छत्तीसगढ

प्रधान मंत्री मोदी से देश को निराशा, सम्बोधन में ठोस जमीनी सोच और चिंतन नदारद: मोहन मरकाम

रायपुर। प्रधानमंत्री मोदी के देश के नाम संदेश पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम ने कहा है कि राष्ट्र के नाम संबोधन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 20 लाख करोड़ के आर्थिक पैकेज की घोषणा तो की हैै लेकिन लॉक डाउन को भी आगे बढ़ाने की घोषणा की है।

इस घोषणा से देश की आम जनता, किसानों को, पैदल जैसे तैसे घर पहुंच रहे मज़दूरों को, बंद पड़े उद्योगों को क्या मिलेगा यह आने वाले दिनों में पता चलेगा। लॉक डाउन के चौथे संस्करण में क्या खुलेगा और क्या बंद रहेगा यह भी अभी पता नहीं है।

फ़िलहाल तो यह दिखता है कि कोरोना संकट की भयावहता से जूझने के उपायों पर, इसके लिए देश की तैयारियों पर उनके पास कहने को कुछ नहीं था। बेरोज़गार होकर घर लौट रहे श्रमिकों को फिर से रोज़गार कैसे मिलेगा इस पर भी वे चुप ही रहे।

जिस भाषा में उन्होंने राष्ट्र को संबोधित किया है और जिस विषय पर उन्होंने अपनी बात रखी उससे ज़ाहिर है वे श्रमिकों, किसानों और ग़रीबों को संबोधित नहीं कर रहे थे। वे महात्मा गांधी  के स्वदेशी के एजेंडे पर लौटते हुए दिखे पर विडंबना है कि इसमें अंतिम पंक्ति का व्यक्ति शामिल नहीं दिखा।

आज के संबोधन से एक बात ज़रूर रेखांकित हुई है वो यह कि नरेंद्र मोदी जी ने पहली बार स्वीकार किया कि आज़ादी के बाद देश लगातार आत्मनिर्भर हुआ है। इस तरह से देखें तो यह बात आज ख़त्म हो गई कि पिछले 70 सालों में कुछ नहीं हुआ।

प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम ने कहा है कि देश प्रधानमंत्री के आज के संबोधन की ओर बड़ी आशा भरी निगाहों से देख रहा था लेकिन मोदी जी ने बड़ी-बड़ी बातें तो कीं लेकिन देश में सबको निराश किया । लॉक डाउन के परिणाम स्वरूप भूख प्यास रहने की जगह, इलाज और अपने घर गांव प्रदेश पंहुचने  की जद्दोजहद में लगे मजदूरों की घरवापसी तक के लिये मोदी के संबोधन में कुछ भी नहीं था।

प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम ने कहा है कि प्रधानमंत्री जी से आज रात के सम्बोधन में सडकों पर चलते लाखों श्रमिक भाइयों-बहनों को उनके घरों तक सुरक्षित पहुंचाने की घोषणा की अपेक्षा भी मोदी जी ने पूरी नहीं की । इसके साथ ही इस संकट के समय में सहारा देने के लिए सभी मजदूरों   के खातों में कम से कम 7500 रु का सीधा हस्तांतरण पर भी कोई भी ठोस घोषणा नहीं की।

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