छत्तीसगढ

नगरनार स्टील प्लांट में हक़ दिलाने के लिए शिवसेना का प्रदेश स्तर पर तीन दिवसीय रैली व आमसभा

केशकाल, 15 दिसंबर। बस्तरवासियों को नगरनार स्टील प्लांट में में हक़ दिलाने के लिए शिवसेना का प्रदेश स्तर पर तीन दिवसीय रैली व आमसभा की जा रही है। यह रैली चारामा से शुरू हुई है जिसका जगदलपुर में समापन किया जाना है। इस दौरान प्रत्येक छोटे-बड़े गांव/शहरों में रुक कर आमसभा की जाएगी। इसी क्रम में मंगलवार को केशकाल में शिवसेना ने रैली निकाल कर नगर भ्रमण करते हुए नगरवासियों को नगरनार स्टील प्लांट के निजीकरण के बारे में बताते हुए केंद्र सरकार पर आरोप भी लगाए। साथ ही शिवसेना ने नगरनार उद्योग में अनुपातिक आयोजन की मांग करते हुए 60% आदिवासी, 20% छत्तीसगढ़ी, व 20% तकनीकी स्टाफ को रोजगार दिलवाने की मांग की है।

गौरतलब हो कि बस्तर जिले के नगरनार में जब स्टील प्लांट की नींव रखी गई थी, तब बस्तर संभाग के युवाओं व बेरोजगारों के मन में एक आशा की किरण लहरें मारने लगी थी कि इस प्लांट के आरंभ होने के बाद बड़े पैमाने पर स्थानीय लोगों को रोजगार उपलब्ध होंगे। लेकिन केंद्र सरकार द्वारा निजीकरण के निर्णय के बाद मानो स्थानीय युवाओं की उम्मीद पर पानी फिर गया है, न सिर्फ नगरनार स्टील प्लांट के कामगारों द्वारा बल्कि बस्तर संभाग की आम जनता द्वारा भी निजीकरण के विरोध में स्वर गूंज रहे हैं। साल 2001 में नगरनार समेत 11 ग्राम पंचायतों की 2500 एकड़ जमीन एनएमडीसी को इस्पात संयंत्र लगाने के लिए दी गई थी। 2500 एकड़ जमीन में से 1950 एकड़ निजी भूमि है, इसमें से 870 एकड़ जमीन आदिवासी किसानों की है।

इस विषय पर शिवसेना के प्रदेश प्रमुख धनंजय परिहार ने बताया कि केंद्र सरकार द्वारा बस्तरवासियों को जमीन छीन कर हजारों एकड़ जमीन पर इस उद्योग को लगाया जा रहा है। नगरनार स्टील प्लांट के लिए इस्तेमाल किये जा रहे 2500 एकड़ जमीन में से 1950 एकड़ निजी भूमि है, इसमें से 870 एकड़ जमीन आदिवासी किसानों की है। लेकिन केंद्र सरकार बस्तर के गरीब आदिवासी ग्रामीणों को रोजगार मुहैया नही करवाना चाहती इसलिए इस प्लांट का निजीकरण किया गया है। जिसके लिए बस्तर द्वार चारामा से इस यात्रा की शुरुआत हुई है और यह यात्रा जगदलपुर में जाकर समाप्त होगी। इसके बाद नगरनार में जो ग्रामीण धरना देने बैठे हुए हैं उनसे मुलाकात कर वहां भी भारी संख्या में हमारे कार्यकर्ताओं द्वारा आंदोलन किया जाएगा और जब तक सरकार अपना यह निर्णय वापस नही लेती राज्य स्तर पर हमारा यह आंदोलन जारी रहेगा।

*बस्तरवासियों को सजा दे रही है केंद्र सरकार-*

परिहार ने कहा कि चूंकि छत्तीसगढ़ में हुए विधानसभा चुनाव में बस्तर क्षेत्र में भाजपा का सूपड़ा साफ हो गया था इसके कारण केंद्र सरकार बौखला गयी है। जिसके कारण बस्तरवासियों को सजा देने की नीयत से केंद्र सरकार द्वारा नगरनार स्टील प्लांट का निजीकरण किया गया है। शिवसेना यह मांग करती है कि इस उद्योग का अनुपातिक रूप से आयोजन हुआ चाहिए जिसमें 60% आदिवासी, 20% छत्तीसगढ़ी, व 20% तकनीकी स्टाफ जो बाहर से आते है उन्हें रोजगार मिलना चाहिए। साथ ही सरकार को प्रदेश में अधिक से अधिक आईटीआई शुरू करना चाहिए ताकि स्थानीय योग्यता प्राप्त शिक्षकों को रोजगार उपलब्ध करवाया जा सके।

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