छत्तीसगढ

गौठान ग्रामों में इस साल रबी के रकबे में 37 फीसद की रिकार्ड बढ़ोत्तरी

0 अनाज और दलहन के रकबे में सर्वाधिक वृद्धि बस्तर जिले में

0 तिलहन के रकबे में सबसे अधिक बढ़ोत्तरी 394 प्रतिशत बालोद में

0 रबी में साग-सब्जी के खेती में जांजगीर-चांपा 442 प्रतिशत की वृद्धि के साथ प्रदेश में अव्वल

रायपुर। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की मंशा के अनुरूप गांव और ग्रामीणों की तस्वीर को बदलने तथा ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ बनाने के उद्देश्य से संचालित छत्तीसगढ़ शासन की सुराजी गांव योजना के अंतर्गत राज्य के सभी जिलों में चयनित गांवों में गौठान का निर्माण किया गया है। कृषि मंत्री श्री रविन्द्र चौबे के मार्गदर्शन में गौठान वाले ग्रामों में पुशधन संरक्षण एवं संवर्धन के साथ-साथ कृषि के क्षेत्र में उल्लेखनीय प्रगति हुई है।
राज्य के 27 जिलों के 2562 चयनित ग्रामों में कृषि विभाग द्वारा द्वि-फसलीय क्षेत्र विस्तार का कार्यक्रम लिया गया है। विभाग के मार्गदर्शन एवं मॉनीटिरिंग तथा कृषकों के कठोर परिश्रम एवं भागीदारी से गौठान ग्रामों में गत वर्ष 2018-19 की तुलना में इस वर्ष 2019-20 में रबी फसल क्षेत्र में 37 प्रतिशत की उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। वर्ष 2018-19 में 1.52 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में रबी की फसल बोयी गई थी। जबकि 2019-20 में 2.08 लाख हेक्टेयर अर्थात् 55738 हेक्टेयर अधिक रकबे में रबी फसलों की खेती की गई है। उल्लेखनीय है कि यह वृद्धि न केवल अनाज के फसल में हुई है, बल्कि दलहन, तिलहन और साग-सब्जी के रकबे में भी रिकार्ड वृद्धि हुई है। कृषि विभाग द्वारा समस्त गौठान गांव में रबी फसल के क्षेत्र में वृद्धि का आंकड़ा एकत्रित करते हुए विश्लेषण किया गया है।
गौठान ग्राम के अंतर्गत अनाज के क्षेत्र में 38 प्रतिशत अर्थात 16188 हैक्टेयर, दलहन के क्षेत्र में 26 प्रतिशत यानि 21615 हेक्टेयर अधिक, तिलहन के क्षेत्र में 77 प्रतिशत अर्थात 9440 हेक्टेयर अधिक और साग-सब्जी के क्षेत्र में रबी के रकबे में 55 प्रतिशत अर्थात् 23902 हेक्टेयर की बढ़ोत्तरी हुई है। सरगुजा से लेकर बस्तर तक पूरे प्रदेश के सभी जिलों में व्यापक रूप से रबी का क्षेत्र विस्तार हुआ। अनाज के रकबे में सर्वाधिक वृद्धि 142 प्रतिशत बस्तर जिले में हुई है। बस्तर जिले में रबी सीजन में अनाज का रकबा 267 हेक्टेयर से बढ़कर 345 हेक्टेयर हो गया है। बालोद, कोरबा, जशपुर, कोरिया और दंतेवाड़ा जिले में भी रबी फसल के अनाज के रकबे में 100 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि हुई। यह सभी जिले आदिवासी अंचल के है।
दलहन के क्षेत्र में सर्वाधिक वृद्धि बस्तर जिले में हुई है। बस्तर में दलहन का रकबा 69 हेक्टेयर से बढ़कर 301 हेक्टेयर हो गया है जो 336 प्रतिशत अधिक है। इसी तरह सुकमा जिले में 282 प्रतिशत तथा जांजगीर में 178 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। धमतरी, रायगढ़, बलरामपुर, सरगुजा, कोरिया, दंतेवाड़ा ऐसे जिले है, जहां दलहन के रकबे में 100 प्रतिशत से भी अधिक वृद्धि हुई है। तिलहन फसल में भी उल्लेखनीय उपलब्धि प्राप्त हुई है। बालोद जिला में 214 हेक्टेयर के स्थान पर रबी में 1058 हेक्टेयर में वृद्धि की गयी जो कि 394 प्रतिशत है। इसी प्रकार जांजगीर-चांपा जिले में तिलहन का रकबा 654 हेक्टेयर से बढ़कर 2906 हेक्टेयर हो गया है, जो कि 346 प्रतिशत अधिक है। बस्तर में 45 हेक्टेयर से बढ़ाकर 213 हेक्टेयर में तिलहन की फसल लगायी गयी है। तिलहन के रकबे में बस्तर जिले में 313 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। कोरिया जिले में भी 244 प्रतिशत की उल्लेखनीय वृद्धि हुई है।
रबी मौसम में साग-सब्जी उगाने में जांजगीर-चांपा जिला में 442 प्रतिशत की वृद्धि हुई हैं। इस जिले में पूर्व वर्ष के रकबा 892 हेक्टेयर से बढ़कर इस वर्ष 4827 हेक्टेयर हो गया है, जो कि 3936 हेक्टेयर अधिक है। साग-सब्जी के क्षेत्र में कबीरधाम में 152 प्रतिशत और बीजापुर में 110 प्रतिशत वृद्धि हुई है। इस प्रकार शासन के फ्लैगशिप कार्यक्रम नरवा, गरूवा, घुरूवा, बाड़ी के तहत विकसित गौठान ग्राम, कृषि के क्षेत्र में तेजी से प्रगति की ओर अग्रसर है। इन गांवों के जागरूक कृषकों ने दोहरी फसल की खेती कर आर्थिक समृद्धि की ओर कदम बढ़ा रहे हैं।

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