छत्तीसगढ

भाजपा ने पूछा : क्या प्रदेश सरकार नाकामियों की पोल खुलने से डरकर विस में चर्चा के बजाय मुँह चुराने को विवश हो गई?

रायपुर, 12 अगस्त। भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता व विधायक शिवरतन शर्मा ने प्रदेश विधानसभा का मानसून सत्र महज़ चार दिनों का रखे जाने पर प्रदेश सरकार पर कटाक्ष करते हुए पूछा है कि क्या प्रदेश सरकार अपनी नाकामियों की पोल खुलने से इतनी भयभीत हो गई है कि अब वह विधानसभा में भी चर्चा करने के बजाय मुँह चुराने को विवश हो गई है? श्री शर्मा ने कहा कि हर मोर्चे पर विफल प्रदेश सरकार एक गहरे अपराध-बोध से जूझ रही है, ऊपर से हाल के एक सर्वे ने सरकार और सत्तारूढ़ दल की ज़मीन खिसका दी है। इतनी कम अवधि का सत्र रखकर सरकार ने साफ कर दिया है कि प्रदेश के हित में कोई सार्थक चर्चा करने को वह तैयार नहीं है।
भाजपा प्रदेश प्रवक्ता व विधायक श्री शर्मा ने कहा कि विधानसभा मे चर्चा करने और प्रतिपक्ष के सवालों का ज़वाब देने से सरकार डर रही है और इसीलिए वह सिर्फ़ चार दिनों का सत्र बुला रही है; अन्यथा कोई कारण नहीं है कि सत्र की अवधि इतनी कम रखी जाए। जब सरकार कोरोना संक्रमण के नज़रिए से रोज़ हर विधायक को टेस्ट कराके ही विधानसभा में प्रवेश करने देगी तो फिर यह व्यवस्था तो लंबी अवधि के सत्र के लिए भी संभव थी। श्री शर्मा ने कहा कि प्रदेश को हज़ारों करोड़ रुपए के कर्ज़ से लाद चुकी प्रदेश सरकार अपनी तमाम योजनाओं की मिट्टी-पलीद कर चुकी है। कोरोना के मोर्चे पर निकम्मेपन का परिचय दे चुकी है। क्वारेंटाइन सेंटर्स और अब कोविड अस्पताल तक अस्वाभाविक मौत के केंद्र बनते जा रहे हैं। कोरोना की जाँच रिपोर्ट संबंधित संदिग्ध मरीज की मौत के बाद भी नहीं मिल रही है। कोरोना से मृत मरीजों का तीन-चार दिनों तक अंतिम संस्कार तक नहीं किया जा सक रहा है।
भाजपा प्रदेश प्रवक्ता व विधायक श्री शर्मा ने कहा कि कांग्रेस के नेता अब यह कुतर्क करने की चेष्टा न करें कि पूर्ववर्ती भाजपा शासनकाल में भी विस मानसून सत्र छोटा होता रहा है। उस समय भी विस सत्र कम-से-कम सात दिनों का होता था। और, मानसून सत्र की यह अवधि भी तब इसलिए छोटी होती थी क्योंकि तब बज़ट सत्र तब कम-से-कम 20-22 बैठकों का होता था लेकिन इस बार तो कोरोना संकट के कारण विस बज़ट सत्र ही कुल 08-10 बैठकों का ही हुआ था। इसलिए इस बार मानसून सत्र को लंबी अवधि का रखा जाना आवश्यक है ताकि बहुत-से गंभीर और विचारणीय मुद्दों पर सार्थक चर्चा हो सके। श्री शर्मा ने इस बार विधानसभा की कार्यवाही की रिपोर्टिंग के लिए मीडिया को प्रतिबंधित किए जाने पर भी ऐतराज़ जताया है। प्रदेश कांग्रेस कार्यालय में बुलाकर मीडिया से चर्चा करते समय जिस कांग्रेस और सरकार को कोरोना का भय नहीं सताता, उसे अब विस में मीडिया की उपस्थिति से किस बात का भय सता रहा है? प्रदेश सरकार वैकल्पिक व्यवस्था कर मीडिया को विस कार्यवाही की रिपोर्टिंग की अनुमति प्रदान करे।
कोरोना की आड़ लेकर चार दिनों का सत्र रखने पर भाजपा प्रदेश प्रवक्ता व विधायक श्री शर्मा ने सवाल किया कि जब सरकार के मंत्री, नेता अपने जन्मदिन का जश्न सैकड़ों लोगों की मौज़ूदगी में रखते हैं, सरकारी कार्यक्रमों में बिना मास्क पहने मुख्यमंत्री और उनके मंत्री, सत्तापक्ष के जनप्रतिनिधि सोशल डिस्टेंसिंग की धज्जियाँ उड़ाते हैं, प्रदेश कांग्रेस के प्रभारी पीएल पुनिया निगम-मंडलों में नियुक्ति के नाम पर सियासी ड्रामा रचने जब-तब प्रदेश के दौरे पर आते रहते हैं और सैकड़ों लोगों का हुज़ूम जब वहाँ उनके इर्द-गिर्द मंडराता है तब उन मौक़ों पर प्रदेश सरकार को कोविड की गाइडलाइन क्यों याद नहीं आती? श्री शर्मा ने कहा कि कोरोना का तो बहाना है, असल बात यह है कि प्रदेश सरकार बुरी तरह डरी हुई है और प्रतिपक्ष से चर्चा करने व उसके धारदार सवालों का सामना करने का उसमें अब लेशमात्र भी साहस नहीं रह गया है।
भाजपा प्रदेश प्रवक्ता व विधायक श्री शर्मा ने कहा कि क़दम-क़दम पर कोरोना गाइडलाइन का खुला मखौल उड़ाती सरकार और कांग्रेस विधानसभा में विपक्ष का सामना करने से इसलिए भी डर रही है, क्योंकि यूँ तो प्रदेश सरकार सियासी लफ़्फ़ाजियाँ करके झूठे आँकड़ों से प्रदेश को भरमाने में लगी रहती है, लेकिन विधानसभा में प्रदेश सरकार की आँकड़ेबाजी का झूठ ज़रा भी नहीं चलने वाला है। श्री शर्मा ने कहा कि अपने नाकारापन को ढँकने और प्रदेश के सामने अपने झूठ-फरेब और छलावों के पर्दाफाश से बचने के लिए ही प्रदेश सरकार सिर्फ़ चार दिनों का विधानसभा सत्र बुलाकर अपनी ज़िम्मेदारी से मुँह चुराने में लगी है।

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