छत्तीसगढ

तेंदुपता संग्रहण के एक माह बाद भी संग्रहकों को भुगतान नहीं…ऐसा पहली बार हुआ : अमित जोगी

रायपुर, 29 जून। छत्तीसगढ़ शासन के तेंदूपत्ता संग्राहकों को भुगतान के सम्बंध में दिए गए नए आदेश के चलते ऐसा पहली बार हुआ कि संग्रहण के एक माह बाद भी मजदूरी नहीं हुई है। ऐसा पहली बार हुआ है कि पिछले 2 वर्षों से 900 समितियों में आधी समिति बिकी। जिसका खामियाजा लाखों संग्राहकों को उठाना पड़ा। वही राज्य सरकार के नए आदेशानुसार संग्राहकों के अकॉउंट में डाला जाएगा और फिर संग्राहक बैंक से राशि आहरित करेगा। सरकार के इस अदूरदर्शी फैसले के चलते बस्तर जैसे आदिवासी बहुल लाखों संग्राहक जून माह खत्म होने की स्थिति में भुगतान अप्राप्त है। आप कल्पना कर सकते है कि मई माह में गर्मी में सुबह 4 बजे उठकर आदिवासी पेज (एक तरह का खाना) लेकर जाते है दोपहर को आकर गड्डी बनाकर शाम चार बजे फड़ लेजाकर बेचते हैं। अगर नगद भुगतान होता शादी से लेकर जून में खेती किसानी की तैयारी होती, लेकिन सरकार इस अप्रसांगिक निर्णय के भोपालपट्टनम से लेकर भानुप्रतापपुर के संग्राहकों की जनप्रतिनिधियों की बात सुनी होती तो यह स्थिति नही बनती। उदाहरण के लिए बीजापुर से तारलागुड़ा की दूरी 30 किमी लगभग है। अपनी राशि लेने अगर वो बैंक आता तो पेट्रोल खाने में कम से कम 500 रुपये खर्च होंगे। दुखद ये है कि बीजापुर जिले के 54 हजार परिवार में अधिकांश के पास खाते नहीं है। 54 हजार परिवार के 32 करोड़ रुपये 100 की के हाइवे के 9 बैंकों से लिया जाना। सोशल डिस्टेंस की कल्पना कर सकते हैं । इसी तरह बस्तर के दूसरे छोर भानुप्रतापपुर पूर्व और पश्चिम यूनियन के 84 समिति के लगभग 45  हजार परिवार पर गौर किया जाए तो लगभग 10 बैंक भानुप्रतापपुर आकर पैसे लेकर जाने होंगे। भानुप्रतापपुर की स्थिति भी बुरी है जहां उसेली समिति के आदिवासियों को नदी नाले पारकर 60 किमी दूर आकर पैसे लेने होंगे । जिसमे अगर पैसे रहे भी तो दो दिन लगेंगे। जिसमें कम से कम 1 हजार उसे खर्च करने होंगे। ऐसी ही स्थिति कोंडागांव की है जहां मर्दापाल क्षेत्र में 20 से 30 किमी आकर राशि लेनी होगी । पूरे बस्तर संभाग में कोरोना और बैंक दूरी के मद्देनजर नगद वितरण किया जाना उचित है। मजे की बात है सत्ता पक्ष के एक विधायक नें नगद को लेकर रायपुर तक दौड़ लगाई । नतीजा शून्य रहा। समझा जा सकता है कि  सत्ता वापसी में में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाली आदिवासी विधायको की कितनी सुनी जा रही है। खैर ये कांग्रेस का अंदरूनी मसला है । जोगी कांग्रेस बस्तर संभाग में सभी तेंदूपत्ता संग्राहकों को जुलाई प्रथम सप्ताह तक नगद भुगतान करने की मांग करती है । जिससे उनके खेती कार्य प्रारंभ हो सकें।

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