पंजाब कांग्रेस पर कमजोर हुई हाईकमान की पकड़, राहुल गांधी के करीबी नेता हो रहे बेलगाम, जानें विवाद का कारण

चंडीगढ़, 13 जुलाई। पंजाब कांग्रेस में कलह थमने के बदले विवाद के नए मोेर्चे खुल जाते हैं। पार्टी में अनुशासनहीनता का आलम यह कि एक नेता की बयानबाजी पर पार्टी नेतृत्व संज्ञान लेता है कि तब तक दूसरा बयान दे देता है। पूरी स्थिति साफ संकेत दे रही है कि पंजाब कांग्रेस पर आलाकमान की पकड़ कमजोर हो चुकी है। कांग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी के करीबी माने जाने वाले नेता अधिक ‘बेलगाम’ हो रहे हैं।
पंजाब कांग्रेस में अंदर-अंदर चल रही है बाहरी बनाम टकसाली की जंग
दरअसल कांग्रेस में अंदर ही अंदर बाहरी बनाम टकसाली नेताओं की जंग चल रही है। पार्टी में बाहरी बनाम टकसाली की यह आग अब राज्य के वित्तमंत्री मनप्रीत बादल के दामन तक पहुंच चुकी है। मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के राजनीतिक सलाहकार रहे गिद्दड़बाहा के विधायक अमरिंदर सिंह राजा वडिंग ने मनप्रीत बादल के ऊपर अकालियों को फंड देकर खुश करने का गंभीर आरोप जड़ दिया है। यह पहला एसा मौका नहीं है जब कांग्रेस में अनुशासन की मर्यादा तार-तार नहीं हुई हो। इससे पहले नवजोत सिंह सिद्धू ने कैप्टन के विरुद्ध मोर्चा खोला था तो कांग्रेस के ही मंत्रियों ने कैप्टन के खिलाफ।
पंजाब कांग्रेस में अब काबू से बाहर हाे रही है अनुशासनहीनता, एक के बाद दूसरा नेता करता है बयानबाजी
माना जा रहा है कि कांग्रेस हाईकमान की कमजोर पकड़ के कारण पंजाब कांग्रेस में अनुशासनहीनता की घटनाएं लगातार बढ़ती जा रही है। अहम पहलू यह है कि अनुशासन को तोड़ने वालों में वेनेता शामिल है जो राहुल गांधी की गुड बुक में शामिल रहे हैं।
राहुल गांधी के गुड बुक में रहने वाले नेता ही उठा रहे है अपनों पर उंगली
कोटकपूरा गोलीकांड को लेकर हाईकोर्ट द्वारा स्पेशल टास्क फोर्स (एसआइटी) को खारिज करने को लेकर कांग्रेस सरकार में उठा बवंडर नित नए मोड़ लेता जा रहा है। एसआइटी और एसआइटी की रिपोर्ट खारिज होने के बाद नवजोत सिंह सिद्धू ने मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के खिलाफ मोर्चा खोला। इस मोर्चे में कैबिनेट मंत्री सुखजिंदर सिंह रंधावा, चरणजीत सिंह चन्नी और प्रताप सिंह बाजवा सरीखे राज्य सभा सदस्य तक जुड़ गए।
यह विवाद इतना बढ़ा की कांग्रेस हाईकमान को एक कमेटी का गठन करना पड़ा। यह मामला अभी खत्म भी नहीं हुआ था कि वडिंग ने अब मनप्रीत बादल के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। अक्टूबर 2020 जब हरीश रावत ने कांग्रेस के प्रभारी का कार्यभार संभाला था तो उन्होंने विधायकों के साथ पहली बैठक में कहा था,पार्टी की जो भी बात होगी वह पार्टी फोरम पर होगी। बाहर जाकर मीडिया से बात नहीं होनी चाहिए। प्रदेश प्रभारी के निर्देश के 10 माह के दौरान अनुशासनहीनता की घटनाओं में लगातार इजाफा हुआ है।
इसकी शुरुआत 14 अक्टूबर 2020 को तब हुई जब मोगा में ट्रैक्टर रैली के शुभारंभ के मौके पर स्टेज पर खुद राहुल गांधी मौजूद थे। सिद्धू ने रैली के दौरान ही कैबिनेट मंत्री सुखजिंदर सिंह रंधावा को झिड़क दिया था। बाद में सिद्धू ने पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के खिलाफ ट्वीट वार शुरू किया। लगातार हो रहे हमलों से कैप्टन इतने आहत हो गए कि उन्होंने सिद्धू को उनके खिलाफ पटियाला से चुनाव लड़ने तक की चुनौती दे डाली।
इसके साथ ही सांसद रवनीत बिट्टू और प्रताप सिंह बाजवा ने भी कैप्टन सरकार के खिलाफ जमकर भड़ास निकाली। बिट्टू और बाजवा ने ही सिद्धू को लेकर टकसाली और नए कांग्रेसी के विचार को आगे बढ़ाया। शुरुआत में तो भले ही सिद्धू सबके निशाने पर रहे लेकिन अब यह आग मनप्रीत बादल के दामन तक भी पहुंच गई है।
बादल और सिद्धू दोनों ने ही 2017 के विधान सभा चुनाव से पहले कांग्रेस पार्टी ज्वाइन की हुई थी। सिद्धू भाजपा छोड़ कर कांग्रेस में आए थे तो मनप्रीत बादल शिरोमणि अकाली दल छोड़ कर कांग्रेस में शामिल हुए। राहुल गांधी के कारण दोनों को ही पंजाब कैबिनेट में महत्वपूर्ण पोर्टफोलियो मिला था, लेकिन सिद्धू और मनप्रीत शुरू से ही टकसाली कांग्रेसियों को आंखों में चुभ रहे थे। अब जब वडिंग ने मनप्रीत पर यह आरोप जड़ दिए मनप्रीत सरकारी पैसा अकालियों को बांट रहे है। कांग्रेस को कमजोर और अकाली दल को मजबूत करने की यह योजना बादल महीनों से चला रहे है।वडिंग के इस ट्वीट को सुखजिंदर रंधावा और कुलबीर जीरा ने भी री-ट्वीट किया।
अहम बात यह है कि राहुल के कहने पर ही मनप्रीत को पंजाब कैबिनेट में स्थान दिया गया था और वडिंग भी राहुल के करीबी हैं। राहुल गांधीी ने ही वडिंग को आल इंडिया यूथ कांग्रेस का प्रधान बनवाया था। सिद्धू भी राहुल और प्रियंका गांधी की पसंद है। एक तरफ राहुल गांधी पंजाब कांग्रेस में चल रही अनुशासनहीनता को लेकर खासे गंभीर दिखे थे। वहीं, उन्हीं के करीबी लगातार अनुशासन की मर्यादा को तार-तार करने में जुटे हैं।
दो राष्ट्रीय पार्टी अनुशासनहीनता पर पैमाने अलग-अलग
एक तरफ जहां पंजाब कांग्रेस में अनुशासनहीनता का कोई पैमाना नहीं है। वहीं दूसरी तरफ भारतीय जनता पार्टी है, जिसने पार्टी लाइन से अलग चलने पर अपने पूर्व मंत्री अनिल जोशी को छह साल के लिए निष्कासित कर दिया। जोशी ने प्रदेश लीडरशिप पर आरोप लगाए थे कि वह किसानों की समस्या को केंद्रीय नेतृत्व के समक्ष ठीक ढंग से नहीं रख पाए। पार्टी ने इसे अनुशासनहीनता मानते हुए जोशी को पार्टी से निष्कासित कर दिया।