छत्तीसगढ

कोरोनाकाल में भी महावारी स्वच्छता की जगा रहीं अलख…गांव में किशोरी स्वास्थ्य, खानपान और सैनेटरी पैड्स का उपयोग करने कर रहीं जागरूक

महासमुंद, 6 सितंबर। कोरोना वायरस महामारी को लेकर जहां लोगों को घर में रहने और लोगों से शारीरिक दूरी बनाकर रखने की सीख दी जा रही है। वहीं महासमुंद जिले की मितानिन सुपरवाइजर आरती डडसेना द्वारा समुदाय में महावारी स्वास्थ्य और स्वच्छता देखभाल पर भी जागरूकता बढ़ाई जा रही है।

कोविड-19 महामारी के दौरान रोजाना आरती विभिन्न स्थानों पर जाकर ग्रामीणों को कोरोना संक्रमण से बचाव की जानकारी देने के साथ-साथ महिलाओं को माहवारी में स्वच्छता रखने का तरीका बता रही हैं। कपड़े की बजाए सैनेटरी पैड्स ज्यादा सुरक्षित है, इसकी जानकारी देकर इनका ही उपयोग करने की सलाह भी दे रही हैं। हालांकि माहवारी स्वच्छता के संबंध में समुदाय में जागरूकता लाने के लिए उन्हें काफी कुछ झेलना भी पड़ा। गांव की महिलाएं माहवारी पर बात करना पसंद नहीं करती थीं और किशोरी स्वास्थ्य के प्रति भी रूचि नहीं लेती थीं। लेकिन हिम्मत ना हारते हुए मितानिन आरती के अथक प्रयास से महासमुंद जिले के ग्रामीण इलाकों की महिलाएं माहवारी स्वच्छता और सुरक्षा के प्रति जागरूक हुई हैं। इतना ही नहीं काफी हद तक माहवारी के दौरान कपड़े के बजाए सैनेटरी नैपकीन्स का उपयोग करने लगी हैं और किशोरियों को भी इसका उपयोग ही करने की सलाह भी दे रही हैं।

खेल-खेल में स्वच्छता की सीख- आरती बताती हैं ग्रामीण इलाकों में माहवारी स्वच्छता को लेकर जागरूकता में कमीं है। मासिकधर्म के दौरान कई तरह की परेशानियां और संक्रमण का खतरा रहता है जिसकी मुख्य वजह गंदे कपड़े का उपयोग है। उन्होंने बताया उन्हें भी माहवारी स्वच्छता के बारे में उतनी जानकारी नहीं थी, परंतु जब विभागीय ट्रेनिंग के दौरान उन्हें इसकी जानकारी मिली तो उन्होंने ग्रामीण इलाके में मासिक धर्म के प्रति अज्ञानता और फैली भ्रांतियों को दूर करने की ठानी। लगभग डेढ़ साल से वह इस क्षेत्र में कार्य करते हुए किशोरी स्वास्थ्य और माहवारी स्वच्छता को लेकर समुदाय को जागरूक कर रही हैं। हर सप्ताह किसी ना किसी गांव में एक जागरूकता कार्यक्रम करती हैं जिसमें किशोरियों और उनकी माताओं को शामिल किया जाता है। इस दौरान क्विज या कुछ खेल कराकर किशोरियों को मासिक धर्म के दौरान स्वच्छता के महत्व के बारे में बताती है। माहवारी प्रबंधन पर खुलकर चर्चा कर उपस्थित महिलाओं और किशोरी बालिकाओं को मासिक धर्म के दौरान रुढ़िवादी सोच को त्यागकर हेल्थ और हाइजीन पर ध्यान देने को कहती हैं।

कपड़े के बजाए पैड्स ज्यादा बेहतर- हेमकुमारी और बासंती साव कहती हैं माहवारी के दौरान स्वच्छता का क्या महत्व है , यह मितानिन दीदी से ही जाना। पहले हम मासिकधर्म के दौरान कपड़े का उपयोग ही करते थे। कपड़े का माहवारी के दौरान दोबारा उपयोग करना असुरक्षित है, इसकी जानकारी जब से मिली है तब से हम पैड्स ही उपयोग कर रहे हैं। बासंती ने बताया आर्थिक स्थिति हमारी ठीक नहीं होने से हम पैड्स नहीं खरीद सकते थे, मगर मितानिन आरती दीदी ने हमें कुछ महीने पैड्स खरीदकर दिए और उपयोग करने को कहा। अब हम खुद ही पैसे जुटाकर माहवारी के लिए पैड्स उपयोग कर रहे हैं और अपनी सहेलियों को भी ऐसा करने कहते हैं।

इसलिए सेनेटरी पैड का करें उपयोग- माहवारी के दौरान ज्यादातर महिलाएं पुराना कपड़ा पैड के रूप में उपयोग करती हैं या फिर उस कपड़े को धोकर दोबारा फिर से उपयोग करती हैं, यह दोनों ही प्रक्रिया महिलाओं के लिए स्वास्थ्य उपयोगी नहीं है । पुराने कपड़े के उपयोग से कई तरह के संक्रमण, खुजली और दाने निकलने की संभावना होती है । इसलिए कपड़े की बजाए सेनेटरी पैड्स का उपयोग पूर्ण स्वच्छता और स्वास्थ्य के दृष्टिकोण से उपयोगी है।

सैनेटरी पैड्स के लिए तय हैं मानक – सैनिटरी नैपकिन” या “सैनिटरी पैड” मासिक धर्म के दौरान रक्त को सोखने के लिए उपयोग किया जाता है। मासिकधर्म स्वच्छता में जिन सैनिटरी पैड्स का इस्तेमाल स्वच्छता और सुरक्षा के लिए किया जाता है वह पूरी तरह से सुरक्षित हो और उससे महिलाओं की सेहत पर बुरा असर भी ना पड़े, इसके लिए सरकार ने मानक तय कर रखे हैं। इंडियन ब्यूरो ऑफ स्टैंडर्ड्स ने सैनेटरी पैड के लिए यह मानक मूल रूप से 1969 में प्रकाशित किया था जिसे फिर 1980 में संशोधित किया गया I समय-समय पर इसमें बदलाव भी किए जाते रहे हैं।मासिक स्राव के मद्देनजर तय किए गए मानक के मुताबिक पैड्स एक उचित मोटाई, लंबाई और अवशोषण क्षमता वाले होने चाहिए। यानि सैनिटरी पैड का काम सिर्फ़ ब्लीडिंग को सोखना नहीं स्वच्छता (हाइजिन) के पैरामीटर पर भी खरा उतरना है। अमूमन जब सैनिटरी पैड खरीदते हैं तो ब्रांड वैल्यू पर विश्वास करते हुए पै़ड्स ख़रीद लेते हैं । जबकि सैनिटरी पैड की अच्छी गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए, भारतीय मानक ब्यूरो द्वारा सख्त विनिर्देश तैयार किए गए हैं।

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