छत्तीसगढ

घोघा गौठान के महिला समूह ने 58 क्विंटल वर्मी खाद बेच कर कमाया लाभ, सुराजी गांव योजना का सपना साकार

रायपुर। छत्तीसगढ़ शासन की महत्वकांक्षी योजना नरवा, गरवा, घुरवा और बाड़ी से ग्रामीणों को अब लाभ मिलने लगा है। कबीरधाम जिले के आदर्श गौठान घोंघा विकासखण्ड बोड़ला में रविदास स्वसहायता समूह की महिलाओं द्वारा गौठान के गोबर से वर्मीकम्पोस्ट खाद बेचकर आर्थिक लाभ लिया जा रहा है। उद्यानिकी विभाग को समूह ने 55 क्विंटल वर्मीकम्पोस्ट 10 रूपये प्रति किलो के दर से विक्रय किया है। समूह द्वारा निर्मित खाद की मांग शासकीय विभागों के साथ-साथ निजी संस्थानों द्वारा भी की गई है। मुख्य रूप से जिले में काम करने वाले सामर्थ्य स्वसहायता समूह के द्वारा 1 टन वर्मी खाद की मांग रखी गई है। सुराजी गांव योजना से ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती देने के लिए बहुत से कार्य किये जा रहें है। गौठान में उपलब्ध गोबर से ग्रामीणो को आमदनी के लिए बहुत से स्त्रोत मिल गये है जिसमें वर्मीकम्पोस्ट खाद प्रमुख रूप से शामिल है। रविदास महिला स्वसहायता समूह की अध्यक्ष श्रीमति विमला बाई ने बताया कि उद्यानिकी विभाग को 55 क्विंटल खाद बेच कर समूह को लगभग 55 हजार रूपये की आमदनी होगी। विगत कुछ समय पहले इसके अतिरिक्त 3 क्विंटल वर्मीकम्पोस्ट खाद को बाजार में विक्रय किया जा चुका है, जिससे 3000 रूपये का लाभ पूर्व में लिया जा चुका है। समूह की सचिव श्रीमति पुष्पा बाई ने बताया कि घोघा के गौठान में समूह द्वारा 10 क्विंटल खाद तैयार किया जा रहा है, जो आने वाले समय में विक्रय करने के लिए उपलब्ध होगा। समूह के सदस्य अपने गांव से ही इस काम को कर रहें है जिसमें बहुत अच्छा आमदनी मिल रहा है।
महिला समूह द्वारा प्रतिदिन गौठान में उपलब्ध गोबरों को एक जगह में रख कर वर्मी खाद तैयार किया जा रहा है। इस खाद को केचूआ के द्वारा पूर्णतः जैविक बनाया जाता है जो सभी किस्म के फसलों एवं साग सब्जियों के लिए बहुत उपयोगी है, जिसमें किसी भी प्रकार का केमिकल का उपयोग नहीं होता है। समूह द्वारा बनाये जा रहें खाद की मांग दिन प्रतिदिन बढ़ रही है क्योंकि इसके फायदे लोगो को मिल रहे है। वर्मी खाद का उपयोग शासकीय उद्यान रोपणी एवं नर्सरी में हो रहा है। कृषि विभाग, उद्यानिकी विभाग एवं वन विभाग के द्वारा समूह से वर्मीकम्पोस्ट खाद बड़ी मात्रा मे क्रय किया जा रहा है जो 10 रूपये प्रति किलो की दर से उपलब्ध हो रहा है। इस काम में लगे महिला समूह को बहुत अच्छा लाभ मिलने लगा है क्योंकि गौठान से ही सामग्री विक्रय की जा रही है। ज्ञात हो कि गांव में नया गौठान बनने के बाद इसे बहुत से आर्थिक गतिविधियों के साथ जोड़ा गया है। गौठान के गोबरों से महिला समूह द्वारा वर्मीकम्पोस्ट खाद, गमले, दीये जैसे उपयोगी वस्तुओं को बनाकर बाजार में विक्रय करते हुए अच्छा लाभ कमा रहीं है। राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन बिहान योजना के तहत स्वसहायता समूह का गठन किया गया है। समूह के महिलाओं को विभाग द्वारा प्रशिक्षित किया गया है, जिससे कि इनका काम गुणवत्ता पूर्ण हो। यही कारण है कि समूह के बनाये खाद की अत्यधिक मांग है। सुराजी गांव योजना से न केवल ग्रामीण महिलाएं आत्मनिर्भरता की ओर अग्रसर हो रही हैं, ग्रामीण अर्थव्यवस्था भी सुदृढ़ीकरण की ओर अग्रसर है।

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