छत्तीसगढ

नोबल पुरस्कार विजेता डॉ. बनर्जी ने राष्ट्रीय शिक्षा समागम को किया संबोधित, मुख्यमंत्री भूपेश बघेल भी जुड़े ऑनलाइन

रायपुर, 15 नवम्बर। नोबल पुरस्कार विजेता अर्थशास्त्री डॉ. अभिजीत बनर्जी ने आज रायपुर के पंडित दीनदयाल उपाध्याय ऑडिटोरियम में आयोजित दो दिवसीय जवाहर लाल नेहरू राष्ट्रीय शिक्षा समागम को संबोधित करते हुए कहा कि वैश्विक महामारी कोरोना के कारण बदली हुई परिस्थितियों को ध्यान में रखकर बच्चों की शिक्षा की रणनीति बनानी होगी।

उन्होंने कोविड-19 के कारण शिक्षा व्यवस्था पर हुए असर को रेखांकित करते हुए कहा कि कोरोना काल में औपचारिक शिक्षा संस्थानों के बंद रहने के कारण बच्चों की सीखने-सिखाने की प्रक्रिया बुरी तरह बाधित हुई है। बच्चों के सीखने की क्षमता घट गई है। मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल भी डॉ. बनर्जी के संबोधन के दौरान समागम से ऑनलाइन जुड़े थे।

स्कूल शिक्षा मंत्री डॉ. प्रेमसाय सिंह टेकाम, प्रमुख सचिव डॉ. आलोक शुक्ला, सचिव डॉ. कमलप्रीत सिंह, एससीईआरटी के संचालक राजेश सिंह राणा और राज्य योजना आयोग की शिक्षा सलाहकार मिताक्षरी कुमार भी इस दौरान मौजूद थीं।

डॉ. बनर्जी ने पाकिस्तान का उदाहरण देते हुए बताया कि वहां भूकंप के कारण करीब ढाई महीने विद्यालय बंद थे। शोध में यह बात सामने आई कि स्कूलों के ढाई महीने बंद रहने का जो दुष्प्रभाव शिक्षा पर पड़ा, उसकी भरपाई के लिए एक वर्ष से अधिक का समय चाहिए था। कोविड-19 के कारण स्कूल लंबे समय तक बंद रहे हैं। बच्चों के सीखने और उन्हें सिखाने की प्रक्रिया पर इसके असर की कल्पना की जा सकती है।

बोस्टन (अमेरिका) से राष्ट्रीय शिक्षा समागम से ऑनलाइन जुड़े डॉ. अभिजीत बनर्जी ने कहा कि अब बच्चों की सीखने की प्रक्रिया पर विशेष ध्यान देना होगा। केवल पाठ्यक्रम को ध्यान में रखकर अध्यापन की प्रक्रिया संचालित करने से बच्चे सीख नहीं पाएंगे। कोरोना से आए अवरोध के कारण बच्चों की सीखने की क्षमता घट गई है। उन्होंने युगांडा में हुए शोध को उद्धृत करते हुए कहा कि प्रशिक्षित शिक्षकों और अप्रशिक्षित शिक्षकों के अध्यापन के परिणामों में स्पष्ट अंतर दिखाई देता है। शिक्षकों को अध्यापन के तरीकों में बदलाव लाना होगा। हमें शिक्षा के क्षेत्र में बदली हुई स्थितियों को ध्यान में रखकर रणनीति तैयार करनी होगी, ताकि हम कोविड-19 की परिस्थितियों को अवसर में परिणित कर लक्ष्य की ओर अग्रसर हो सके।

डॉ. बनर्जी ने समागम में मौजूद देश भर के शिक्षाविदों, शिक्षकों तथा विभिन्न राज्यों से आए स्कूली शिक्षा, व्यावसायिक शिक्षा और कौशल विकास से जुड़े अधिकारियों को संबोधित करते हुए कहा कि वर्तमान परिस्थितियों में पाठ्यक्रम को एक तरफ रखते हुए हमें बच्चों को पढ़ना-लिखना सिखाने और गणित जैसे बुनियादी कौशल पर ज्यादा ध्यान देना चाहिए। सीखने-सिखाने के लिए स्कूल बेहद महत्वपूर्ण संसाधन हैं। गरीब परिवारों के बच्चों के लिए अध्ययन का कोई और जरिया नहीं है।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button