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फजीहत के बाद खुली तालिबान की आंख, सरकार में महिलाओं को शामिल करने का किया वादा; जानें कब तक

taliban promise to find government seats for women in future says spokesman zabihullah mujahid

काबुल, 9 सितंबर। अफगानिस्तान में तालिबान ने सरकार का ऐलान कर दिया है और 33 सदस्यीय कैबिनेट में एक भी महिला शामिल नहीं है। अफगानिस्तान सरकार में महिलाओं की गैरमौजूदगी को लेकर तालिबान दुनियाभर में आलोचनाओं का सामना कर रहा है। हालांकि, सरकार गठन को लेकर हो रही फजीहत को देखते हुए तालिबान ने सरकार में महिलाओं को शामिल करने का वादा किया है। तालिबान के प्रवक्ता जबिउल्लाह मुजाहिद ने कहा कि आने वाले दिनों में महिलाओं को भी सरकार में शामिल किया जाएगा।

तालिबानी प्रवक्ता मुजाहिद ने बुधवार को बीएफएमटीवी न्यूज चैनल से कहा, ‘यह सरकार अंतरिम है। शरिया कानूनों के सम्मान के लिए महिलाओं हेतु पद होंगे। यह एक शुरुआत है, लेकिन हम महिलाओं के लिए सीटें तलाशेंगे। वे सरकार का हिस्सा हो सकती हैं। यह दूसरे चरण में होगा।’ यहां जानना जरूरी है कि काबुल के निवासियों ने देश के शासन में महिलाओं की भागीदारी सुनिश्चित करने की मांग को लेकर काबुल के पश्चिमी भाग दश्ते बारची इलाके में विरोध प्रदर्शन किया।

बता दें कि तालिबान ने मंगलवार को अफगानिस्तान की अंतरिम सरकार की घोषणा की थी, जिसमें किसी भी महिला को मंत्री के तौर पर शामिल नहीं किया था। इसके बाद से ही दुनियाभर में इस बात की आशंका जताई जा रही है कि तालिबान राज में अफगान महिलाओं की स्थिति और बदतर होने वाली है। साथ ही शरिया कानून के सरकार चलाने को लेकर भी कई तरह की आशंकाएं हैं।

 90 फीसदी मंत्री केवल पश्तून समुदाय
अफगानिस्तान में अंतरिम सरकार का गठन भले ही हो चुका हो, लेकिन कार्यवाहक प्रधानमंत्री मोहम्मद हसन अखुंद के समक्ष सबसे बड़ी चुनौती सभी नस्लीय समूहों को साधने की होगी। नवनियुक्त 33 मंत्रियों में से 90 फीसदी मंत्री केवल पश्तून समुदाय के हैं, जबकि हजारा समुदाय का एक भी मंत्री नहीं है। ताजिक और उज्बेक लोगों को भी पर्याप्त प्रतिनिधत्व नहीं मिला है। सबसे अधिक 42 फीसदी आबादी के साथ पश्तून समुदाय का शुरू से ही अफगान राजनीति में दबदबा रहा है। सुन्नी मुस्लिमों के इस समुदाय के 30 लोगों को मंत्री बनाया गया है, जिसमें प्रधानमंत्री अखुंद, उपप्रधानमंत्री अब्दुल गनी बरादर भी शामिल हैं। इस समुदाय के लोग पश्तो भाषा बोलते हैं। ज्यादातर तालिबान लड़ाके इसी समुदाय से हैं। इसमें हक्कानी नेटवर्क के प्रमुख सिराजुद्दीन हक्कानी का नाम भी शामिल है।

हजारा आबादी 10 फीसदी: 
देश की आबादी में अल्पसंख्यक हजारा समूह की हिस्सेदारी 10 फीसदी है, लेकिन इसके किसी भी सदस्य को मंत्रिपरिषद में स्थान नहीं मिला है। ये शिया मुस्लिम हैं। यह समूह लंबे समय से हिंसा, दमन और भेदभाव का रहा है शिकार।

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