छत्तीसगढ

बैंकों के निजीकरण का विरोध: रायपुर में सभी सरकारी बैंकों को बंद कर मोतीबाग PNB के सामने इकट्ठा हुए कर्मचारी

रायपुर, 15 मार्च। सार्वजनिक क्षेत्र के दो सरकारी बैंकों के निजीकरण के विरोध में छत्तीसगढ़ के सभी सरकारी बैंकों में हड़ताल शुरू हो गई हैं। राजधानी रायपुर में सभी बैंक शाखाओं को बंद करने के बाद बैंक कर्मचारी-अधिकारी मोतीबाग स्थित पंजाब नेशनल बैंक की शाखा के सामने इकट्ठा हुए। इस दौरान उन्होंने केंद्र सरकार की नीतियों के खिलाफ प्रदर्शन कर निजीकरण का फैसला वापस लेने की मांग की। बैंकों की यह हड़ताल मंगलवार को भी जारी रहेगी।

यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंकिंग यूनियन (UFBU) के नेतृत्व में देशभर में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक कर्मचारी दो दिन की हड़ताल पर हैं। छत्तीसगढ़ में 2500 से अधिक बैंक शाखाओं के करीब 20 हजार कर्मचारी-अधिकारी इस हड़ताल में शामिल हैं। UFBU के एक घटक और रायपुर में आंदोलन का नेतृत्व कर रहे बैंक इम्प्लाई कन्फेडरेशन ऑफ इंडिया (BECI) के जनरल सेक्रेटरी डीके सरकार ने कहा, यह हड़ताल एक सिंगल एजेंडे पर हो रही है। सरकार ने कहा है कि वह दो बैंकाें का निजीकरण करेगी। सरकार ने उन बैंकों का नाम भी नहीं बताया है। हम बैंकों के इस निजीकरण का विरोध कर रहे हैं। डीके सरकार ने कहा, सरकार अगर राष्ट्रीयकृत बैंकों का निजीकरण करती है ताे यह क्षेत्र भी महाजनों के हाथ में चला जाएगा। यह स्थिति बैंक कर्मचारी और उपभोक्ता दोनों के हितों के खिलाफ है।
रायपुर में पंजाब नेशनल बैंक के सामने प्रदर्शन करते कर्मचारियों ने निजीकरण के खिलाफ नारे लगाए।
रायपुर में पंजाब नेशनल बैंक के सामने प्रदर्शन करते कर्मचारियों ने निजीकरण के खिलाफ नारे लगाए।

बैंक कर्मचारियों को किस बात का डर

डीके सरकार बताते हैं, बैंकों के निजीकरण से इस क्षेत्र में बड़़ी संख्या में नौकरियों के जाने का खतरा है। अब तक के जो अनुभव रहा है, उसके मुताबिक निजी क्षेत्र बैंकों की तमाम शाखाओं को बंद करेगा। इससे वहां काम कर रहे लोगों की नौकरी जाएगी। छंटनी होगी। काम को आउटसोर्स किया जाएगा जिससे नई नौकरियां कम होंगी। सेवा सुरक्षा, काम के घंटे और दूसरी चीजाें पर भी इसका असर पड़ेगा।

आम लोगों के प्रभावित होने की भी बात

कर्मचारी संगठनों ने कहा, निजीकरण के आम उपभोक्ता का हित भी प्रभावित हाेगा। निजीकरण से आम उपभोक्ता का पैसा फिलहाल तो सुरक्षित रहेगा लेकिन अगर नए प्रबंधन ने बैंक की अधिकांश पूंजी विजय माल्या और नीरव मोदी जैसे लोगों को लोन में दे दिया और वे भाग गए हैं तो आम उपभोक्ता लूट जाएगा। ग्रामीण क्षेत्रों में जहां लाभ अधिक नहीं है, वहां शाखाएं नहीं खुलेंगी। वहीं सरकार की योजनाओं को लोगों तक पहुंचाने में भी निजी बैंक कोताही बरतेंगे।

डिजिटल सेवाएं प्रभावित नहीं

बैंक अधिकारियों ने बताया, दो दिन की हड़ताल से उनकी डिजिटल बैंकिंग सेवाएं प्रभावित नहीं हुई हैं। भारतीय स्टेट बैंक, पंजाब नेशनल बैंक जैसी संस्थाओं ने अपने ग्राहकों को पिछले सप्ताह ही इस हड़ताल के बारे में सूचित कर दिया था। बैंकों की ओर से कहा गया था, इस हड़ताल से बैंकों की सामान्य सेवाएं प्रभावित हो सकती हैं।
रायपुर में हड़ताली बैंक कर्मचारी इस तरह के प्लेबोर्ड लेकर प्रदर्शन में शामिल हुए थे।
रायपुर में हड़ताली बैंक कर्मचारी इस तरह के प्लेबोर्ड लेकर प्रदर्शन में शामिल हुए थे।

हड़ताल में बैंकरों के ये संगठन हैं शामिल

निजीकरण के खिलाफ इस हड़ताल में ऑल इंडिया बैंक एम्प्लाइज एसोसिएशन, ऑल इंडिया बैंक ऑफिसर्स कन्फेडरेशन, नेशनल कॉन्फेडरेशन ऑफ बैंक इम्प्लॉइज, ऑल इंडिया बैंक ऑफिसर्स एसोसिएशन, बैंक इम्प्लॉइज कन्फेडरेशन ऑफ इंडिया, इंडियन नेशल बैंक एम्पलाईज फेडरेशन, इंडियन नेशनल बैंक आफीसर्स कांग्रेस, नेशनल आर्गनाइजेशन आफ बैंक वर्कर्स और नेशनल आर्गनाइजेशन आफ बैंक आफीसर्स शामिल हैं।

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