छत्तीसगढ

डॉ. रमन ने धन नहीं, जनता का आशीष और यश कमाया है:धरमलाल कौशिक

रायपुर। प्रदेश विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक ने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के बयान पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा है कि डॉ. रमन सिंह ने 15 वर्षों के राज में धन नहीं जनता का मन कमाया है। मुख्यमंत्री चाहें तो डॉ. रमन और अपनी लोकप्रियता का तुलनात्मक अध्ययन करवा लें। उन्हें पता लग जायेगा कि वे कितने पानी में हैं? नेता प्रतिपक्ष श्री कौशिक ने कहा कि डॉ. रमन के विकास कार्य और सद्व्यवहार से छत्तीसगढ़ की जनता बखूबी वाकिफ है। झूठे वादे करके सत्ता में आए भूपेश बघेल और उनके कांग्रेसी साथियों की अकड़, अहंकार और उगाही का नजारा जनता देख रही है।

नेता प्रतिपक्ष श्री कौशिक ने कहा कि रेत से तेल निकालने से लेकर शराब के ओव्हर रेट तक की दास्तान बता रही है कि धन कौन बटोर रहा है? तबादला उद्योग से कौन जेबे भर रहा है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस राज का बीमारू हिस्सा रमन सिंह के अथक प्रयासों से विकास का गढ़ कहलाने वाले छत्तीसगढ़ राज्य के रूप में प्रतिष्ठित हुआ। अब यह राज्य भूपेश शासन काल के 10 महीनों में ही 20 साल पीछे चला गया। कांग्रेस का खजाना भरने के लिए हर स्तर पर अवैध वसूली की शिकायतें आम हैं और सरकारी खजाने की हालत यह है कि राज्य को कर्ज की गहरी खाई में धकेला जा रहा है। हर महीने हजार करोड़ से ज्यादे का कर्ज लेकर राज्य का दिवाला निकाला जा रहा है।
नेता प्रतिपक्ष श्री कौशिक ने कहा कि प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम अपने संगठन दायरे से बाहर शासन प्राधिकारी के तौर पर आचरण करते हुए कह रहे हैं कि पूर्व मुख्यमंत्री को जेल भेजने की तैयारी हो रही है। कांग्रेस अध्यक्ष का यह अहंकारी बयान यह साबित कर रहा है कि कांग्रेस की सरकार बदले की राजनीति के तहत षड्यंत्र रच रही है, जिसका खुलासा कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम ने किया है। नेता प्रतिपक्ष श्री कौशिक ने कहा कि कांग्रेस के शासन की वादाखिलाफी, भ्रष्टाचार, अहंकार, अराजकता, आर्थिक दिवालियापन की स्थिति को देखते हुए 4 माह में ही जानता का भरोसा टूट गया था, जिसका परिणाम लोकसभा चुनाव में सामने आ गया। यही वजह है कि डरी-सहमी भूपेश सरकार लूट तंत्र तैयार करने पिछले दरवाजे से महापौर बनाने की कोशिश कर रही है। सारा प्रदेश विकास की मुख्यधारा से कटकर 20 साल पुरानी स्थिति में पहुंच गया है तो यह मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और उनकी मंडली के सत्तावादी अहंकार, उगाही और उत्पीड़न की ही देन है।

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