छत्तीसगढ

कोरोना पॉजीटिव मरीज़ों की सेवा करने वाले स्वयंसेवक हुए सम्मानित

रायपुर, 24 नवंबर। कोरोना काल में डॉ. भीमराव अम्बेडकर अस्पताल के विशेषीकृत कोविड अस्पताल में भर्ती कोरोना पॉजीटिव मरीज़ों की सेवा निः स्वार्थ भाव से करने वाले स्वयंसेवकों को आज अम्बेडकर अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक प्रो. डॉ. विनित जैन ने प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया गया। इस सम्बन्ध में जानकारी देते हुए सम्मान कार्यक्रम के संयोजक एवं नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ. संतोष सिंह पटेल ने बताया कि कोरोना काल में अम्बेडकर अस्पताल के विशेषीकृत कोविड अस्पताल में कुछ लोगों ने कोरोना पॉजीटिव होकर भी अपने साथ भर्ती हुए अन्य मरीज़ों की निः स्वार्थ भाव से सेवा की। अस्पताल के स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं के साथ ही इन्होंने स्वयंसेवकों की भांति कदम से कदम मिलाकर कोविड पॉजीटिव मरीजों को भोजन पहुंचाने, कोविड मरीजों के परिजनों को मोबाईल पर कुशलक्षेम की जानकारी देने, अशक्त मरीजों को सहारा देकर दैनिक कार्यों को सम्पादित करवाने में मदद की। कोविड-19 हेल्थ केयर वॉलिंटीयर के तौर पर इन्होंने जिस मरीज को जिस प्रकार के सहयोग की आवश्यकता थी उसका उसी प्रकार से सहयोग किया। यही वजह है कि इन्हें आज सम्मानित किया गया। सम्मानित होने वालों में श्री सतीश मीणा सब इंस्पेक्टर सीआईएसएफ, श्री ज्ञानेश यादव हेल्थ केयर वर्कर एवं ऑफिस स्टॉफ और श्री निरंजन प्रसाद साहू फारेस्ट गार्ड शामिल हैं। ये सभी लोग एसिम्पटोमैटिक कोरोना पॉजीटिव मरीज थे। रेस्पिरेटरी मेडिसीन विभागाध्यक्ष डॉ. आर. के. पंडा ने स्वयंसेवकों को उपहार प्रदत्त कर हौसलाअफजाई की।

परिवार के सदस्यों की तरह की देखभाल

जंगल सफारी में फॉरेस्ट गार्ड की ड्यूटी करने वाले श्री निरंजन प्रसाद साहू, कोरोना स्वयंसेवक सम्मान पाकर अभिभूत होते हुए कहते हैं कि मुझे नहीं पता था कि मेरे द्वारा किये गये मदद के प्रति फल के रूप में कभी मुझे इस तरह से सम्मानित किया जाएगा। मैं सिंतबर में कोरोना पॉजीटिव होकर भर्ती हुआ और मुझे किसी भी प्रकार की कोई दिक्कत नहीं थी इसलिए मैंने अपने साथ भर्ती मरीज़ों की परिवार के सदस्यों की तरह देखभाल की। कोरोना वार्ड में मरीज़ों के साथ परिजन नहीं होते ऐसे में उनके परिजन के तौर पर उनकी सहायता करके मुझे जो प्रसन्नता मिली उसको शब्दों में बयां कर पाना मुश्किल है।

गंभीर मरीजों को आईसीयू तक पहुंचाया

ऐसा ही अपना अनुभव बताते हुए सीआईएसएफ के जवान श्री सतीश मीणा कहते हैं, जवानों का काम जहां देश की सुरक्षा करना है वहीं देश में किसी भी आपदा के समय बहादुरी से उसका मुकाबला करना है। मेरे कोविड वार्ड में भर्ती रहने के दौरान कई बार मरीजों को ऑक्सीजन के लिये आईसीयू शिफ्ट करने की जरूरत पड़ी। ऐसे समय में मुझे लगा देश की सेवा तो किसी भी रूप में करनी है फिर मैंने कोविड मरीज़ों की सेवा करनी शुरू कर दी। सचमुच बहुत ही सुखद अनुभव था।

परिजनों से बात करवाता था

अम्बेडकर अस्पताल में हेल्थ केयर वर्कर के रूप में अपनी सेवा देने वाले ज्ञानेश यादव बताते हैं कि कोरोना अस्पताल में भर्ती कई बुजुर्ग लोग बिना मोबाईल फोन के अपने घरवालों से सम्पर्क नहीं कर पाते थे। घरवाले भी उनका हाल-चाल जानने के लिए चिंतारत रहते थे। ऐसे में मैंने जहां तक मुझसे बन पड़ा, लोगों को उनके परिजनों से सम्पर्क करवाया। सबका हाल-चाल बताया। मुझे खुद नहीं पता था कि मेरे इन सभी सकारात्मक कार्यों की निगरानी कोई कर रहा है। आज जब मुझे अचानक से कोरोना स्वंयसेवक का सम्मान मिला तो आत्मिक आनंद की अनुभूति हुई।

कौन बन सकता है कोरोना वॉलिंटीयर

डॉ. संतोष सिंह पटेल बताते हैं कि ऐसे लोग जो कोरोना संक्रमित हैं लेकिन एसिम्टोमैटिक यानी अलाक्षणिक हैं। उनमें कोरोना को लेकर किसी भी प्रकार के गंभीर लक्षण नहीं है और अस्पताल में भर्ती हैं तो ऐसे लोग अस्पताल में भर्ती रहने के दौरान कोरोना स्वयं सवक बन सकते हैं। अगर आप कोरोना संक्रमित हो चुके हैं और इस लड़ाई में यदि आप अपने अस्पताल में रहने के दौरान स्वयंसेवक बनना चाहते हैं तो यह कोरोना के खिलाफ आपकी सच्ची जीत होगी। शासकीय अस्पतालों में आप एक अनुशासित स्वयंसेवक बन कर लोगों की सेवा करें, जरूरी नहीं हर मरीज को एक चिकित्सक, ट्रेंड नर्स की जरूरत हो क्योंकि कोरोना पॉजीटिव कई मरीज बिना लक्षणों के और स्वस्थ्य होते हैं। कोरोना पॉजीटिव अलाक्षणिक हेल्थ केयर वर्कर्स, पॉजीटिव अलाक्षणिक शारीरिक रूप से स्वस्थ्य मरीज, स्वयं सेवक बनने के इच्छुक लोग और पर्सन विद नो कोर्मोबिडिटी वाले अपने आस-पास भर्ती ज़रूरतमंद लोगों की सहायता कर सकते हैं। कोरोना वार्ड में कोरोना मरीज़ों की देखरेख में स्वास्थ्य कार्यकर्ता का सहयोग करना, मरीज़ों के परिवहन, भोजन वितरण व्यवस्था में, मरीज़ों को नियमित रूप से दवा लेने में, क्या मरीज ने भोजन किया या नहीं ? समय पर दवा खाई या नहीं? इत्यादि व्यवस्था के साथ-साथ वार्ड में अनुशासन बनाये रखने में और चिकित्सकों के निर्देशों का मरीज़ों द्वारा पालन करने सम्बन्धी उत्तर दायित्वों का निर्वहन कर सकते हैं।

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