छत्तीसगढ

चिटफंड मुद्दे पर सियासत तेज: विपक्ष ने लिया कांग्रेस सरकार को आड़े हाथ, कहा- सरकार कर रही है वादाखिलाफी

रायपुर, 16 जून। कोरोना के इस काल मे अचानक दबे पड़े छत्तीसगढ़ में चिटफंड मामले को हवा तब मिल गई जब आदर्श सोसाइटी द्वारा चिटफंड मामले का उजागर हुआ। इसके बाद ये मामला सियासी गलियारों में गूंजने लगा। कंपनी में डूबे पैसे वापस दिलाने की मांग को लेकर विपक्ष ने कांग्रेस सरकार को घेरना भी शुरू कर दिया है।

कोरोना संकटकाल में अर्थव्यवस्था पर गहरी मार पड़ी है। लोगों को आर्थिक परेशानियों से जूझते करीब 2 माह से अधिक हो गए। अब चिटफण्ड का जिन फिर बाहर निकलने से विपक्ष को एक मुद्दा सरकार को घेरने के लिए मिल गया।
विपक्ष में बैठे भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता संजय श्रीवास्तव के कहना है कि, विधानसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस ने अपने संकल्प पत्र में चिटफंड कंपनियों में डूबे पैसे, लोगों को वापस दिलाने की बात कही थी, लेकिन सरकार बनने के लगभग डेढ़ साल बाद भी कांग्रेस सरकार चिटफंड में डूबी रकम लोगों को वापस नहीं कर पाई है। भाजपा ने इसे आड़े हाथों लेते हुए पलटवार किया है। भाजपा प्रवक्ता संजय श्रीवास्तव ने कहा कि कांग्रेस की कथनी और करनी में अंतर है। जिन वायदों को लेकर कांग्रेस सत्ता हासिल की है, वह मिलने के बाद वे अपने वायदों से पलट गए।

वहीं भाजपा के इस आरोप पर कांग्रेस प्रवक्ता घनश्याम राजू ने पलटवार करते हुए कहा कि भाजपा के 15 वर्षो के शासनकाल में उनके मंत्रियों एवं पार्टी पदाधिकारियों ने चिटफंड कंपनी के जरिये भ्रष्टाचार को छत्तीसगढ़ में चरम पर पहुंचाया है। जबकि कांग्रेस की सरकार ने चिटफंड मामले को अपने संकल्प पत्र में लिया और इस मामले में जिन लोगों को नुकसान हुआ है, उनको उनकी राशि लौटाने के लिए लगातार काम कर रही है।

आपको बताते चले कि, कांग्रेस ने विधानसभा चुनाव के दौरान अपने जन घोषणा पत्र में कहा था कि सरकार बनते ही वह चिटफंड कंपनी में डूबी रकम लोगों को वापस दिलाएंगी। हालांकि कांग्रेस की सरकार बने लगभग डेढ़ साल बीत चुके हैं, इस दौरान लोगों को डूबी रकम नहीं मिल पाई है, बहरहाल, सरकार ने इसके लिए कमेटी गठित की हैं। साथ ही मामले में एफआइआर भी दर्ज किए गए हैं। कुछ जगहों पर चिटफंड कंपनियों की संपत्ति कुर्क करने की कार्रवाई भी की गई है। लेकिन पक्ष और विपक्ष में ये मुद्दा बनकर आज भी गरमा रहा है।

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