभी स्टूडेंट्स को दस-दस हजार रुपए टैबलेट के लिए सरकार ने अकाउंट में डाले। लॉकडाउन के पहले से ही वे फ्री में राशन बांट रही हैं, जो अब भी बांटा जा रहा है। कुछ इलाकों में पांच किलो तो कुछ में आठ किलो तक फ्री राशन दिया जाता है।
ग्रामीण इलाकों में फ्री की इन स्कीम्स का असर भी देखने को मिल रहा है, लेकिन लोगों में कटमनी को लेकर गुस्सा भी है, क्योंकि बिना कमीशन दिए किसी भी स्कीम का फायदा नहीं मिलता। इसी कारण BJP बार-बार कटमनी को मुद्दा बना रही है। कोशिश है कि कटमनी को लेकर लोगों में जो गुस्सा है, वो वोट में तब्दील हो। चुनाव के एक साल पहले ममता ने कई फ्री स्कीम्स शुरू कीं। कुछ ही महीने पहले स्वास्थ्य साथी कार्ड बनाए गए हैं। इसमें बंगाल के नागरिक पांच लाख रुपए तक का फ्री इलाज पूरे राज्य में कहीं भी करवा सकते हैं।
अपग्रेडेशन के पैसों से फ्री में दवाई बांटी गई
सीनियर जर्नलिस्ट प्रसून आचार्या कहते हैं- केंद्र सरकार ने सरकारी अस्पतालों के अपग्रेडेशन के लिए पैसे भेजे थे, लेकिन उस पैसे से बंगाल में फ्री में दवाइयां बांटीं गईं। अस्पतालों का अपग्रेडेशन हुआ नहीं। इस कारण स्वास्थ्य साथी कार्ड में प्राइवेट अस्पतालों में फ्री इलाज की व्यवस्था की गई है, लेकिन समस्या ये है कि प्राइवेट अस्पतालों का बड़ा अमाउंट सरकार पर पेंडिंग है। इसलिए वे सरकार से नाराज हैं।
इस बार भी घोषणा पत्र में ममता ने कई लुभावने वादे किए हैं। उन्होंने गरीबों को 6 हजार रुपए सालाना देने की घोषणा की है।
इस बार भी घोषणा पत्र में ममता ने कई लुभावने वादे किए हैं। उन्होंने गरीबों को 6 हजार रुपए सालाना देने की घोषणा की है।
लेकिन, चुनाव के पहले उन्हें अधिकारियों की तरफ से जमकर डांटा गया और कहा गया कि चुनाव के समय तो यह सुविधा देनी ही होगी। ऐसे में लोगों के मन में यह संशय है कि अभी कार्ड तो बन गए, लेकिन पता नहीं मुफ्त में इलाज मिल पाएगा या नहीं। कब तक मिलेगा, इस पर भी संशय है। इसी तरह बंगाल में प्रधानमंत्री आवास योजना का नाम बदलकर बांग्ला आवास योजना के नाम से लागू किया गया। इसमें दो-दो लाख रुपए लोगों को घर बनाने के लिए स्वीकृत हुए, लेकिन इसे लेने के लिए किसी को 20 हजार तो किसी को 25 हजार रुपए कटमनी देना पड़ा।
49% महिला वोटर्स, इसलिए महिलाओं के लिए ज्यादा स्कीम्स
बंगाल में कुल 7.32 करोड़ वोटर्स हैं। इनमें 3.73 करोड़ पुरुष और 3.59 करोड़ महिला वोटर्स हैं। इसी कारण ममता ने इस बार 50 महिलाओं को टिकट दिया है, जबकि हिंदू वोटों के ध्रुवीकरण के डर से मुस्लिम कैंडीडेट्स की संख्या कम की गई है। महिलाओं को खुश करने के लिए कन्याश्री, रूपश्री जैसी योजनाएं लागू की गईं, जिसमें 25-25 हजार रुपए दिए जा रहे हैं।
स्वास्थ्य साथी कार्ड भी घर की महिला के नाम से ही जारी किया गया। जिससे महिलाओं को यह लगे कि सरकार उन्हें पूरा सम्मान दे रही है। बंगाल में किसी भी पार्टी को सरकार बनाना है तो वो महिलाओं को नजरअंदाज नहीं कर सकता। महिलाओं को अपनी तरफ लाने के चलते ही BJP बार-बार महिला सुरक्षा का मुद्दा उठा रही है। साथ ही केंद्र की योजनाएं लागू करने की बात कही जा रही है।
ममता छात्र-छात्राओं को सबूज साथी योजना के तहत साइकिल देती हैं। इसके तहत अब तक एक करोड़ से ज्यादा साइकिल बांटी जा चुकी हैं।
ममता छात्र-छात्राओं को सबूज साथी योजना के तहत साइकिल देती हैं। इसके तहत अब तक एक करोड़ से ज्यादा साइकिल बांटी जा चुकी हैं।
मुस्लिम ममता की स्कीम्स से खुश, 100 सीटों पर इनका असर
मुस्लिम मतदाता ममता की स्कीम्स से काफी खुश नजर आ रहे हैं, क्योंकि प्रदेश में माइनॉरिटी के लिए काफी सारी स्कीम्स पहले से चल रही हैं। जैसे, माइनॉरिटी स्टूडेंट्स को सरकार फ्री में लैपटॉप देती है। 70 से 100 सीटें ऐसी हैं, जहां मुस्लिमों के एकतरफा वोट किसी भी पार्टी की जीत या हार तय कर सकते हैं। अभी तक माइनॉरिटी के वोट ममता के साथ ही नजर आ रहे हैं।
एक्सपर्ट्स के मुताबिक, कुछ परसेंटेज Left-ISF के गठबंधन से कम हो सकता है, लेकिन इसका बहुत ज्यादा असर नहीं दिखेगा। साथ ही हिंदू वोटों को ज्यादा से ज्यादा अपनी तरफ करने के लिए ममता खुलकर हिंदू कार्ड खेल रही हैं। दूसरी तरफ BJP ने मुस्लिम तुष्टिकरण को ही मुद्दा बनाया है, ताकि हिंदू वोट पाए जा सकें।
एक करोड़ से ज्यादा साइकिल बांट चुकीं दीदी
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, कन्याश्री योजना का लाभ अब तक 67.29 लाख लड़कियों को मिल चुका है। वहीं रूपश्री योजना का फायदा 65 लाख युवतियों को मिल चुका है। इसके अलावा ममता छात्र-छात्राओं को सबूज साथी योजना के तहत साइकिल देती हैं। इसके तहत अब तक एक करोड़ से ज्यादा साइकिल बांटी जा चुकी हैं। ऐसी ही फ्री स्कीम्स ने दिल्ली में अरविंद केजरीवाल को जीत दिलाई थी।
कुछ उसी राह पर ममता भी चलती नजर आ रही हैं। केजरीवाल के चुनावी रणनीतिकार भी प्रशांत किशोर थे, जो दीदी के भी रणनीतिकार हैं। गांव में सड़क-पुल-पुलिया और बिजली पहुंचाने को भी TMC जमकर भुना रही है। पार्टी का कहना है कि CPM के जमाने में न सड़क थी, न बिजली। हमने पूरे प्रदेश में सड़क का जाल बिछाया है। हालांकि भ्रष्टाचार और कटमनी से लोगों में गुस्सा भी साफ नजर आ रहा है।