छत्तीसगढ

पोषण पुनर्वास केंद्र में मिल रही कुपोषित बच्चों को तंदुरुस्त बनाने की सीख

रायपुर। कोविड महामारी में कुपोषित बच्चों का रखें ख़ास ख्याल केन्द्रों पर कोविड-19 की भी दी जा रही है जानकारी
रायपुर 9 जून 2020।बलॉक डाउन के बाद शुरु हुई गैर कोविड-19 गतिविधियों के अंतर्गत पोषण पुनर्वास केंद्र में बैठे 16-माह के लकी (बदला हुआ नाम) के माता और पता आज बहुत खुश है। उनकी ख़ुशी का कारण उनका बेटा है जिसका वज़न अब बढकर 7.4 किलो हुआ है|
लकी पोषण पुनर्वास केंन्द्र में आने से पूर्व कुपोषण का शिकार था। उसका वज़न केवल 6.6 किलो था और वह सुस्त और चिडचिडा था। केंन्द्र में 15 दिन नियमित पोषण आहार के खान-पान, चिकित्सकीय जांच से लकी स्वस्थ्य हुआ है।
रायपुर के जिला अस्पताल के पोषण पुनर्वास केंद्र की डाइटिशियन पूनम बताती है 20 मई को भर्ती होने के बाद से ही लकी का उपचार शुरू किया । “हमने उसे उपचारात्मक डाईट एफ-75 से खान-पान कराना शुरू किया । हर दो घंटे में बच्चे को थोडा-थोडा खाना दिया गया जिसमें खिचड़ी, हलवा,और दलिया शामिल है । पोषण पुनर्वास केंन्द्र में देख रेख के साथ चिकित्सकों द्वारा प्रतिदिन स्वास्थ्य जांच करने के साथ ही उपचार भी किया जाता रहा। यह सब निशुल्क दिया जाता है।’’
वर्तमान में पोषण पुनर्वास केंद्र में आने वाले लोगों और कुपोषित बच्चों को कोविड-19 के संक्रमण से बचने से रोकथाम और बचाव के बारे में भी जागरूक किया जा रहा है ।
पोषण पुनर्वास केंद्र से डिस्चार्ज होने के पूर्व,बच्चे की मां को घर पर बनने वाले पौष्टिक आहार की जानकारी दी जाती है और पौष्टिक आहार बनाना सिखाया जाता है।पूनम का कहना है शुरुआत में माता के अंदर बहुत ज्यादा झिझक रहती है उससे बात कर के धीरे-धीरे झिझक को तोड़ा जाता है । माता और पिता के मानसिक तनाव को भी कम किया जाता है । धीरे-धीरे उनसे दोस्ती करके उनको स्वस्थ परिवारिक जीवन शैली के बारे में भी बताया जाता है ।
आमतौर पर कुपोषित बच्चों को 15 दिन तक पुनर्वास केंद्र में रखा जाता है।अगर बच्चे का वज़न 15% तक बढ जाए तो बच्चे को घर भेजा जाता है वरना 10 दिन तक और रखा जाता है। कभी कभी तो एक महीने तक भी रखा जा सकता है।
मितानिन और आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं को कुपोषित बच्चों की पहचान करने की ट्रेनिंग दी जाती है और वह समुदाय से ऐसे बच्चों को पुनर्वास केंद्र तक भेजते हैं। घर भेजे जाने के बाद भी इन्ही के माध्यम से स्वस्थ हुए बच्चों की जानकारी भी नियमित रूप से ली जाती है ।
लकी की मॉ रूकमणी (बदला हुआ नाम ) ने बताया वह बेटे के स्वास्थ्य को लेकर काफी चिंतित थी। स्वास्थ्य जॉच के लियें निजी अस्पताल भी गये थे लेकिन कोई सही परामर्श नहीं मिला। निरंतर वजन में कमी के साथ शारीरिक रूप से कमजोरी स्पष्ट झलक रही थी। इसी बीच पारा की आंगनवाड़ी कार्यकर्ता कम्लेश्वरी साहू ने पोषण पुनर्वास केंद्र के बारे में बताया।आंगनवाडी कार्यकर्ता ने बताया पोषण पुनर्वास केंद्र में बच्चों के साथ माताओं के लिए ठहरने एवं भोजन की व्यवस्था की गई थी। इस दौरान रुकमनी को रूपये 150 प्रति दिन के दर से दिए जाते हैं।
“कमलेश्वरी दीदी के कहने पर ही हम बच्चे को केंद्र पर लाये। अब उसकी सेहत में काफी सुधार हुआ है।यह सब केंद्र की दीदीयों के द्वारा संभव हो सका और मुझे पोष्टिक आहर बनाने की सीख मिल सकी,’’ रुकमनी बताती है।
कोविड महामारी से बचाने में किया जा रहा दिशा-निर्देशों का पालन
कोविड महामारी के दौरान अब पोषण पुनर्वास केंद्र में संक्रमण को रोकने के लिए दिए निर्देश का पालन किया जा रहा है । कुपोषण से ग्रस्त बच्चों की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होने के कारण कोरोना महामारी के समय उन्हें देखभाल की अत्यंत आवश्यक है।

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