तालिबान नेतृत्व ढांचा: क्रूर कमांडर से लेकर आत्मघाती हमलावर तैयार करने वाले नेता, ऐसे लोगों के हाथ में आएगा अफगानिस्तान का शासन
नई दिल्ली, 27 अगस्त। तालिबान ने अफगानिस्तान पर कब्जा करके इस देश के नागरिकों को आतंक और खौफ के बीच छोड़ दिया है। लोग डरे हुए हैं, देश छोड़ कर भागना चाहते हैं, काबुल एयरपोर्ट पर अफरा-तफरी है और इस बीच तालिबान बंदूक का डर दिखाकर काबुल में अपनी सरकार बनाने की तैयारी में है। माना जा रहा है कि अमेरिकी सैनिकों और अन्य देश के नागरिकों के देश छोड़ कर जाने की समय सीमा 31 अगस्त को समाप्त होने के बाद वहां तालिबान की सरकार बन जाएगी। कैसी होगी तालिबान की सत्ता संरचना और इसमें कौन क्या है इसे इस तरह समझिए।
अब्दुल गनी बरादर-तालिबान का प्रमुख नेता और सह संस्थापक
तालिबान 2001 से पहले जब शासन में था तो वह उसका प्रमुख सदस्य था। वह 2008 में पाकिस्तान में गिरफ्तार हुआ था और 2018 में आजाद हुआ। उसके बाद वह दोहा में अपने समूह की राजनीतिक समिति का प्रमुख बना। सार्वजनिक तौर पर सबसे ज्यादा चेहरा इसी नेता का दिखाई दे रहा है। 2020 में, डोनाल्ड ट्रम्प के साथ टेलीफोन पर बातचीत करने के बाद, बरादर अमेरिकी राष्ट्रपति के साथ सीधे संवाद करने वाला पहला तालिबान नेता बना। इससे पहले, बरादर ने तालिबान की ओर से अमेरिकी सैनिकों की वापसी पर दोहा समझौते पर हस्ताक्षर किया था। बरादर पिछले हफ्ते 20 साल के निर्वासन के बाद अफगानिस्तान वापस पहुंचा है।
मुल्ला मुहम्मद याकूब-तालिबान का मिलिट्री ऑपरेशन कमांडर
मुहम्मद याकूब तालिबान के संस्थापक मुल्ला उमर का बेटा है। समूह के मिलिट्री ऑपरेशन की जिम्मेदारी इसके हाथों में है। 30 साल का याकूब समूह के सैन्य अभियानों का नेता है। 2016 में तालिबान के पूर्व नेता अख्तर मंसूर की मौत के बाद, कुछ लड़ाके उसे समूह का नया सर्वोच्च कमांडर नियुक्त करना चाहते थे, लेकिन दूसरों को लगा कि वह युवा है और उसके पास अनुभव की कमी है।
सिराजुद्दीन हक्कानी- समूह का शीर्ष उप नेता
अपने पिता, जलालुद्दीन हक्कानी की मृत्यु के बाद, वह हक्कानी नेटवर्क का नया नेता बन गया। हाल के वर्षों में अफगान बलों और पश्चिमी सहयोगियों के खिलाफ अफगानिस्तान में हुए कुछ सबसे हिंसक हमलों में वह प्रमुखता से शामिल रहा। हक्कानी नेटवर्क वर्तमान में इस क्षेत्र के सबसे शक्तिशाली और खूंखार उग्रवादी समूहों में से एक है। कुछ का कहना है कि यह अफगानिस्तान में इस्लामिक स्टेट समूह से भी अधिक प्रभावशाली है।
अब्दुल हकीम- अखुंदजादा का सबसे करीबी, तालिबान के धार्मिक विद्वानों की शक्तिशाली परिषद का प्रमुख
सितंबर 2020 में, तालिबान ने अब्दुल हकीम को दोहा में तालिबान वार्ता दल का नया प्रमुख नियुक्त किया था। 60 साल का अब्दुल हकीम कथित तौर पर पाकिस्तान के क्वेटा में एक मदरसा चलाता था, जहां से वह तालिबान की न्यायपालिका की निगरानी भी करता था। तालिबान के कई वरिष्ठ नेताओं ने कथित तौर पर क्वेटा में शरण ली, जहां से उसने समूह का नेतृत्व किया। हकीम तालिबान के धार्मिक विद्वानों की शक्तिशाली परिषद का भी प्रमुख है और माना जाता है कि वह सर्वोच्च कमांडर, अखुंदज़ादा के सबसे करीबी लोगों में से एक है।
अनस हक्कानी- राजनीतिक समूह का वरिष्ठ सदस्य
जलालुद्दीन हक्कानी के बेटों में सबसे छोटा अनस तालिबान सरकार की शासन प्रणाली बनाने वालों में सबसे आगे है। एक प्रमुख तालिबान वार्ताकार के रूप में, उसने पूर्व अफगान राष्ट्रपति हामिद करजई, पूर्व शीर्ष शांति वार्ताकार अब्दुल्ला अब्दुल्ला और पूर्व अनुभवी मुजाहिदीन कमांडर गुलबुद्दीन हिकमतयार सहित विभिन्न समूहों और नेताओं से मुलाकात की थी। अनस तालिबान के सबसे चर्चित शख्सियतों में से एक है।
खलील उर- रहमान हक्कानी- अफगानिस्तान में तालिबान के संचालन का प्रबंधक
अफगानिस्तान में इस विद्रोही समूह के संचालन का मुख्य प्रबंधक है। यह सिराजुद्दीन हक्कानी का चाचा है। वह अमेरिका की वैश्विक आतंकवादी सूची में शामिल रहा है। देश छोड़कर भागने वालों को चेताने वालो में इसका नाम प्रमुख है।
कारी जिया उर-रहमान-आत्मघाती हमलावर प्रशिक्षण का मास्टमाइंड
अमेरिका और नाटो सैनिक पर किए गए कई प्रमुख हमलों में इसकी महत्वपूर्ण भूमिका रही है। इसे अलकायदा के साथ भी काम करने का अनुभव है। इसे आत्मघाती हमवालर प्रशिक्षण का मास्टमाइंड माना जाता है।
अफगानिस्तान पर कब्जा करने के बाद, तालिबान सरकार बनाने की दिशा में आगे बढ़ रहा है। बेशक तालिबान समावेशी सरकार बनाने या सुधार की बात कर रहा है लेकिन समूह के नेतृत्व ढांचे पर एक नज़र डालने से पता चलता है कि नई सरकार की प्रकृति भी कट्टर शासन वाली ही है।